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रिटायरमेंट के बाद मिले समय में बचपन के शौक कर रहे पूरे, शालिगराम की शिल्पकारी देखकर आप भी हो जाएंगे मुरीद - Retired Engineer Craftsmanship

कहते हैं कि हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ हुनर होता है बस उसे पूरा करने के लिए जज्बा चाहिए. नौकरी और फिर पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपने बचपन के शौक को पूरा नहीं कर पाए शालिगराम ने रिटायरमेंट के बाद अपने खाली समय में अपने हुनर को साबित किया. शिल्पकारी के साथ पेंटिंग बनाने में भी महारत हासिल है.

RETIRED ENGINEER CRAFTSMANSHIP
पेटिंग, क्रिएटिव आर्ट ,स्टोन पेंटिंग जैसे कई शौक हैं शालिगराम के
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 26, 2024, 4:05 PM IST

Updated : Apr 26, 2024, 4:32 PM IST

रिटायरमेंट के बाद शौक पूरा कर रहे शालिगराम

इंदौर। हर व्यक्ति के पास कुछ ना कुछ खूबी होती है, बस जरुरत होती है उसे निखारने की. यदि आप रिटायर्ड हैं और जीवन की आपाधापी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपना कोई दिली शौक पूरा नहीं कर पाए हैं तो रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला खाली समय आपके शौक और हुनर को साबित करने का बिल्कुल सही समय है. दरअसल रिटायरमेंट के समय के सदुपयोग के कारण इंदौर के एक रिटायर्ड कार्यपालन यंत्री इन दिनों चर्चाओं में है.

रिटायरमेंट के बाद शौक पूरा कर रहे शालिगराम

शालिगराम ने अपने बचपन के शौक को पूरा करने के लिए अब ऐसी अनूठी शिल्पकारी शुरू की है जिसकी तारीफ हर कहीं हो रही है. दरअसल 70 साल के शालिगराम विश्वकर्मा कार्यपालन यंत्री RES इन्दौर के पद पर रहते हुए मार्च 2015 में रिटायर हुए थे. रिटायर होने के बाद अन्य सीनियर सिटीजन की तरह बीमार और निराश होकर घर में पड़े रहने के बजाय उन्होंने अपने समय को रचनात्मक गतिविधियों में लगाने के साथ अपने बचपन के शौक को पूरा करने के बारे में सोचा. इसके बाद उन्होंने अपने इंजीनियरिंग के हुनर का उपयोग कलात्मक वस्तुएं बनाने में शुरू किया. इसके बाद उनका यह सिलसिला अब तक नहीं रुका.

1000 से ज्यादा कलात्मक वस्तुएं की तैयार

शालिगराम के हाथ में गजब का हुनर है. देखते ही देखते उन्होंने बीते कुछ सालों में घर में अनुपयोगी रहने वाले सामान से 1000 से ज्यादा कलात्मक वस्तुएं तैयार कर दीं. जिनमें राम मंदिर के अलावा केदारनाथ मंदिर, महाकाल मंदिर, बद्री विशाल मंदिर के अलावा देशभर की तमाम ऐतिहासिक इमारतें शामिल हैं.

पेंटिग बनाने में भी है महारत हासिल

शालिगराम विश्वकर्मा ऐसे कलाकार हैं जिन्हें पेटिंग बनाने में भी महारत हासिल है. वे अब तक 1000 से अधिक पेन्टिंग बन चुके हैं जिनमें से कई पेटिंग उनके द्वारा लोगों को गिफ्ट भी की गई हैं. इसके अलावा उनके द्वारा 100 ग्राम से लेकर 10 किलोग्राम तक रेत में निकलनेे वाले पत्थर पर कारीगरी करते हुए 2500 से अधिक स्टोन पर पेन्टिंग बनाई है.

बेकार सामानों से बनाए 500 आइटम

उनके क्रिएटिव कलेक्शन में इतना ही शामिल नहीं है. शालिगराम विश्वकर्मा वेस्ट सामग्री से तरह-तरह के 500 से ज्यादा आइटम तैयार कर चुके हैं, जिसमें कार्ड बोर्ड ,खाली बाटल ,डिब्बे बाक्स , प्लास्टिक वेस्ट ,माचिस आदि का सुंदरतम उपयोग किया है. अब स्थिति यह है कि उनका अधिकतम समय अपने कलात्मक संसार को संवारने के अलावा लोगों को नई-नई चीज बनाने और उसे सिखाने में उपयोग होता है.

बच्चों को सिखा रहे क्रिएटिव आर्ट

अब उनकी कॉलोनी और आसपास के बच्चे भी उनके पास क्रिएटिव आर्ट और कलात्मक सामग्री बनाने का हुनर सीखने के लिए पहुंचते हैं. इतना ही नहीं कई लोग अब उनसे ऑन डिमांड सामग्री भी तैयार कराते हैं, जिसके कारण उनकी पूछ परख ना केवल कॉलोनी में बल्कि क्रिएटिव आर्ट करने वाली शहर की टीम में भी बढ़ गई है. जाहिर है रिटायरमेंट के बाद इस उम्र में भी तमाम बीमारियों को भूलकर उनके हुनर और शौक ने उन्हें अभी भी जवान और पूरी तरह से एक्टिव बनाए रखा है. जिसका श्रेय वे अपने शौक को देते हैं.

ये भी पढ़ें:

गजब का रिटायरमेंट प्लान! सागर के शख्स ने लाखों खर्च कर जुटाए 70 से ज्यादा देशों के सिक्के और नोट

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दोनों बच्चे रहते है विदेश में

शालिगराम विश्वकर्मा जी के दो बेटे हैं. दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वह अमेरिका में रहते हैं .एक बेटा अमेरिका में ही शिफ्ट हो चुका है जबकि दूसरा वहां जॉब में है. इसके अलावा एक बहू इसरो में जॉब करती है जबकि दूसरी हाउसवाइफ है. लिहाजा इंदौर में शालिगराम विश्वकर्मा अपनी पत्नी के साथ रहते हैं जो अब क्षेत्र में तमाम रिटायर्ड लोगों के बीच अपने आर्ट और कारीगरी से मिसाल भी बने हुए हैं.

रिटायरमेंट के बाद शौक पूरा कर रहे शालिगराम

इंदौर। हर व्यक्ति के पास कुछ ना कुछ खूबी होती है, बस जरुरत होती है उसे निखारने की. यदि आप रिटायर्ड हैं और जीवन की आपाधापी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपना कोई दिली शौक पूरा नहीं कर पाए हैं तो रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला खाली समय आपके शौक और हुनर को साबित करने का बिल्कुल सही समय है. दरअसल रिटायरमेंट के समय के सदुपयोग के कारण इंदौर के एक रिटायर्ड कार्यपालन यंत्री इन दिनों चर्चाओं में है.

रिटायरमेंट के बाद शौक पूरा कर रहे शालिगराम

शालिगराम ने अपने बचपन के शौक को पूरा करने के लिए अब ऐसी अनूठी शिल्पकारी शुरू की है जिसकी तारीफ हर कहीं हो रही है. दरअसल 70 साल के शालिगराम विश्वकर्मा कार्यपालन यंत्री RES इन्दौर के पद पर रहते हुए मार्च 2015 में रिटायर हुए थे. रिटायर होने के बाद अन्य सीनियर सिटीजन की तरह बीमार और निराश होकर घर में पड़े रहने के बजाय उन्होंने अपने समय को रचनात्मक गतिविधियों में लगाने के साथ अपने बचपन के शौक को पूरा करने के बारे में सोचा. इसके बाद उन्होंने अपने इंजीनियरिंग के हुनर का उपयोग कलात्मक वस्तुएं बनाने में शुरू किया. इसके बाद उनका यह सिलसिला अब तक नहीं रुका.

1000 से ज्यादा कलात्मक वस्तुएं की तैयार

शालिगराम के हाथ में गजब का हुनर है. देखते ही देखते उन्होंने बीते कुछ सालों में घर में अनुपयोगी रहने वाले सामान से 1000 से ज्यादा कलात्मक वस्तुएं तैयार कर दीं. जिनमें राम मंदिर के अलावा केदारनाथ मंदिर, महाकाल मंदिर, बद्री विशाल मंदिर के अलावा देशभर की तमाम ऐतिहासिक इमारतें शामिल हैं.

पेंटिग बनाने में भी है महारत हासिल

शालिगराम विश्वकर्मा ऐसे कलाकार हैं जिन्हें पेटिंग बनाने में भी महारत हासिल है. वे अब तक 1000 से अधिक पेन्टिंग बन चुके हैं जिनमें से कई पेटिंग उनके द्वारा लोगों को गिफ्ट भी की गई हैं. इसके अलावा उनके द्वारा 100 ग्राम से लेकर 10 किलोग्राम तक रेत में निकलनेे वाले पत्थर पर कारीगरी करते हुए 2500 से अधिक स्टोन पर पेन्टिंग बनाई है.

बेकार सामानों से बनाए 500 आइटम

उनके क्रिएटिव कलेक्शन में इतना ही शामिल नहीं है. शालिगराम विश्वकर्मा वेस्ट सामग्री से तरह-तरह के 500 से ज्यादा आइटम तैयार कर चुके हैं, जिसमें कार्ड बोर्ड ,खाली बाटल ,डिब्बे बाक्स , प्लास्टिक वेस्ट ,माचिस आदि का सुंदरतम उपयोग किया है. अब स्थिति यह है कि उनका अधिकतम समय अपने कलात्मक संसार को संवारने के अलावा लोगों को नई-नई चीज बनाने और उसे सिखाने में उपयोग होता है.

बच्चों को सिखा रहे क्रिएटिव आर्ट

अब उनकी कॉलोनी और आसपास के बच्चे भी उनके पास क्रिएटिव आर्ट और कलात्मक सामग्री बनाने का हुनर सीखने के लिए पहुंचते हैं. इतना ही नहीं कई लोग अब उनसे ऑन डिमांड सामग्री भी तैयार कराते हैं, जिसके कारण उनकी पूछ परख ना केवल कॉलोनी में बल्कि क्रिएटिव आर्ट करने वाली शहर की टीम में भी बढ़ गई है. जाहिर है रिटायरमेंट के बाद इस उम्र में भी तमाम बीमारियों को भूलकर उनके हुनर और शौक ने उन्हें अभी भी जवान और पूरी तरह से एक्टिव बनाए रखा है. जिसका श्रेय वे अपने शौक को देते हैं.

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दोनों बच्चे रहते है विदेश में

शालिगराम विश्वकर्मा जी के दो बेटे हैं. दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वह अमेरिका में रहते हैं .एक बेटा अमेरिका में ही शिफ्ट हो चुका है जबकि दूसरा वहां जॉब में है. इसके अलावा एक बहू इसरो में जॉब करती है जबकि दूसरी हाउसवाइफ है. लिहाजा इंदौर में शालिगराम विश्वकर्मा अपनी पत्नी के साथ रहते हैं जो अब क्षेत्र में तमाम रिटायर्ड लोगों के बीच अपने आर्ट और कारीगरी से मिसाल भी बने हुए हैं.

Last Updated : Apr 26, 2024, 4:32 PM IST
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