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बाबू और बीवी के साथ किया 7-7 रातों का करार, थाने पहुंची 'बेबी' तो 200 रातों तक करना पड़ा जेल का दीदार - Indore husband wife lover agreement

मध्यप्रदेश की इंदौर जिला अदालत ने दुष्कर्म के आरोपी को दोषमुक्त करने का आदेश सुनाया है. दरअसल, ये फैसला इस आधार पर सुनाया गया कि लिव-इन पार्टनर व उसके प्रेमी के बीच एफआईआर दर्ज होने से पहले एक एग्रीमेंट हुआ था. इसके अनुसार युवक 7 दिन व पत्नी व 7 दिन प्रेमिका के साथ रहेगा.

INDORE LIVE IN PARTNER AGREEMENT
लिव-इन पार्टनर और प्रेमी के बीच अनोखा एग्रीमेंट (Etv Bharat Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 8, 2024, 5:24 PM IST

Updated : May 9, 2024, 12:36 PM IST

दुष्कर्म के आरोपी को दोषमुक्त करने का आदेश (Etv Bharat Video)

इंदौर। इंदौर जिला अदालत ने अपनी लिव-इन पार्टनर के साथ दुष्कर्म, गर्भपात के लिए मजबूर करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोपी 34 वर्षीय विवाहित व्यक्ति को बरी कर दिया. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा "लिव-इन पार्टनर शिकायतकर्ता 29 वर्षीय महिला व आरोपी के बीच एक एग्रीमेंट हुआ था, उसी आधार पर दोषमुक्त किया जाता है." एफआईआर दर्ज होने से काफी दिन पहले लिव इन पार्टनर का अपने प्रेमी से समझौता हुआ था. इसके अनुसार युवक को 7 दिन प्रेमिका के साथ और 7 दिन पत्नी के साथ रहना था.

प्रेमिका ने 3 साल पहले दर्ज कराया था मामला

सूत्रों के अनुसार महिला की शिकायत के आधार पर 27 जुलाई 2021 को इंदौर के भवरकुआं पुलिस स्टेशन में उस व्यक्ति के खिलाफ शादी के बहाने उसके साथ बार-बार दुष्कर्म करने, गर्भपात कराने के लिए मजबूर करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. युवक को 15 अगस्त 2021 को गिरफ्तार किया गया था. 2 मार्च 2022 को जमानत पर रिहा होने से पहले उसने 200 दिन जेल में बिताए.

सारे तथ्यों को सुनने के बाद किया बरी

इंदौर जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जयदीप सिंह ने तथ्यों और सबूतों पर विचार करने के बाद युवक को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (एन) (एक महिला से बार-बार दुष्कर्म), धारा 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात) के आरोपों से बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा "महिला ने 15 जून, 2021 को उस व्यक्ति के साथ एक समझौता किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वह पहले से ही शादीशुदा है और एक सप्ताह के लिए उसके और उसकी पत्नी के साथ बारी-बारी से रहेगा. समझौते में यह भी कहा गया कि महिला और पुरुष पिछले दो साल से रिलेशनशिप में थे."

कोर्ट ने कहा- सहमति से बने शारीरिक संबंध

जज का फैसला- "समझौते से साफ है कि महिला और पुरुष लिव-इन रिलेशनशिप में थे. उनके शारीरिक संबंध सहमति से बने थे और युवक पहले से ही शादीशुदा था. उससे शादी करने की स्थिति में नहीं था." अदालत ने उस व्यक्ति को आरोपों से बरी करते हुए कहा, "ऐसी परिस्थितियों में, इस व्यक्ति को दुष्कर्म और जबरन गर्भपात का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. जहां तक ​शिकायतकर्ता महिला को जान से मारने की धमकी का सवाल है, रिकॉर्ड पर कोई विश्वसनीय सबूत नहीं हैं."

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एडवोडेट ने दी एग्रीमेंट की जानकारी

एडवोकेट सोनाली गुप्ता ने बताया - "युवती एक हॉस्टल में वार्डन थी. उसकी युवक से मुलाकात हुई. युवक के शादीशुदा होने की जानकारी होने के बाद युवती ने इस तरह का कॉन्ट्रैक्ट बनाया. युवक और युवती के बीच कॉन्ट्रैक्ट हुआ. जिसमें 7 दिन जब युवक की इच्छा होगी तो उस दौरान वह अपनी पत्नी और बच्चों से मिल सकता है. इस दौरान यदि जिस युवती के साथ वह रह रहा है, उसकी इच्छा हुई तो वह भी जा सकती है. इस दौरान युवक उसको नहीं ले जाने को लेकर आपत्ति नहीं ले सकता. इसी के साथ युवती ने कांट्रेक्ट बनाकर लिव-इन में रहना पसंद किया था."

दुष्कर्म के आरोपी को दोषमुक्त करने का आदेश (Etv Bharat Video)

इंदौर। इंदौर जिला अदालत ने अपनी लिव-इन पार्टनर के साथ दुष्कर्म, गर्भपात के लिए मजबूर करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोपी 34 वर्षीय विवाहित व्यक्ति को बरी कर दिया. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा "लिव-इन पार्टनर शिकायतकर्ता 29 वर्षीय महिला व आरोपी के बीच एक एग्रीमेंट हुआ था, उसी आधार पर दोषमुक्त किया जाता है." एफआईआर दर्ज होने से काफी दिन पहले लिव इन पार्टनर का अपने प्रेमी से समझौता हुआ था. इसके अनुसार युवक को 7 दिन प्रेमिका के साथ और 7 दिन पत्नी के साथ रहना था.

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सूत्रों के अनुसार महिला की शिकायत के आधार पर 27 जुलाई 2021 को इंदौर के भवरकुआं पुलिस स्टेशन में उस व्यक्ति के खिलाफ शादी के बहाने उसके साथ बार-बार दुष्कर्म करने, गर्भपात कराने के लिए मजबूर करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. युवक को 15 अगस्त 2021 को गिरफ्तार किया गया था. 2 मार्च 2022 को जमानत पर रिहा होने से पहले उसने 200 दिन जेल में बिताए.

सारे तथ्यों को सुनने के बाद किया बरी

इंदौर जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जयदीप सिंह ने तथ्यों और सबूतों पर विचार करने के बाद युवक को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (एन) (एक महिला से बार-बार दुष्कर्म), धारा 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात) के आरोपों से बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा "महिला ने 15 जून, 2021 को उस व्यक्ति के साथ एक समझौता किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वह पहले से ही शादीशुदा है और एक सप्ताह के लिए उसके और उसकी पत्नी के साथ बारी-बारी से रहेगा. समझौते में यह भी कहा गया कि महिला और पुरुष पिछले दो साल से रिलेशनशिप में थे."

कोर्ट ने कहा- सहमति से बने शारीरिक संबंध

जज का फैसला- "समझौते से साफ है कि महिला और पुरुष लिव-इन रिलेशनशिप में थे. उनके शारीरिक संबंध सहमति से बने थे और युवक पहले से ही शादीशुदा था. उससे शादी करने की स्थिति में नहीं था." अदालत ने उस व्यक्ति को आरोपों से बरी करते हुए कहा, "ऐसी परिस्थितियों में, इस व्यक्ति को दुष्कर्म और जबरन गर्भपात का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. जहां तक ​शिकायतकर्ता महिला को जान से मारने की धमकी का सवाल है, रिकॉर्ड पर कोई विश्वसनीय सबूत नहीं हैं."

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एडवोकेट सोनाली गुप्ता ने बताया - "युवती एक हॉस्टल में वार्डन थी. उसकी युवक से मुलाकात हुई. युवक के शादीशुदा होने की जानकारी होने के बाद युवती ने इस तरह का कॉन्ट्रैक्ट बनाया. युवक और युवती के बीच कॉन्ट्रैक्ट हुआ. जिसमें 7 दिन जब युवक की इच्छा होगी तो उस दौरान वह अपनी पत्नी और बच्चों से मिल सकता है. इस दौरान यदि जिस युवती के साथ वह रह रहा है, उसकी इच्छा हुई तो वह भी जा सकती है. इस दौरान युवक उसको नहीं ले जाने को लेकर आपत्ति नहीं ले सकता. इसी के साथ युवती ने कांट्रेक्ट बनाकर लिव-इन में रहना पसंद किया था."

Last Updated : May 9, 2024, 12:36 PM IST
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