इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में 51 लाख पेड़ लगाने के अभियान के पूर्व गुरुवार को स्थानीय निकाय में ग्रीन कवर के महत्व पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई है. इस दौरान देश में वाटर मैन कहे जाने वाले पर्यावरण विद् राजेंद्र सिंह भी मौजूद रहे. उन्होंने इंदौर को ग्रीन कवर एरिया बढ़ाने के लिए तीन नसीहतें दी हैं. राजेंद्र सिंह ने कहा कि इनके बिना इंदौर को प्रदूषण और बीमारियों से बचना मुश्किल है.
क्यों इंदौर पानीदार शहर नहीं बन सकता है?
27 जून को इंदौर के सुपर कॉरिडोर में आयोजित इस संगोष्ठी के दौरान शहर के नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधियों और छात्र-छात्राओं के बीच वाटर मैन राजेंद्र सिंह मौजूद रहे. उन्होंने लोगों से कहा कि ''इंदौर को अपनी धरती की मिट्टी की हालत ठीक करने के लिए पानी को रोकना पड़ेगा. नर्मदा पर आश्रित कम रहना होगा. हम कब तक इंदौर से पानी लेंगे ? क्यों इंदौर पानीदार शहर नहीं बन सकता है ? इंदौर के युवाओं को सोचना होगा कि उनकी धरती, प्रकाश, हरियाली का अपने जीवन को बेहतर और लंबा चलाने के लिए कैसे बेहतर कर सकते हैं. इंदौर में बारिश का पानी इंदौर में ही रुकना चाहिए. जहां भी हमारी पहाड़ी और वीरान ज़मीन है, उन पर प्लांटेशन का काम करना चाहिए. हमारे छात्रों को यह काम अपना काम मानकर करना चाहिए.''
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ट्री मैन विष्णु लांबा ने की शिरकत
इस अवसर पर कार्यक्रम में श्याम सुंदर पालीवाल के साथ ही ट्री मैन विष्णु लांबा ने शिरकत की. वहीं कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने हरियाली को लेकर चिंता भी व्यक्त की. उनका कहना था कि ''इंदौर में औसत ग्रीन कवर से भी आधी ही हरियाली है. जो अपने आप में चिंताजनक बात है, जिसके कारण हरियाली के मामले में इंदौर का नंबर 20वां है.'' पद्म श्री श्याम सुंदर पालीवाल ने कहा कि इंदौर में हरियाली को बढ़ाने के लिए बीज रोपण ज़्यादा उपयोगी होंगे. परिवार की जनसंख्या के आधार पर पेड़ लगाना अनिवार्य करना होगा. इस तरह की प्रतिज्ञा लेना होगी. आज जो तापमान बढ़ा है उसके जवाबदार हम ही हैं. किसी को सुनने से कुछ नहीं होता ख़ुद करने से होता है.