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ट्रेन के वेटिंग टिकट पर स्लीपर कोच में एंट्री बंद, एक सीट कंफर्म, दूसरी प्रतीक्षा में तो ये होगा, बदले रेलवे के नियम - train waiting ticket news

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 30, 2024, 11:51 AM IST

Updated : Jul 30, 2024, 11:57 AM IST

Indian Railways rules regarding waiting tickets भारतीय रेलवे ने अपने कुछ नियमों में बदलाव किया है. रेलवे वेटिंग टिकट पर स्लीपर कोच में घुसने वालों पर अब एक्शन लेने जा रही है. यात्री सोच रहे होंगे वेटिंग टिकट पर स्लीपर कोच में चढ़ गए तो ऐसा क्या एक्शन हो जाएगा? अगर एक टिकट कंफर्म हुआ और दूसरा वेटिंग है तो क्या करेंगे. इस खबर को पढ़िए, आपके हर सवाल का जवाब मिल जाएगा.

Indian Railways rules
वेटिंग टिकट का नया नियम (Photo- ETV Bharat)

देहरादून: कुछ दिन पहले भारतीय संसद में ट्रेनों में कंफर्म सीट मिलती ही नहीं का मुद्दा उठा था. दरअसल वेटिंग टिकट वाले यात्री ट्रेन के किसी भी डिब्बे में जबरदस्ती घुस जाते हैं. ऐसे में कंफर्म टिकट वाले यात्री परेशान होते हैं. उनकी यात्रा मुसीबत बन जाती है. लगभग रोजाना सभी ट्रेनों में कंफर्म टिकट वालों को इस बड़ी दिक्कत से दो-चार होना पड़ता है.

रेलवे के नए नियम जान लें: भारतीय रेलवे प्रशासन को हर दिन इससे जुड़ी शिकायतें बड़ी संख्या में मिल रही थीं. भारतीय संसद में यह मुद्दा उठने के बाद अब रेलवे प्रशासन एक्शन में आया है. रेलवे के इस एक्शन से अब वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर डिब्बे में यात्रा करने वाले लोग संभल जाएं. अब वह वेटिंग लिस्ट वाले यात्री स्लीपर कोच में यात्रा नहीं कर पाएंगे. रेलवे की ओर से इसके खिलाफ अभियान शुरू कर दिया गया है. ऐसे यात्रियों पर जुर्माना लगाया जा रहा है. उन्हें स्लीपर कोच से जनरल कोच में भेजा जा जा रहा है. अगर आप अब वेटिंग टिकट को लेकर कंफ्यूज हैं तो हम इसका समाधान भी आपको बताते हैं.

Indian Railways rules
वेटिंग टिकट का नियम (ETV Bharat Graphics)

बुकिंग विंडो से लिए वेटिंग टिकट से स्लीपर कोच में नहीं होगा सफर: अगर आपने ऑनलाइन टिकट बुक कराया और ये वेटिंग में है तो कन्फर्म नहीं होने पर टिकट ऑटोमेटिक कैंसिल हो जाएगा. टिकट कैंसिल होते ही आपका पैसा रिफंड हो जाता है. हालांकि अभी तक लोगों को यही लगता है कि बुकिंग विंडो से अगर वेटिंग टिकट भी ले लें, तो भी ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा करना उनका अधिकार है. वास्तव में ऐसा है नहीं. रेलवे ने ये साफ किया है कि बुकिंग विंडो से लिया गया वेटिंग टिकट स्लीपर कोच में यात्रा की परमिशन नहीं देता है. ऐसे टिकट से यात्री जनरल कोच में ही सफर कर सकता है. अब अगर कोई व्यक्ति वेटिंग टिकट लेकर, ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा करता हुआ पकड़ा जाएगा, तो सजा उसको सजा भगतनी पड़ेगी.

नियम तोड़ा तो इतना लगेगा जुर्माना: रेलवे के अधिकारी बता रहे हैं कि चेकिंग के दौरान TTE जहां से ट्रेन शुरू हुई और जहां तक जाएगी वहां तक का जुर्माना वसूल सकता है. अगर वेटिंग टिकट पर पैसेंजर शयनयान डिब्बे में सफर कर रहा है, तो उसको जनरल कोच में भेज देगा. रेलवे अधिकारी बता रहे हैं कि जीआरपी (Government Railway Police) और आरपीएफ (Railway Protection Force) की गश्त ट्रेनों में बढ़ाई गई है. ये गश्त इसलिए बढ़ाई गई है कि जिससे वेटिंग टिकट वाले यात्री कंफर्म टिकट वाले यात्रियों के लिए परेशानी का कारण न बनें.

Indian Railways rules
एक ट्रेन में कितने वेटिंग टिकट (ETV Bharat Graphics)

इसलिए जारी होता है वेटिंग टिकट: रेलवे अधिकारी बताते हैं कि विभिन्न ट्रेनों में अलग-अलग वेटिंग टिकट बुकिंग का इंतजाम है. डिब्बे में वेटिंग टिकट इसलिए भी मिलता है, क्योंकि अगर किसी कंफर्म सीट वाले यात्री ने टिकट रद्द किया तो रेलवे को घाटा ना हो. इसलिए इस तरह के यात्रियों को यात्रा करने की सहूलियत दे दी जाती है. ऐसे में यात्री को रेलवे वेटिंग टिकट भी देता है. जब ट्रेन में कंफर्म टिकट वाले यात्रियों संख्या सीटों के बराबर होती है, तो फिर वेटिंग टिकट वालों को सामान्य कोच में ही यात्रा की अनुमति दी जाती है.

एक सीट कन्फर्म और बाकी वेटिंग में हैं तो क्या होगा? रेलवे के जानकार बताते हैं कि बुकिंग विंडो टिकट बना है तो फिर स्लीपर कोच यानी शयनयान में एक ही पीएनआर (Passenger Name Record) पर अगर दो से ज्यादा यात्रियों के टिकट बुक हैं और एक ही सीट कंफर्म है, तो भी वेटिंग के यात्री उस यात्री के साथ सफर कर सकते हैं. कंफर्म टिकट वाला यात्री अपनी ही सीट पर उन्हें यात्रा करा सकता है. ऐसे यात्रियों की वेटिंग लिस्ट तभी कंफर्म होती है, जब किसी कंफर्म टिकट वाले यात्री ने अपना टिकट कैंसिल कर दिया हो. इसके बाद आरएसी (Reservation Against Cancellation) सीट की व्यवस्था होती है. आरएसी का टिकट लेकर यात्री आराम से ट्रेन में कंफर्म सीट पर यात्रा कर सकते हैं.

डिफरेंट जोन में वेटिंग टिकट की व्यवस्था: रेलवे के अलग-अलग जोन में सीटों की निर्धारित संख्या के हिसाब से वेटिंग टिकट देने की व्यवस्था है. साउथ जोन यानी दक्षिण रेलवे की ट्रेनों में अधिकतम 10% तक ही वेटिंग टिकट दिए जाते हैं. नॉर्थ जोन यानी उत्तर रेलवे की कई ट्रेनों में स्लीपर के जितने कोच होते हैं, उतनी सीटों के बराबर ही वेटिंग टिकट भी बुक किए जाते हैं. पुष्पक एक्सप्रेस ट्रेन में पांच स्लीपर कोच लगते हैं. करीब 360 कंफर्म टिकट हो सकते हैं. इतने ही वेटिंग टिकट भी दिए जाते हैं. इसलिए इस ट्रेन में कंफर्म सीट के यात्रियों को भी वेटिंग से सफर करने वाले यात्रियों के चलते यात्रा में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है.

उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम (Senior Divisional Commercial Manager) रेखा शर्मा का कहना है कि विंडो वेटिंग टिकट केवल सामान्य कोच में यात्रा के लिए ही मान्य होता है. सीनियर डीसीएम के कहना है कि अगर यात्री के पास विंडो वेटिंग टिकट है, तो भी वो स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करने के लिए पात्र नहीं होता है. जब आरएसी या कंफर्म सीट हो तभी स्लीपर कोच में यात्रा कर सकते हैं. अगर एक PNR पर कई यात्रियों के टिकट हैं, और उनमें से अगर एक भी टिकट कंफर्म है, तो सभी यात्री कोच में यात्रा कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: रेल बजट में उत्तराखंड को मिले 5,131 हजार करोड़, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट को लगेंगे पंख

देहरादून: कुछ दिन पहले भारतीय संसद में ट्रेनों में कंफर्म सीट मिलती ही नहीं का मुद्दा उठा था. दरअसल वेटिंग टिकट वाले यात्री ट्रेन के किसी भी डिब्बे में जबरदस्ती घुस जाते हैं. ऐसे में कंफर्म टिकट वाले यात्री परेशान होते हैं. उनकी यात्रा मुसीबत बन जाती है. लगभग रोजाना सभी ट्रेनों में कंफर्म टिकट वालों को इस बड़ी दिक्कत से दो-चार होना पड़ता है.

रेलवे के नए नियम जान लें: भारतीय रेलवे प्रशासन को हर दिन इससे जुड़ी शिकायतें बड़ी संख्या में मिल रही थीं. भारतीय संसद में यह मुद्दा उठने के बाद अब रेलवे प्रशासन एक्शन में आया है. रेलवे के इस एक्शन से अब वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर डिब्बे में यात्रा करने वाले लोग संभल जाएं. अब वह वेटिंग लिस्ट वाले यात्री स्लीपर कोच में यात्रा नहीं कर पाएंगे. रेलवे की ओर से इसके खिलाफ अभियान शुरू कर दिया गया है. ऐसे यात्रियों पर जुर्माना लगाया जा रहा है. उन्हें स्लीपर कोच से जनरल कोच में भेजा जा जा रहा है. अगर आप अब वेटिंग टिकट को लेकर कंफ्यूज हैं तो हम इसका समाधान भी आपको बताते हैं.

Indian Railways rules
वेटिंग टिकट का नियम (ETV Bharat Graphics)

बुकिंग विंडो से लिए वेटिंग टिकट से स्लीपर कोच में नहीं होगा सफर: अगर आपने ऑनलाइन टिकट बुक कराया और ये वेटिंग में है तो कन्फर्म नहीं होने पर टिकट ऑटोमेटिक कैंसिल हो जाएगा. टिकट कैंसिल होते ही आपका पैसा रिफंड हो जाता है. हालांकि अभी तक लोगों को यही लगता है कि बुकिंग विंडो से अगर वेटिंग टिकट भी ले लें, तो भी ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा करना उनका अधिकार है. वास्तव में ऐसा है नहीं. रेलवे ने ये साफ किया है कि बुकिंग विंडो से लिया गया वेटिंग टिकट स्लीपर कोच में यात्रा की परमिशन नहीं देता है. ऐसे टिकट से यात्री जनरल कोच में ही सफर कर सकता है. अब अगर कोई व्यक्ति वेटिंग टिकट लेकर, ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा करता हुआ पकड़ा जाएगा, तो सजा उसको सजा भगतनी पड़ेगी.

नियम तोड़ा तो इतना लगेगा जुर्माना: रेलवे के अधिकारी बता रहे हैं कि चेकिंग के दौरान TTE जहां से ट्रेन शुरू हुई और जहां तक जाएगी वहां तक का जुर्माना वसूल सकता है. अगर वेटिंग टिकट पर पैसेंजर शयनयान डिब्बे में सफर कर रहा है, तो उसको जनरल कोच में भेज देगा. रेलवे अधिकारी बता रहे हैं कि जीआरपी (Government Railway Police) और आरपीएफ (Railway Protection Force) की गश्त ट्रेनों में बढ़ाई गई है. ये गश्त इसलिए बढ़ाई गई है कि जिससे वेटिंग टिकट वाले यात्री कंफर्म टिकट वाले यात्रियों के लिए परेशानी का कारण न बनें.

Indian Railways rules
एक ट्रेन में कितने वेटिंग टिकट (ETV Bharat Graphics)

इसलिए जारी होता है वेटिंग टिकट: रेलवे अधिकारी बताते हैं कि विभिन्न ट्रेनों में अलग-अलग वेटिंग टिकट बुकिंग का इंतजाम है. डिब्बे में वेटिंग टिकट इसलिए भी मिलता है, क्योंकि अगर किसी कंफर्म सीट वाले यात्री ने टिकट रद्द किया तो रेलवे को घाटा ना हो. इसलिए इस तरह के यात्रियों को यात्रा करने की सहूलियत दे दी जाती है. ऐसे में यात्री को रेलवे वेटिंग टिकट भी देता है. जब ट्रेन में कंफर्म टिकट वाले यात्रियों संख्या सीटों के बराबर होती है, तो फिर वेटिंग टिकट वालों को सामान्य कोच में ही यात्रा की अनुमति दी जाती है.

एक सीट कन्फर्म और बाकी वेटिंग में हैं तो क्या होगा? रेलवे के जानकार बताते हैं कि बुकिंग विंडो टिकट बना है तो फिर स्लीपर कोच यानी शयनयान में एक ही पीएनआर (Passenger Name Record) पर अगर दो से ज्यादा यात्रियों के टिकट बुक हैं और एक ही सीट कंफर्म है, तो भी वेटिंग के यात्री उस यात्री के साथ सफर कर सकते हैं. कंफर्म टिकट वाला यात्री अपनी ही सीट पर उन्हें यात्रा करा सकता है. ऐसे यात्रियों की वेटिंग लिस्ट तभी कंफर्म होती है, जब किसी कंफर्म टिकट वाले यात्री ने अपना टिकट कैंसिल कर दिया हो. इसके बाद आरएसी (Reservation Against Cancellation) सीट की व्यवस्था होती है. आरएसी का टिकट लेकर यात्री आराम से ट्रेन में कंफर्म सीट पर यात्रा कर सकते हैं.

डिफरेंट जोन में वेटिंग टिकट की व्यवस्था: रेलवे के अलग-अलग जोन में सीटों की निर्धारित संख्या के हिसाब से वेटिंग टिकट देने की व्यवस्था है. साउथ जोन यानी दक्षिण रेलवे की ट्रेनों में अधिकतम 10% तक ही वेटिंग टिकट दिए जाते हैं. नॉर्थ जोन यानी उत्तर रेलवे की कई ट्रेनों में स्लीपर के जितने कोच होते हैं, उतनी सीटों के बराबर ही वेटिंग टिकट भी बुक किए जाते हैं. पुष्पक एक्सप्रेस ट्रेन में पांच स्लीपर कोच लगते हैं. करीब 360 कंफर्म टिकट हो सकते हैं. इतने ही वेटिंग टिकट भी दिए जाते हैं. इसलिए इस ट्रेन में कंफर्म सीट के यात्रियों को भी वेटिंग से सफर करने वाले यात्रियों के चलते यात्रा में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है.

उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम (Senior Divisional Commercial Manager) रेखा शर्मा का कहना है कि विंडो वेटिंग टिकट केवल सामान्य कोच में यात्रा के लिए ही मान्य होता है. सीनियर डीसीएम के कहना है कि अगर यात्री के पास विंडो वेटिंग टिकट है, तो भी वो स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करने के लिए पात्र नहीं होता है. जब आरएसी या कंफर्म सीट हो तभी स्लीपर कोच में यात्रा कर सकते हैं. अगर एक PNR पर कई यात्रियों के टिकट हैं, और उनमें से अगर एक भी टिकट कंफर्म है, तो सभी यात्री कोच में यात्रा कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: रेल बजट में उत्तराखंड को मिले 5,131 हजार करोड़, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट को लगेंगे पंख

Last Updated : Jul 30, 2024, 11:57 AM IST
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