इंदौर: आईआईटी इंदौर द्वारा लगातार विभिन्न क्षेत्रों में विशेष शोध कार्य किए जा रहे हैं. संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में डॉ स्वामीनाथन आर के नेतृत्व में संचार प्रणालियों को आगे बढ़ाने को लेकर एक विशेष शोध कार्य किया जा रहा है. शोध टीम ऐसे इंटेलिजेंट रिसीवर विकसित कर रही है जो मॉड्यूलेशन चैनल कोडिंग और इंटरलीविंग जैसी प्रमुख संचार विधियों का अपने आप पता लगा सकते हैं और उन्हें डिकोड कर सकते हैं. इससे शोर या व्यवधान वाली चुनौतीपूर्ण स्थितियों में भी डेटा को सटीक रूप से भेजने में मदद मिलती है. यह कार्य 6G प्रदर्शन और सैन्य संचार सुरक्षा को बढ़ावा देने और कई रिसीवरों की जरुरतों को कम करके संचार प्रणालियों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए तैयार किया गया है.
सैन्य संचार साधनों के लिए उपयोगी
आईआईटी इंदौर द्वारा तैयार की गई यह तकनीक भविष्य के 6G नेटवर्क और सैन्य संचार के लिए महत्वपूर्ण है. यह रिसीवर को मुश्किल परिस्थितियों में सिग्नल को डिकोड करने में सक्षम बनाता है. जैसे कि जब सैन्य प्रसारण को इंटरसेप्ट किया जाता है, इन तरीकों की स्वचालित रूप से पहचान करके यह सुनिश्चित करता है कि अस्पष्ट या शोरगुल वाले संकेतों से महत्वपूर्ण डेटा एकत्र किया जा सकता है जो इसे खुफिया अभियानों के लिए महत्वपूर्ण बनाता है.
'दूरसंचार और सैन्य क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण'
शोध कार्य का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर स्वामीनाथन के अनुसार "यह तकनीक कार्यक्षमता और सुरक्षा में सुधार करके दूरसंचार और सैन्य दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है. मौजूदा प्रणालियों से अलग आईआईटी इंदौर के रिसीवर मॉड्यूलेशन कोडिंग और इंटरलीविंग विधियों का एक साथ पता लगा सकते हैं. यह एक ऐसी क्षमता है जो पहले पूरी तरह से हासिल नहीं की गई थी. शुरुआती परीक्षणों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं जो अलग-अलग चैनल एनकोडर और इंटरलीवर की सटीक पहचान करते हैं. वर्तमान में इन मॉडलों का वास्तविक समय में परीक्षण किया जा रहा है और उन्हें 3G से 6G तक संचार मानकों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने के लिए विस्तारित किया जा रहा है."
एसडीआर उपकरणों से हो रहा परीक्षण
इस परियोजना का परीक्षण सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) उपकरणों का उपयोग करके किया जा रहा है. जिसमें विशेष 6G अनुसंधान पहल के हिस्से के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और दूरसंचार विभाग (डीओटी) सहित प्रमुख सरकारी संगठनों से सहायता प्राप्त है.
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रेडियो फ्रीक्वेंसी के उपयोग को बनाता है बेहतर
इस नवाचार के मुख्य बिंदु में डीप लर्निंग एल्गोरिदम हैं, जो रिसीवर को जटिल वायरलेस वातावरण में संकेतों को पहचानने और डिकोड करने में मदद करते हैं. यह रेडियो फ्रीक्वेंसी के उपयोग को बेहतर बनाता है, जो 5G और 6G के बढ़ते उपयोग के कारण डिमांड में हैं. ये इंटेलिजेंट रिसीवर अनावश्यक डेटा ट्रांसमिशन को कम करके ऊर्जा भी बचाते हैं.