इंदौर: लगातार घाटे से जूझ रहे प्रदेश के दुग्ध संघ अब नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के हवाले होंगे. राज्य सरकार ने प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए अब नेशनल डेयरी बोर्ड के साथ एमओयू किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को इंदौर में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि एमओयू के बावजूद दुग्ध संघ के किसी भी कर्मचारी के हित प्रभावित नहीं होंगे. वहीं सांची दूध का नाम भी नहीं बदलेगा.
इंदौर दुग्ध संघ के कार्यक्रम में पहुंचे थे सीएम
दरअसल, शनिवार को इंदौर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव इंदौर दुग्ध संघ द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे. यहां उन्होंने अधिकारियों-कर्मचारियों से चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि ''राजस्थान और उत्तर प्रदेश की तुलना में मध्य प्रदेश में दूध का उत्पादन आधा ही होता है, इसलिए मध्य प्रदेश में करीब 51000 गांवों में दूध उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं. इंदौर दुग्ध संघ में 700 करोड़ रुपए का मुनाफा है, जबकि भोपाल-उज्जैन और सागर के दुग्ध संघ भी अच्छी स्थिति में है, लेकिन अन्य संभागों के बाकी दुग्ध संघ घाटे में चल रहे हैं. जहां नेशनल डेयरी बोर्ड की तकनीकी और प्रणाली को अपनाकर दुग्ध उत्पादन दोगुना किया जा सकता है.''
आज इंदौर में सहकारी दुग्ध संघ साँची के प्लांट का भ्रमण कर संचालित गतिविधियों का निरीक्षण किया एवं प्लांट पर कार्यरत कर्मचारियों से संवाद किया।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) September 14, 2024
सहकारिता के माध्यम से साँची पशुपालकों को आर्थिक समृद्धि प्रदान करने के साथ-साथ नागरिकों को शुद्ध दुग्ध उत्पाद प्रदान करने के लिए… pic.twitter.com/r4VL53eA20
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प्रदेश के दुग्ध संघों पर खर्च किए जाएंगे 100 करोड़ रुपए
मोहन यादव ने आगे कहा कि ''इसके लिए राज्य सरकार ने नेशनल डेयरी बोर्ड के साथ करार किया है, जिससे राष्ट्रीय स्तर की दुग्ध उत्पादन की टेक्नोलॉजी का उपयोग मध्य प्रदेश के दुग्ध संघ में भी हो सकेगा. मध्य प्रदेश द्वारा किए गए करार में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड को 4% कंसलटेंसी भी नहीं देनी होगी. जबकि बोर्ड द्वारा प्रदेश के दुग्ध संघों पर करीब 100 करोड़ रुपए का खर्च किया जाएगा. राज्य में देश के कुल उत्पादन में अब तक 9% दूध का उत्पादन हो रहा था, जिसे 18 परसेंट का लक्ष्य आगामी 5 वर्ष में रहेगा. इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में अब एक दो नहीं बल्कि 10 गाय पालने पर 40 रुपए प्रति गाय का अनुदान दिया जाएगा. जबकि दूध नहीं देने वाले पशुओं के लिए गौशालाएं तैयार की जा रही हैं. राज्य सरकार की कोशिश है कि दूध के प्रत्येक लीटर पर बोनस दिया जाए, जिससे कि दुग्ध उत्पादन के लिए पशुपालक प्रेरित हो सकें. इसके लिए भी गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है.''