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भ्रष्टाचार का गढ़ बना नगर निगम, कांग्रेस ने लगाया मिलीभगत का आरोप, पुलिस को नहीं मिली मूल फाइलें - Indore Nagar Nigam Corruption - INDORE NAGAR NIGAM CORRUPTION

इंदौर नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस ने मिली भगत का आरोप लगाया है. इस मामले में जांच के लिए पुलिस को अभी तक फाइलों को मूल कॉपी नहीं सौंपी गई है. वहीं कांग्रेस ने एसआईटी गठित कर जांच की मांग की है.

INDORE NAGAR NIGAM CORRUPTION
भ्रष्टाचार का गढ़ बना इंदौर नगर निगम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 11, 2024, 3:47 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर नगर निगम में आए दिन भ्रष्टाचार की खबरें सामने आती है. आलम यह है कि इंदौर नगर निगम को भ्रष्टाचार का गढ़ कहने लगे हैं. इंदौर नगर निगम अब भी फर्जी ठेका कांड के आरोपियों को सजा दिला पाने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि लंबे अरसे बाद भी नगर निगम से जारी किए गए 90 करोड़ रुपए में से 60 करोड़ रुपए के ठेके की फाइल अब तक निगम प्रशासन पुलिस को नहीं सौंप पाया है. ऐसी स्थिति में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल है.

भ्रष्टाचार का गढ़ बना नगर निगम (ETV Bharat)

निगम में भ्रष्टाचार, कांग्रेस ने की SIT गठित की मांग

बताया जा रहा है कि इन ठेके से जुड़ी करीब 174 फर्जी फाइल की ओरिजनल कॉपी नगर निगम को पुलिस के हवाले करना है. जिससे की असली और फर्जी दस्तावेजों का मिलान हो सके. इधर करोड़ों के घोटाले में भी नगर निगम प्रशासन की लेट लतीफ के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने नए सिरे से एसआईटी गठित करने की मांग की है. इस मामले में आज नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने आरोप लगाया कि 'अभी तक इंदौर पुलिस केवल 48 फाइल में 31 करोड़ के फर्जी भुगतान की ही जांच कर रही है. जबकि 174 फर्जी फाइलों की मूल कॉपी पुलिस को प्राप्त नहीं हुई है. जिसके कारण वह इस पूरे मामले की जांच नहीं कर पा रही है. वहीं इन 174 फर्जी फाइलों से 90 करोड़ रुपए का भुगतान होने की बात भी नेता प्रतिपक्ष ने कही. इसके साथ ही कांग्रेस ने पुलिस अधिकारी और रिटायर जज को शामिल कर एक एसआईटी का गठन कर पूरे भुगतान की जांच की मांग की है.'

फर्जी तरीके से लिए ठेके, करोड़ों का भुगतान

गौरतलब है इंदौर नगर निगम में जल कार्य विभाग के कई ठेके शहर की अलग-अलग पांच फर्म द्वारा फर्जी तरीके से लिए गए थे. इन फर्म के ठेकेदारों ने न केवल ठेकों की नकली फाइल बनाई, बल्कि नकली फाइल और अधिकारियों के नकली हस्ताक्षर के जरिए ही उन्होंने लगातार कई सालों तक करोड़ों का भुगतान नगर निगम के लेखक कार्यालय से करवा लिया. हाल ही में यह मामला उजागर हुआ था, तो नगर निगम ने इस मामले में करीब आधा दर्जन ठेकेदारों के अलावा इतने ही अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की है, लेकिन इस मामले से जुड़े कई अधिकारी अब जमानत करवा चुके हैं.

यहां पढ़ें...

इंदौर नगर निगम घोटाले के मुख्य आरोपी ने दी अहम जानकारी, जल्द हो सकती है कई और गिरफ्तारी

इंदौर नगर निगम फर्जी बिल घोटाले में 4 गिरफ्तार, सभी को खातों में हुआ करोड़ों का ट्रांसफर

गोरखधंधे से बिगड़ी निगम की वित्तीय स्थिति

इतना ही नहीं नगर निगम में कई सालों से चल रहा यह गोरखधंधा नगर निगम की वित्तीय हालत को भी बिगाड़ चुका है. बावजूद इसके दोषियों पर कार्रवाई को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव की निगम परिषद भी गंभीर नजर नहीं आती. यही वजह है कि अब नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस इस पूरे मामले में भाजपा नेताओं की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए विशेष जांच समिति के गठन की मांग कर रही है. जिससे कि नगर निगम में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोपियों को सजा दिलाई जा सके.

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर नगर निगम में आए दिन भ्रष्टाचार की खबरें सामने आती है. आलम यह है कि इंदौर नगर निगम को भ्रष्टाचार का गढ़ कहने लगे हैं. इंदौर नगर निगम अब भी फर्जी ठेका कांड के आरोपियों को सजा दिला पाने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि लंबे अरसे बाद भी नगर निगम से जारी किए गए 90 करोड़ रुपए में से 60 करोड़ रुपए के ठेके की फाइल अब तक निगम प्रशासन पुलिस को नहीं सौंप पाया है. ऐसी स्थिति में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल है.

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बताया जा रहा है कि इन ठेके से जुड़ी करीब 174 फर्जी फाइल की ओरिजनल कॉपी नगर निगम को पुलिस के हवाले करना है. जिससे की असली और फर्जी दस्तावेजों का मिलान हो सके. इधर करोड़ों के घोटाले में भी नगर निगम प्रशासन की लेट लतीफ के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने नए सिरे से एसआईटी गठित करने की मांग की है. इस मामले में आज नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने आरोप लगाया कि 'अभी तक इंदौर पुलिस केवल 48 फाइल में 31 करोड़ के फर्जी भुगतान की ही जांच कर रही है. जबकि 174 फर्जी फाइलों की मूल कॉपी पुलिस को प्राप्त नहीं हुई है. जिसके कारण वह इस पूरे मामले की जांच नहीं कर पा रही है. वहीं इन 174 फर्जी फाइलों से 90 करोड़ रुपए का भुगतान होने की बात भी नेता प्रतिपक्ष ने कही. इसके साथ ही कांग्रेस ने पुलिस अधिकारी और रिटायर जज को शामिल कर एक एसआईटी का गठन कर पूरे भुगतान की जांच की मांग की है.'

फर्जी तरीके से लिए ठेके, करोड़ों का भुगतान

गौरतलब है इंदौर नगर निगम में जल कार्य विभाग के कई ठेके शहर की अलग-अलग पांच फर्म द्वारा फर्जी तरीके से लिए गए थे. इन फर्म के ठेकेदारों ने न केवल ठेकों की नकली फाइल बनाई, बल्कि नकली फाइल और अधिकारियों के नकली हस्ताक्षर के जरिए ही उन्होंने लगातार कई सालों तक करोड़ों का भुगतान नगर निगम के लेखक कार्यालय से करवा लिया. हाल ही में यह मामला उजागर हुआ था, तो नगर निगम ने इस मामले में करीब आधा दर्जन ठेकेदारों के अलावा इतने ही अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की है, लेकिन इस मामले से जुड़े कई अधिकारी अब जमानत करवा चुके हैं.

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गोरखधंधे से बिगड़ी निगम की वित्तीय स्थिति

इतना ही नहीं नगर निगम में कई सालों से चल रहा यह गोरखधंधा नगर निगम की वित्तीय हालत को भी बिगाड़ चुका है. बावजूद इसके दोषियों पर कार्रवाई को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव की निगम परिषद भी गंभीर नजर नहीं आती. यही वजह है कि अब नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस इस पूरे मामले में भाजपा नेताओं की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए विशेष जांच समिति के गठन की मांग कर रही है. जिससे कि नगर निगम में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोपियों को सजा दिलाई जा सके.

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