इंदौर: केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई से देश में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू किया गया था. ऐसे में लॉ के विद्यार्थियों को अपडेट रखने के लिए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने प्रयास शुरू कराते हुए इसे यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ स्टडीज के सामने रखने की तैयारी कर ली है. पाठ्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया जारी है. बोर्ड की अनुमति मिलने के बाद करीब 6 माह की अवधि में लागू हुए 3 नए दंड विधियों को शामिल करने की तैयारी है.
विधि से जुड़े लोगों के लिए कानूनी जानकारी जरूरी
केंद्र सरकार द्वारा भारतीय न्याय व्यवस्था में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. 1 जुलाई से इन बदलावों को लागू भी कर दिया गया है. अब कानून से जुड़े लोगों को इनमें किए गए बदलाव की जानकारी होना भी जरूरी है. ऐसे में विधि के विद्यार्थियों के सिलेबस में भी बदलाव की कवायद शुरू हो गई है. इसे लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया यानि बीसीआई ने देश के सभी विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश भेजे हैं कि वह नए कानून के साथ ही पुराने कानून की भी पढ़ाई को सिलेबस में शामिल रखें. इससे छात्रों को नए और पुराने दोनों कानून की बराबर जानकारी हो सकेगी. डीएवीवी भी इस मामले को अपने बोर्ड ऑफ स्टडीज के सामने रख रहा है और बोर्ड के निर्णय के अनुसार ही इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा.
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सिलेबस के साथ शिक्षकों के लिए होगी वर्कशॉप
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी के अनुसार ''बार काउंसिल के निर्देश पर सिलेबस को अपग्रेड किया जा रहा है. सिलेबस तैयार करने से पहले शिक्षकों के लिए वर्कशॉप आयोजित कर उन्हें अपडेट करना होगा. डीएवीवी के बोर्ड ऑफ स्टडीज के अप्रूवल के बाद सिलेबस में नए कानून का समावेश किया जाएगा. तीसरे सेमेस्टर से इसकी पढ़ाई शुरू होगी. डीएवीवी की कोशिश ये है कि इसी सत्र से स्टूडेंट्स नए कानून की पढ़ाई कर सकें, हालांकि यह बोर्ड के अनुमोदन और स्टडी मटेरियल की उपलब्धता पर निर्भर करेगा."