इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के महू स्थित मदरसा से जुड़ी घटना सामने आई है. महू के पास बड़गोंदा थाना क्षेत्र स्थित मदरसे में एक 10 साल के बच्चे के साथ बावर्ची ने अप्राकृतिक कृत्य किया. पुलिस ने बताया कि घटना की शिकायत मिलने के बाद उस बावर्ची के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया. बावर्ची को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. वहीं इस घटना पर पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने नाराजगी जताते हुए मदरसा बंद करने की बात कही है.'
मदरसे में बच्चे के साथ बावर्ची ने किया कुकृत्य
महू के बडगोंदा थाना क्षेत्र स्थित मदरसे में पढ़ने वाले एक बच्चे ने बडगोंदा पुलिस में शिकायत की की उसके साथ मदरसे में रहने वाले बावर्ची द्वारा कुकृत्य किया गया है. यह घटना 3 अगस्त की है, कुकृत्य करने के बाद बावर्ची द्वारा बच्चों को धमकाया गया था. जब बच्चा मदरसे से कुछ समय बाद घर आया, तो उसने पूरी घटना परिवार को बताई. जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ. बच्चे ने परिजनों के साथ बडगोंदा थाना पहुंचकर बावर्ची के खिलाफ मामला दर्ज कराया.
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उषा ठाकुर बोलीं मदरसे में आतंकवादी प्रशिक्षण की शिक्षा
मदरसे में बच्चों के साथ कुकृत्य किए जाने के मामले में महू की विधायक व पूर्व मंत्री उषा ठाकुर का बयान सामने आया है. पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने पूरे मामले को लेकर कहा है कि 'जो घटना सामने आई है. उसमें कठोरतम दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. यह मदरसे सचमुच बंद किए जाने चाहिए, क्योंकि तार्किक शिक्षा आधुनिक शिक्षा इसकी आवश्यकता आज के बच्चों को है. यह धर्मांधता की कट्टरता और आतंकवादियों के प्रशिक्षण की यह सारी शिक्षा मदरसे में ही होती है. इन्हें बंद किया जाना चाहिए.'
उलमा ए हिंद ने कहा कानून की बात करें
इस मामले पर ईटीवी भारत ने मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित जमीयत उलमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष हाजी हारून ने बात की और साथ ही मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोरे से प्रतिक्रिया ली.
"कानून में स्कूल, मदरसा और कॉलेज की बात नहीं होती. यदि कोई अपराध करता है, तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए. ये घटनाएं जगह देख कर नहीं होती. इनसे किसी समाज का नहीं बल्कि अपराधी से ताल्लुक होता है. इसलिए पूरे सिस्टम को टार्गेट करना गलत है." - हाजी हारून, प्रदेश अध्यक्ष, जमीयत उलमा हिंद.
"आयोग घटना के सम्बन्ध में जांच कराएगा. इसके साथ ही हम प्रदेश के सभी मदरसों कि जांच करा रहे हैं, जिससे अपराधियों कि पहचान हो सके." - देवेंद्र मोरे, अध्यक्ष, एमपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग.