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गेहूं के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रहा गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, जलवायु के अनुसार की जा रही गेहूं की किस्म तैयार - research in wheat farming

Research in Wheat Farming: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में गेहूं एवं जौ की उत्पादकता बढ़ाने को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर. एस. परोदा ने कहा कि संस्थान गेहूं और जौ उत्पादन बढ़ाने की दिशा में बेहतरीन कार्य कर रहा है.

Indian Wheat and Barley Research Institute Karnal Wheat varieties
गेहूं के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रहा गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 17, 2024, 2:17 PM IST

करनाल: हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में गेहूं एवं जौ की उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक दिवसीय विचार मंथन बैठक का आयोजन किया गया. यह बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर. एस. परोदा की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में पद्मश्री डॉ. रवि पी सिंह अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक, डॉ. पी.के. सिंह कृषि आयुक्त, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार, संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह और संस्थान के सभी वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. इस अवसर पर डॉ. आर. एस. परोदा ने कहा भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान गेहूं और जौ पर लगातार पिछले काफी समय से काम करता आ रहा है, जिसकी बदौलत भारत में गेहूं उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं किसानों को इसका बहुत ज्यादा फायदा हुआ है.

पहले गेहूं के क्षेत्र में थी काफी समस्याएं: डॉ. आर. एस. परोदा ने कहा वैज्ञानिकों के सामने गेहूं के क्षेत्र में काफी समस्याएं थी, जिसे खत्म करने के लिए उनके विभाग लगातार काम कर रहे हैं. हाल ही में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है. उन्होंने गेहूं के क्षेत्र में बहुत से बेहतरीन कार्य किए हैं. चाहे वह गेहूं में पीले रतवा की बीमारी पर काबू पाना हो या गेहूं की फसल में अन्य समस्या को. इसी के चलते भारत सरकार के द्वारा उनको पद्मश्री के अवार्ड से नवाजा गया.

Indian Wheat and Barley Research Institute Karnal
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल.

गेहूं उत्पादन पर जोर: पिछले कई दशकों से गेहूं पर काम कर रहे हैं इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिले हैं. उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया और भारत को गेहूं उत्पादन में विश्व पटल पर प्रथम स्थान पर आना है. पद्मश्री डॉ. रवि पी. सिंह ने लोजिंग प्रतिरोधी गेहूं की किस्में विकसित करने पर जोर दिया और गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने वाले जीन्स को प्रजनन कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने की सलाह दी. डॉ. पी के सिंह ने गेहूं उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया

Indian Wheat and Barley Research Institute Karnal
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल गेहूं की किस्मों पर रिसर्च..

जलवायु को ध्यान में रखते हुए इजाद की जा रही गेहूं की किस्में: संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा में 80 फीसदी के आस-पास क्षेत्रफल जलवायु सहनशील किस्मों के अंतर्गत है. किसानों एवं वैज्ञानिकों की अथक मेहनत से अबकी बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त करने में सफल होंगे. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में ऐसी गेहूं की किस्म तैयार की जा रही है जो वहां के वातावरण के अनुकूल होती हैं. वैज्ञानिकों के सामने एक बड़ी समस्या क्षेत्र जलवायु होती थी. उस पर विभाग लगातार काम कर रहा है जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं. निश्चित और पर हम आने वाले समय में विश्व में गेहूं उत्पादन में नंबर वन पर विराजमान होंगे.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के किसानों के लिए राहत भरी खबर, मूंग का बीज खरीदने के लिए करें रजिस्ट्रेशन, पाएं 75 फीसदी सब्सिडी

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करनाल: हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में गेहूं एवं जौ की उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक दिवसीय विचार मंथन बैठक का आयोजन किया गया. यह बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर. एस. परोदा की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में पद्मश्री डॉ. रवि पी सिंह अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक, डॉ. पी.के. सिंह कृषि आयुक्त, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार, संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह और संस्थान के सभी वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. इस अवसर पर डॉ. आर. एस. परोदा ने कहा भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान गेहूं और जौ पर लगातार पिछले काफी समय से काम करता आ रहा है, जिसकी बदौलत भारत में गेहूं उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं किसानों को इसका बहुत ज्यादा फायदा हुआ है.

पहले गेहूं के क्षेत्र में थी काफी समस्याएं: डॉ. आर. एस. परोदा ने कहा वैज्ञानिकों के सामने गेहूं के क्षेत्र में काफी समस्याएं थी, जिसे खत्म करने के लिए उनके विभाग लगातार काम कर रहे हैं. हाल ही में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है. उन्होंने गेहूं के क्षेत्र में बहुत से बेहतरीन कार्य किए हैं. चाहे वह गेहूं में पीले रतवा की बीमारी पर काबू पाना हो या गेहूं की फसल में अन्य समस्या को. इसी के चलते भारत सरकार के द्वारा उनको पद्मश्री के अवार्ड से नवाजा गया.

Indian Wheat and Barley Research Institute Karnal
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल.

गेहूं उत्पादन पर जोर: पिछले कई दशकों से गेहूं पर काम कर रहे हैं इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिले हैं. उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया और भारत को गेहूं उत्पादन में विश्व पटल पर प्रथम स्थान पर आना है. पद्मश्री डॉ. रवि पी. सिंह ने लोजिंग प्रतिरोधी गेहूं की किस्में विकसित करने पर जोर दिया और गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने वाले जीन्स को प्रजनन कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने की सलाह दी. डॉ. पी के सिंह ने गेहूं उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया

Indian Wheat and Barley Research Institute Karnal
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल गेहूं की किस्मों पर रिसर्च..

जलवायु को ध्यान में रखते हुए इजाद की जा रही गेहूं की किस्में: संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा में 80 फीसदी के आस-पास क्षेत्रफल जलवायु सहनशील किस्मों के अंतर्गत है. किसानों एवं वैज्ञानिकों की अथक मेहनत से अबकी बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त करने में सफल होंगे. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में ऐसी गेहूं की किस्म तैयार की जा रही है जो वहां के वातावरण के अनुकूल होती हैं. वैज्ञानिकों के सामने एक बड़ी समस्या क्षेत्र जलवायु होती थी. उस पर विभाग लगातार काम कर रहा है जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं. निश्चित और पर हम आने वाले समय में विश्व में गेहूं उत्पादन में नंबर वन पर विराजमान होंगे.

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