इंदौर: देशभर में आने वाले दिनों में गणेश उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा, लेकिन इंदौर में गणेश उत्सव समापन के बाद चलित झांकियां का कारवां निकलता है. यह तकरीबन 100 साल पुरानी संस्कृति है. जिसको जीवित रखने के लिए अभी भी मिल मजदूर संघर्ष करते हुए देखे जा सकते हैं. इसी कड़ी में इंदौर के कई उद्योगपति और समाजसेवी सामने आ रहे हैं, जो मिल मजदूरों को झांकियां के निर्माण को लेकर रुपए उपलब्ध करवा रहे हैं.
100 साल पुरानी झांकियों की परंपरा
गणेश उत्सव के समापन के दौरान इंदौर में झिलमिल झांकियां सड़कों पर उतरती है. जिन्हें निहारने के लिए सैकड़ों लोग आते हैं, लेकिन झांकियां के निर्माण में लाखों रुपए लगते हैं. इंदौर में जब मिल चलती थी, उस समय मिल प्रबंधक और मिल मजदूर आपस में मिलकर इन झांकियां का निर्माण करवाते थे, लेकिन जब से मिल बंद हुई है. उसके बाद इन झांकियां के निर्माण में किसी तरह की कोई रुकावट ना आए उसको लेकर मिल मजदूर अभी भी संघर्ष करते हुए देखे जा सकते हैं.
समाजसेवी व उद्योगपती कर रहे मदद
तकरीबन 100 साल पुरानी झांकियों की परंपरा न टूटे इसको लेकर अभी से मिल मजदूरों ने इंदौर के विभिन्न समाज सेवियों सहित उद्योगपति और जनप्रतिनिधियों के दरवाजे खटखटाना शुरू कर दिये हैं. कई समाजसेवी और उद्योगपति इन मिल मजदूरों को झांकियां के निर्माण को लेकर राशि भी उपलब्ध करवा रहे हैं. इसी क्रम में एक संस्था द्वारा हजारों रुपए के चेक 5 मिल मजदूरों को उपलब्ध करवाए गए हैं. आने वाले दिनों में कई और लोग भी इन मजदूरों का सहयोग कर सकते हैं.
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प्रदेश सरकार से नहीं मिल रही कोई मदद
मिल मजदूरों का कहना है कि "100 साल पुरानी संस्कृति को जीवित रखने के लिए अलग-अलग तरह के प्रयत्न किए जा रहे हैं, तो वहीं मिल मजदूरों को सरकार की ओर से भी मदद की आवश्यकता है. कई बार मध्य प्रदेश सरकार के सांस्कृतिक विभाग को भी इंदौर की धरोहर को सहजने को लेकर पत्राचार किया जा चुका है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार 100 साल पुरानी झांकियों के करवा को लेकर किस तरह की कोई मदद नहीं कर रही है."