इंदौर। शहर में ई-रिक्शा के कारण बिगड़ते ट्रैफिक का हवाला देकर आरटीओ ने इनकी बिक्री पर रोक लगा दी थी. इसके विरोध में एक याचिका इंदौर हाई कोर्ट में लगाई गई. इंदौर हाई कोर्ट ने ई-रिक्शा की बिक्री पर लगी रोक हटा दी है. ई-रिक्शा की बिक्री अब यथावत रहेगी. सड़क सुरक्षा समिति की अनुशंसा और इंदौर कलेक्टर के निर्देश पर आरटीओ द्वारा ई-रिक्शा की बिक्री पर रोक लगाई गई थी. ये रोक 12 फरवरी को लगाई गई थी. ई-रिक्शा बेचने वाली कंपनी मनीष सेल्स कॉरपोरेशन को इस बारे में आरटीओ ने पत्र भेजा था.
ई-रिक्शा की बिक्री रोकने का अधिकार आरटीओ को नहीं
इंदौर हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि आरटीओ को इस प्रकार का आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है. किसी वाहन की बिक्री पर रोक लगाने का अधिकार जीएसटी विभाग को है. हाईकोर्ट के इस आदेश से ई-रिक्शा चालकों ने राहत की सांस ली है. बता दें कि ई-रिक्शा से प्रदूषण नहीं फैलता. साथ ही इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है. इसके अलावा शहरवासियों को आने-जाने के लिए ई-रिक्शा सुगम साधन लगते हैं. इसलिए इस आदेश से शहरवासी भी खुश होंगे.
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ग्वालियर बार एसोसिएशन ने जवाब पेश किया
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने वकीलों द्वारा की गयी हडातल को संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. हाईकोर्ट ने हड़ताल करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी किये थे. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष बार काउसिलिंग ने कार्यकारी समिति की मिनट्स रिपोर्ट पेश की गई. ग्वालियर बार एसोसिएशन की तरफ से नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया गया. वहीं, इंदौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से जवाब पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने दो दिन का समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 29 फरवरी को निर्धारित की है.