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इंदौर HC का 'डिजिटल' आदेश, अब फटाफट दस्तावेज पहुंचेंगे कोर्ट, चट पेशी पट इंसाफ - Indore High Court Order

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

मध्य प्रदेश में लोगों को जल्द न्याय मिल सके, इसके लिए हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए न्याय प्रणाली को डिजिटल और ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है. इंदौर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी सहित संबंधित अधिकारियों को एक महीने के अंदर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं.

INDORE HIGH COURT ORDER
इंदौर HC का डिजिटल आदेश (ETV Bharat)

इंदौर: मध्य प्रदेश में आपराधिक न्याय प्रणाली को जल्द गति मिलने वाली है. हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने न्याय प्रणाली को डिजिटलाइजेशन करने को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है. दरअसल, पिछले दिनों एक सुनवाई कर न्याया प्रणाली की गति को दुरुस्त करने के लिए एक आदेश दिया था. जिसका परिणाम यह रहा कि अब जल्द ही डिजिटल और ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने को लेकर एक योजना बना दी गई है.

जिसके चलते अब कोर्ट में एफआईआर, चालान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट, समन, वारंट और लीगल नोटिस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज कुछ ही सेकंड में कोर्ट के समक्ष पहुंच जाएंगे. जिससे कोर्ट अब उस पर आसानी से सुनवाई कर सकता है.

कुछ सेकंड में दस्तावेज पहुंचेंगे कोर्ट

इंदौर हाईकोर्ट में कई बार किसी सुनवाई के दौरान एफआईआर रिपोर्ट के साथ ही चालान और फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं पहुंच पाती थी. जिसके कारण सुनवाई टल जाती थी. इन तमाम तरह की अटकलों को दूर करने के लिए पिछले दिनों कोर्ट ने सुनवाई कर मध्य प्रदेश डीजीपी सहित संबंधित अधिकारियों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करने के निर्देश दिए थे. उसका असर यह रहा कि अब आने वाले दिनों में ऑनलाइन तरीके से कोर्ट के समक्ष तमाम तरह की जानकारी कुछ ही सेकंड में भेजी जा सकती है.

कोर्ट ने एक माह में रिपोर्ट तैयार करने दिए निर्देश

वहीं हाईकोर्ट के रजिस्टार कुलदीप सिंह कुशवाहा और एससीआरबी चंचल शेखर को एक माह के भीतर रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा इंदौर पीठ के जस्टिस संजीव एस कलगांवकर ने 35 केस की डायरियां पेश न होने पर संज्ञान लिया और अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से इस डिजिटल परिवर्तन के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता पर उपलब्ध करवाने की अपेक्षा की है.

यहां पढ़ें...

मध्य प्रदेश में डेंगू के कहर पर सरकार से सवाल-जवाब, सख्त HC ने एक हफ्ते में मांगी ये रिपोर्ट

"सरकार हाथी पकड़ती है, 30 साल में कितने जंगली हाथी पकड़े?" एमपी हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

एससीआरबी को केंद्र सरकार से आईसीजेएस 2.0 योजना के अंतर्गत अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग करने के निर्देश दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने विश्वास व्यक्त किया है कि केंद्र और राज्य सरकार इस परियोजना के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाए. जिससे आपराधिक न्याय प्रणाली में तेजी आ सके. उसी का यह परिणाम रहा की अब पूरी तरीके से डिजिटल पद्धति पर इसका उपयोग होगा और इससे पारदर्शिता भी बनी रहेगी.

इंदौर: मध्य प्रदेश में आपराधिक न्याय प्रणाली को जल्द गति मिलने वाली है. हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने न्याय प्रणाली को डिजिटलाइजेशन करने को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है. दरअसल, पिछले दिनों एक सुनवाई कर न्याया प्रणाली की गति को दुरुस्त करने के लिए एक आदेश दिया था. जिसका परिणाम यह रहा कि अब जल्द ही डिजिटल और ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने को लेकर एक योजना बना दी गई है.

जिसके चलते अब कोर्ट में एफआईआर, चालान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट, समन, वारंट और लीगल नोटिस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज कुछ ही सेकंड में कोर्ट के समक्ष पहुंच जाएंगे. जिससे कोर्ट अब उस पर आसानी से सुनवाई कर सकता है.

कुछ सेकंड में दस्तावेज पहुंचेंगे कोर्ट

इंदौर हाईकोर्ट में कई बार किसी सुनवाई के दौरान एफआईआर रिपोर्ट के साथ ही चालान और फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं पहुंच पाती थी. जिसके कारण सुनवाई टल जाती थी. इन तमाम तरह की अटकलों को दूर करने के लिए पिछले दिनों कोर्ट ने सुनवाई कर मध्य प्रदेश डीजीपी सहित संबंधित अधिकारियों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करने के निर्देश दिए थे. उसका असर यह रहा कि अब आने वाले दिनों में ऑनलाइन तरीके से कोर्ट के समक्ष तमाम तरह की जानकारी कुछ ही सेकंड में भेजी जा सकती है.

कोर्ट ने एक माह में रिपोर्ट तैयार करने दिए निर्देश

वहीं हाईकोर्ट के रजिस्टार कुलदीप सिंह कुशवाहा और एससीआरबी चंचल शेखर को एक माह के भीतर रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा इंदौर पीठ के जस्टिस संजीव एस कलगांवकर ने 35 केस की डायरियां पेश न होने पर संज्ञान लिया और अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से इस डिजिटल परिवर्तन के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता पर उपलब्ध करवाने की अपेक्षा की है.

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एससीआरबी को केंद्र सरकार से आईसीजेएस 2.0 योजना के अंतर्गत अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग करने के निर्देश दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने विश्वास व्यक्त किया है कि केंद्र और राज्य सरकार इस परियोजना के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाए. जिससे आपराधिक न्याय प्रणाली में तेजी आ सके. उसी का यह परिणाम रहा की अब पूरी तरीके से डिजिटल पद्धति पर इसका उपयोग होगा और इससे पारदर्शिता भी बनी रहेगी.

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