इंदौर। कोई भी इंसान अपनी जिंदगी भर में अपने मस्तिष्क का महज 10 फीसदी हिस्सा ही उपयोग कर पाता है, लेकिन यदि विशेष प्रयासों से हमारी इंद्रियों और मस्तिष्क को उपयोग के लिहाज से विकसित कर लिया जाए, तो हम अपने जैसे और लोगों से अधिक चतुर प्रतिभाशाली और सक्षम साबित हो सकते हैं. दरअसल दिमाग को एक्टिव करने की ऐसी ही तकनीक है, माइंड ऐक्टिवेशन या मिड ब्रेन ऐक्टिवेशन टेक्निक. जिसके जरिए इंदौर में अब कई बच्चे न केवल पढ़ाई लिखाई बल्कि खेलकूद और एक्टिविटी में खुद को औरों से ज्यादा अव्वल बनाने के साथ तरह-तरह के चमत्कार करने में जुटे हुए हैं.
क्या है Mind Activation
क्या आपकी आंख पर गहरी काली पट्टी बंधी हो और फिर भी आपके हाथों में दी जाने वाली किसी तस्वीर या गेंद का रंग और स्वरूप क्या आप हूबहू बता सकते हैं? शायद नहीं, लेकिन इंदौर में ऐसे कई बच्चे हैं जो मिडब्रेन एक्टिवेशन या Mind Activation तकनीक के जरिए ऐसा आसानी से कर पा रहे हैं. इन बच्चों में अधिकांश ऐसे बच्चे हैं. जिनकी उम्र 8 साल से 16 साल के बीच है. जो अपनी पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद समेत अन्य करिकुलर एक्टिविटी में सबसे आगे रहना चाहते हैं. इसके लिए इन बच्चों के परिजन उन्हें मिडब्रेन एक्टिवेशन या Mind Activation कोर्स के जरिए सबसे होनहार बनाने जुटे हैं.
इंद्रियों को विकसित करने का मूल सिद्धांत
इसे लेकर मिडब्रेन एक्टिवेशन कोच और स्पेशल ट्रेनर मुक्ता राठी बताती है कि 'यह विद्या प्राचीन जमाने में अपनी इंद्रियों को विकसित करने के मूल सिद्धांतों पर ही आधारित है. जिसमें बच्चों के अवचेतन मस्तिष्क को भी कुछ खास वीडियो के जरिए चैतन्य किया जाता है. माइंडब्रेन सक्रिय होने से न केवल मेमोरी बल्कि कंसंट्रेशन विजुलाइजेशन, इमेजिनेशन, क्रिएटिविटी की कला जागृत होती है. इसमें अधिकांश बच्चे 8 से 16 साल की उम्र के होते हैं, क्योंकि इस उम्र के बच्चों का ग्रास्पिंग पावर सबसे ज्यादा होता है. इसलिए इस उम्र के बच्चों को यह ट्रेनिंग दी जाकर, उन्हें अपनी उम्र के अन्य बच्चों से ज्यादा होनहार और निपुण बनाया जा सकता है.'
पूर्वाभास की घटनाओं का कराते हैं आभास
मुक्ता राठी के मुताबिक यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही है, जिस प्रकार हमें किसी घटना को लेकर पूर्वाभास होते हैं. यह पूर्वाभास हमारी छठी इंद्री अथवा अवचेतन मन के कभी कभार चैतन्य होने की दशा में होता है. इसी प्रकार यदि हमारी इंद्री अथवा अवचेतन मस्तिष्क को हमें अक्सर होने वाले पूर्वाभास यह दर्शाते हैं कि कहीं ना कहीं हमारा अवचेतन मस्तिष्क अक्सर होने वाली घटनाओं के प्रति पूर्वाभास प्रदर्शित करता है. इसी छठी इंद्री को कुछ खास तरह के खेल म्यूजिक और अन्य प्रक्रिया के जरिए विकसित करने पर बच्चे अपने हर काम में निपुण हो जाते हैं. उन्होंने बताया यह प्राचीन समय में समाधि लेने अथवा थर्ड आई एक्टिव करने जैसा ही है. उन्होंने कहा मस्तिष्क पर तिलक लगाने वाले स्थान के ठीक पीछे पीनियल ग्रंथि होती है, जो थर्ड आई या छठी इंद्री को जागृत करने का माध्यम होती है. इसी को संगीत डांस ब्रेन जिम व्यायाम पहेलियां और फोकस करने की विधि के जरिए मिडब्रेन एक्टिवेशन या Mind Activation करने का प्रयास किया जाता है.
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इंदौर में बच्चे आंख बंद करके बता देते हैं वस्तु का रंग स्वरूप
फिलहाल इंदौर में अब न केवल उनके पास बल्कि उन इंस्टिट्यूट में ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं. जो आंख बंद करके न केवल किसी भी वस्तु का रंग और स्वरूप बता देते हैं. वही उसे वस्तु का मस्तिष्क हाथ गाल और कान से स्पर्श और उसकी ध्वनि सुनकर उसकी स्थिति बयां कर देते हैं. इसी तरह इन बच्चों की पढ़ाई लिखाई अथवा अलग-अलग एक्टिविटी में जब इसी तकनीक का उपयोग बच्चे करते हैं, तो वह अपनी तुलना में अन्य बच्चों से न केवल बेहतर बल्कि उत्कृष्ट प्रदर्शन करते नजर आते हैं. जिससे उनमें न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है. वही वह अपने क्षेत्र में पारंगत रहते हुए सबसे आगे नजर आते हैं.