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इंदौर बनेगा मुक्तिधामों का विकास मॉडल, एक दर्जन मुक्तिधाम और 10 कार्यालयों की बदलेगी रंगत - INDORE 12 Muktidhams renovated

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह की पहल पर शहर के 12 मुक्तिधाम और सामाजिक न्याय तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की 10 संस्थाओं का जनभागीदारी से जीर्णोद्धार होने जा रहा है. कलेक्टर ने मुक्तिधामों का निरीक्षण कर जीर्णोद्धार कार्यों का जायेजा लिया.

INDORE 12 MUKTIDHAMS RENOVATED
कलेक्टर आशीष सिंह ने किया मुक्तिधाम का निरीक्षण (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 1:53 PM IST

इंदौर। आमतौर पर प्रदेश के हर जिलों में मुक्तिधामों की स्थिति जर्जर और उपेक्षित है. लेकिन स्वच्छ शहर इंदौर ने न केवल सभी मुक्तिधामों को विकसित कर रखा है बल्कि वह रखरखाव की दृष्टि से भी सबसे उन्नत और अत्याधुनिक श्रेणी में है. दरअसल इसकी वजह है शहर के बिल्डरों और सामाजिक संस्थाओं से प्राप्त होने वाली सीएसआर फंड की राशि. जिसके उपयोग से एक बार फिर एक दर्जन मुक्तिधामों के विकास के अलावा महिला बाल विकास और सामाजिक न्याय विभाग के कार्यालय का भी रखरखाव और निर्माण होने जा रहा है.

इंदौर में मुक्तिधामों का होगा कायाकल्प (Etv Bharat)

फंड से मुक्तिधाम और कार्यालय का होगा कायाकल्प

दरअसल, इंदौर में CREDAI (Confederation of Real Estate Developers' Associations of India) के अलावा रियल एस्टेट सेक्टर की कई बड़ी कंपनियां हैं, जो सीएसआर फंड के तहत फंडिंग करती हैं. सीएसआर फंड को सामाजिक गतिविधियों के लिए खर्च करने की ऐसी ही बाध्यता सामाजिक संस्थाओं को लेकर भी है. लिहाजा इंदौर जिला प्रशासन ने इस मद में प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग शहर के तमाम मुक्तिधामों के विकास के अलावा जरूरत के मुताबिक शासकीय कार्यालय के रखरखाव के लिए कर रखा है. यही वजह है कि अन्य शहरों की तुलना में यहां के मुक्तिधाम सुव्यवस्थित और सुविधा जनक हैं. इस साल इंदौर जिला प्रशासन ने फिर सीएसआर फंड के तहत शहर के एक दर्जन मुक्ति धाम और 10 शासकीय कार्यालय के परिसर जिनमें महिला बाल विकास एवं सामाजिक कल्याण विभाग के परिसर हैं उन्हें उन्नत करने का फैसला किया है.

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कलेक्टर ने लिया मुक्तिधाम का जायजा

इसे लेकर जिला प्रशासन की टीम के साथ इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने मुक्तिधाम का निरीक्षण किया. उन्होंने परिसरों में नए सिरे से रखरखाव और जरूरत के मुताबिक निर्माण करने के निर्देश दिए. साथ ही मुक्तिधामों में लगे हरे भरे पेड़ों को अगर जरुरत हुई तभी अन्य जगहों पर ट्रांसप्लांट किया जाएगा. कलेक्टर ने कहा कि ''मुक्तिधाम में आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े इसका खास ख्याल रखा जाएगा. कई बार देखने को मिलता है कि शोक सभा के दौरान मुक्तिधामों में सुविधा नहीं होने की वजह से परेशानी होती है, इसलिए प्रोजेक्ट के तहत बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी.''

इंदौर। आमतौर पर प्रदेश के हर जिलों में मुक्तिधामों की स्थिति जर्जर और उपेक्षित है. लेकिन स्वच्छ शहर इंदौर ने न केवल सभी मुक्तिधामों को विकसित कर रखा है बल्कि वह रखरखाव की दृष्टि से भी सबसे उन्नत और अत्याधुनिक श्रेणी में है. दरअसल इसकी वजह है शहर के बिल्डरों और सामाजिक संस्थाओं से प्राप्त होने वाली सीएसआर फंड की राशि. जिसके उपयोग से एक बार फिर एक दर्जन मुक्तिधामों के विकास के अलावा महिला बाल विकास और सामाजिक न्याय विभाग के कार्यालय का भी रखरखाव और निर्माण होने जा रहा है.

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दरअसल, इंदौर में CREDAI (Confederation of Real Estate Developers' Associations of India) के अलावा रियल एस्टेट सेक्टर की कई बड़ी कंपनियां हैं, जो सीएसआर फंड के तहत फंडिंग करती हैं. सीएसआर फंड को सामाजिक गतिविधियों के लिए खर्च करने की ऐसी ही बाध्यता सामाजिक संस्थाओं को लेकर भी है. लिहाजा इंदौर जिला प्रशासन ने इस मद में प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग शहर के तमाम मुक्तिधामों के विकास के अलावा जरूरत के मुताबिक शासकीय कार्यालय के रखरखाव के लिए कर रखा है. यही वजह है कि अन्य शहरों की तुलना में यहां के मुक्तिधाम सुव्यवस्थित और सुविधा जनक हैं. इस साल इंदौर जिला प्रशासन ने फिर सीएसआर फंड के तहत शहर के एक दर्जन मुक्ति धाम और 10 शासकीय कार्यालय के परिसर जिनमें महिला बाल विकास एवं सामाजिक कल्याण विभाग के परिसर हैं उन्हें उन्नत करने का फैसला किया है.

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इसे लेकर जिला प्रशासन की टीम के साथ इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने मुक्तिधाम का निरीक्षण किया. उन्होंने परिसरों में नए सिरे से रखरखाव और जरूरत के मुताबिक निर्माण करने के निर्देश दिए. साथ ही मुक्तिधामों में लगे हरे भरे पेड़ों को अगर जरुरत हुई तभी अन्य जगहों पर ट्रांसप्लांट किया जाएगा. कलेक्टर ने कहा कि ''मुक्तिधाम में आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े इसका खास ख्याल रखा जाएगा. कई बार देखने को मिलता है कि शोक सभा के दौरान मुक्तिधामों में सुविधा नहीं होने की वजह से परेशानी होती है, इसलिए प्रोजेक्ट के तहत बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी.''

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