इंदौर। लोकसभा चुनाव के पूर्व मध्य प्रदेश के किसानों ने गेहूं के समर्थन मूल्य को लेकर राज्य और केंद्र सरकार को तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं. दरअसल, किसानों की मांगों के मद्देजनर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रुपए प्रति क्विंटल और धान ₹3100 प्रति क्विंटल करने का वादा किया गया था. वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं के समर्थन मूल्य की खरीदी प्रति क्विंटल 2275 रुपए के हिसाब से किसानों का पंजीयन किया जा रहा है .
विधानसभा चुनाव में किसानों को झूठे सपने दिखाए
गेहूं सरकारी खरीदी में 2275 रुपए प्रति क्विंटल ही खरीदा जाएगा. किसानों का आरोप है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व किसानों को झूठे सपने दिखाए गए. खुद प्रधानमंत्री के अलावा पार्टी की प्रदेश इकाई ने किसानों को बताया था कि गेहूं 2275 रुपए के स्थान पर 2700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीदा जाएगा. विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने इस मामले में कोई पहल नहीं की. फिलहाल प्रदेश भर में गेहूं की खरीदी के लिए पंजीयन 2275 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से हो रहा है. इसे लेकर किसान भारी नाराज हैं.
भारतीय किसान संघ ने खोला मोर्चा
किसानों के साथ वादाखिलाफी के विरोध में भारतीय किसान संघ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मंगलवार को प्रदेश भर के 17 जिलों में किसानों ने जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करके चुनावी घोषणा के अनुसार समर्थन मूल्य 2275 के स्थान पर ₹2700 प्रति क्विंटल करने की मांग की. किसानों ने धान की खरीदी भी ₹3100 प्रति क्विंटल के भाव से खरीदने की मांग दोहराई है. भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष दिलीप मुकाती के मुताबिक राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों मिलकर किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में हमें न केवल मोहन सरकार बल्कि मोदी सरकार की गारंटी की हकीकत भी समझ में आती है.
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लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने की चेतावनी
किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव का वादा लोकसभा चुनाव तक भी पूरा नहीं किया जाता तो इस वादे को याद दिलाना जरूरी है. यह मांग नहीं मानी तो लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को नाराजगी का शिकार होना पड़ सकता है. किसानों का आरोप यह भी है कि फल सब्जी मंडी में लहसुन की खरीदी भी कम दामों में हो रही है. मंडी समितियों द्वारा जो खरीदी की जा रही है उसमें किसानों को पहले से भी अपनी उपज का कम दाम मिल रहा है, जो कहीं ना कहीं मंडी प्रशासन के कुप्रबंधन का नतीजा है. इस मामले में भी सुधार नहीं किया तो फल सब्जी मंडी में भी किसान विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे.