इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने पिछले दिनों हुकमचंद मिल के मजदूरों को पैसा देने के आदेश मध्य प्रदेश सरकार को दिए थे. वहीं, मध्य प्रदेश सरकार ने कोर्ट के आदेश के बाद कई मिल मजदूरों को उनका पैसा दिया, लेकिन अभी भी कई मजदूर ऐसे हैं जिन्हें अभी तक कोर्ट के आदेश के बाद भी पैसा नहीं मिला है. जिसके चलते वह विभिन्न जगहों पर अपनी गुहार लगा रहे हैं.
दिवंगत मजदूरों की पत्नियों को नहीं मिला मुआवजा
इंदौर में तकरीबन 32 वर्षों के संघर्ष के बाद इंदौर के हुकुमचंद मिल के मुआवजे वितरण में 1400 दिवंगत मजदूरों की पत्नियां अभी भी मुआवजे की आस में खाली हाथ बैठी हैं. वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिनके पिता या अन्य रिश्तेदार मिल में काम करते थे. जिन्हें बकाया राशि मिलने की आस बनी हुई है. दरअसल, मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने हुकुमचंद मिल मजदूर के मुआवजा राशि दिलाने का कार्य सबसे पहले किया था.
23 जुलाई को कोर्ट में होगी सुनवाई
बता दें कि कुछ अंदरूनी प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने के नाम पर करीब 1400 से अधिक महिलाएं और 1 हजार के लगभग अन्य लोगों की राशि रुक गई है. हुकुमचंद मिल मजदूर संघ के अध्यक्ष नरेंद्र श्रीवंश और मिल मजदूर संघ के प्रधानमंत्री हरनाम सिंह धारीवाल ने बताया कि "मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश और मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के बावजूद मिल के मृत मजदूरों के परिजन मुआवजे के लिए परेशान हो रहे हैं." उन्होंने कहा कि यह राशि करोड़ों में है, वहीं आगामी 23 जुलाई को इस मामले में तारीख लगी है.