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बड़े काम का ये रेलवे MST; रोज अप-डाउन करने वाले यात्रियों के लिए वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं... - indian railway mst rules

INDIAN RAILWAY MST RULES: रेलवे की एमएसटी दैनिक यात्रियों के लिए सबसे बेहतरीन ऑप्शन है. यह सस्ती पड़ती है और टिकट के लिए रोज-रोज लाइन में लगने का झंझट भी नहीं. इससे बेटियां मुफ्त यात्रा कर सकती हैं, पढ़िए- कैसे इसे बनवाएं, कितनी दूरी तक सफर की रहती है अनुमति?

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रेलवे की एमएसटी कैसे बनवाएं. (photo credit: etv bharat gfx)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 3, 2024, 10:15 AM IST

Updated : Aug 3, 2024, 1:28 PM IST

INDIAN RAILWAY MST RULES: लखनऊ: ट्रेन से यात्रा के दौरान टिकट का झमेला न करना पड़े इसके लिए यात्रियों के पास सबसे बेहतर विकल्प है मासिक सीजन टिकट यानी एमएसटी. एक बार अगर एक माह, तीन माह, छह माह या फिर एक साल की एमएसटी बनवा ली तो फिर समझिए रोज-रोज के टिकट के झंझट से मुक्ति पा ली. रेलवे अपने यात्रियों को एमएसटी की सुविधा एक माह से लेकर साल भर तक दे रहा है. रोजाना सफर करने वाले यात्री टिकट के बजाय एमएसटी को ही तरजीह भी दे रहे हैं. इससे उनका दोहरा फायदा हो रहा है पहले तो उन्हें काउंटर पर लंबी लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ता. रोजाना यूटीएस पर ऑनलाइन टिकट बुक करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. अब इस पर भी ऑनलाइन एमएसटी बनवा सकते हैं. सबसे बड़ा फायदा किराए का है. टिकट के किराए की तुलना में मासिक पास काफी सस्ती पड़ता है, इसलिए यात्री इस विकल्प का भरपूर सदुपयोग कर रहे हैं. आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में.

किनके लिए होती यह सुविधा?
मंथली सीजनल टिकट से रियायती दरों पर यात्री ट्रेनों में सफर कर सकते हैं इसलिए रोजाना सफर करने वालों की पहली पसंद एमएसटी ही होती है. रेलवे की तरफ से विभिन्न वर्ग के यात्रियों जिनमें आम लोग, बच्चे और छात्र शामिल हैं, उन्हें रियायती दरों पर यात्रा के लिए सीजनल टिकट की सुविधा दी जाती है.

सीजनल टिकट के लिए अपनानी होती ये प्रक्रिया
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी कार्यालय के मुताबिक अगर किसी यात्री को एक माह से लेकर साल भर तक का मासिक सीजनल पास बनवाना है तो अपना आधार कार्ड और तीन फोटो आवश्यक होती हैं. इन्हें लेकर रेलवे के टिकट काउंटर से एमएसटी का एक फॉर्म लेना होता है. फॉर्म भरने के बाद इसे वहीं जमा कर दिया जाता है. इसके बाद अधिकारी इस पर हस्ताक्षर करते हैं और फिर फीस जमा करके यात्री मंथली सीजनल टिकट यानी एमएसटी प्राप्त कर लेते हैं. इसके बाद एमएसटी लेकर यात्री ट्रेनों में सफर कर सकते हैं. एमएसटी धारकों को प्लास्टिक कवर के साथ एक फोटो परिचय पत्र जारी किया जाता है.

ऑनलाइन भी बनवा सकते हैं
जब हर व्यवस्था ऑनलाइन हो रही है और यात्रियों को घर बैठे सुविधा मिल रही है तो आईआरसीटीसी ने भी अब ऑनलाइन एमएसटी बनाने की सुविधा यात्रियों को दी है जिससे उन्हें लाइन में लगकर एमएसटी बनवाने के लिए नहीं जूझना पड़ता है. हालांकि इसके लिए सबसे पहले उन्हें अपने मोबाइल में यूटीएस एप डाउनलोड करना पड़ता है. इसके बाद सीजन टिकट का विकल्प चुनना होता है. सीजन बुकिंग का विकल्प खुलकर सामने आता है इस पर इश्यू टिकट और रिन्यू टिकट का विकल्प होता है. बुक एंड ट्रेवल पेपरलेस और बुक एंड प्रिंट पेपर का विकल्प चुन सकते हैं. सारी प्रक्रिया पूरी कर एमएसटी जारी कर सकते हैं. एक बार पैसा कटने के बाद रिफंड की कोई व्यवस्था नहीं है.

कितनी दूरी तक कर सकते सफर?
मासिक पास धारक एमएसटी के जरिए 150 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं. हालांकि रेलवे बोर्ड ने इसमें कुछ संशोधन करते हुए अब महाप्रबंधकों को 10 किलोमीटर और यात्रा की दूरी बढ़ाने की अनुमति दे दी है. यानी अब यात्री 160 किलोमीटर तक की दूरी एमएसटी के जरिए तय कर सकते हैं. एमएसटी धारकों के लिए यह और भी ज्यादा फायदे का सौदा हो गया है. रोजाना नौकरी या पढ़ाई के लिए इतनी दूरी तक सफर करने वाले यात्री रोजाना टिकट लेने के बजाय एमएसटी बनवाना ही पसंद करते हैं.

होती है किराए की भरपूर बचत
मंथली सीजनल टिकट केवल प्रथम और द्वितीय श्रेणी के लिए ही जारी किए जाते हैं और यह इसी में वैध होते हैं. किराया सभी दूरियों के लिए एक समान ही होता है. द्वितीय श्रेणी (साधारण) की 15 यात्राओं के किराए के बराबर ही एमएसटी का किराया होता है यानी अगर कोई यात्री महीने में 25 दिन भी ट्रेन से अप डाउन करे तो सिर्फ 15 फेरे के पैसे में ही उस यात्री के 50 फेरों का सफर पूरा हो जाता है. यानी सीधे तौर पर यात्री का 35 फेरों का पैसा बच जाता है. यही वजह है कि यात्री यात्रा के लिए एमएसटी को तरजीह देते हैं. बात अगर प्रथम श्रेणी मासिक सीजन टिकट के किराए की करें तो सभी दूरियों के लिए एक समान द्वितीय श्रेणी किराए से चार गुना होता है. बच्चों का सीजनल टिकट किराया वयस्क के सीजन टिकट किराए से हाफ होता है. तीन माह का सीजनल टिकट बनवाने के लिए मासिक सीजन टिकट की कीमत से 2.7 गुना अधिक भुगतान करना होता है. छह माह का सीजन टिकट बनवाने के लिए मासिक सीजन टिकट से 5.4 गुना ज्यादा किराया चुकाना होता है. इसी तरह वार्षिक सीजन टिकट की कीमत मासिक सीजन टिकट की कीमत से 10.8 गुना होती है.

छात्रों के लिए सीजनल टिकट का विशेष लाभ
मासिक पास का सबसे ज्यादा फायदा या विद्यार्थी उठा सकते हैं अधिकतम 150 किलोमीटर तक की दूरी प्रथम और द्वितीय श्रेणी के सीजनल टिकट से पूरी कर सकते हैं. मासिक सीजन टिकटों के लिए वयस्क के सीजन टिकट किराए से आधा किराया विद्यार्थियों से लिया जाता है. तीन माह का सीजन टिकट का किराया विद्यार्थी मासिक सीजन टिकट किराए से 2.7 गुना होता है.

विद्यार्थियों की आयु सीमा कितनी होनी चाहिए
एमएसटी के लिए विद्यार्थियों की आयु सीमा भी तय की गई है. 25 वर्ष तक के सामान्य वर्ग के और 27 वर्ष तक अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की एमएसटी बनती है. रिसर्च स्कॉलर्स भी 35 साल के हैं तो भी एमएसटी बनवा सकते हैं. सामान्य विद्यार्थी को मासिक सीजन टिकट किराए से आधी दर पर उपलब्ध होता है. तीन माह का सीजन टिकट मासिक सीजन टिकट के रियायती किराए के 2.7 गुना के बराबर राशि के भुगतान पर मिलता है.

इन कक्षाओं के छात्र मुफ्त में बनवा सकते
10वीं कक्षा तक के छात्रों और 12वीं कक्षा तक की बालिका विद्यार्थियों को उनके निवास के पास वाले स्टेशन से स्कूल तक आने-जाने के लिए एमएसटी की नि;शुल्क सुविधा उपलब्ध है. यह सुविधा "मिलेनियम गिफ्ट फ्रॉम रेलवे" नारे के अंतर्गत दी गई है. यह नि:शुल्क मासिक सीजन टिकट तब मिलती है जब कुछ शर्तें पूरी की जाती हैं. इसमें सिर्फ मासिक सीजन टिकट जारी किए जाते हैं. त्रैमासिक सीजन टिकट की व्यवस्था नहीं है. इस टिकट पर भी 150 किलोमीटर तक की दूरी तय की जा सकती है. यह सिर्फ द्वितीय श्रेणी के लिए ही जारी किए जाते हैं. इस मासिक सीजन टिकट पर कोई सरचार्ज नहीं लगता है.

आरक्षित कोच में नहीं कर सकते यात्रा
रेलवे का मंथली सीजनल टिकट एक्सप्रेस ट्रेनों के रिजर्व कोच में वैध नहीं होता है, सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों में ही एमएसटी की मान्यता है. मेल, एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों के मामले में एमएसटी सिर्फ उन ट्रेनों में वैध होती है. जहां रेल प्रशासन की तरफ से इसकी अनुमति दी जाती है. प्रथम श्रेणी सीजनल टिकट धारक संबंधित ट्रेनों में लागू दूरी और प्रतिबंध के मुताबिक केवल दिन के वक्त ही प्रथम श्रेणी कोच में यात्रा कर सकते हैं. सुपरफास्ट ट्रेनों में अगर रेलवे प्रशासन की अनुमति होती है तो फिर सुपरफास्ट ट्रेनों के अनारक्षित कोच में मंथली सीजनल टिकट के जरिए यात्रा की जा सकती है. इसके लिए जरूरी है कि एमएसटी धारक के पास पहले से ही सुपरफास्ट सरचार्ज टिकट होना चाहिए. अगर रोजाना सुपरफास्ट ट्रेनों से कोई एमएसटी धारक यात्रा करता है तो इसकी सुविधा के लिए मासिक और तिमाही सुपरफास्ट सरचार्ज टिकट भी जारी किए जाते हैं. हालांकि रेलवे के जानकार ये भी बताते हैं कि सुपरफास्ट ट्रेनों से यात्रा करने वाले यात्रियों से सीजनल टिकट पर सुपरफास्ट सरचार्ज की वसूली नहीं की जाती है बशर्तें जिनकी आरंभिक स्टेशन से कुल यात्रा दूरी 325 किलोमीटर से कम हो.

रिन्यूल के लिए अपनाए ये प्रक्रिया
रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि एमएसटी के नवीनीकरण के लिए भी रेलवे की तरफ से व्यवस्था की गई है. एमएसटी रिनुअल कराने के लिए एमएसटी धारक को संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं जिनमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र और राज्य सरकार या किसी सरकारी एजेंसी की तरफ से जारी फोटो वाले परिचय पत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड सबूत के तौर पर पेश किए जाते हैं. उसके बाद एमएसटी रिनुअल की जाती है. सीजनल टिकट का नवीनीकरण वैधता की अवधि से 10 दिन पहले किया जा सकता है.

लखनऊ मंडल में हर माह जारी होती एमएसटी
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में जारी होने वाले मंथली सीजन टिकट की बात की जाए तो एक अप्रैल 2024 से 25 जुलाई 2024 का जो डाटा उपलब्ध है उसके मुताबिक कुल 33,186 मासिक पास जारी किए गए हैं. इन मासिक पास में मंथली सीजन टिकट, क्वार्टरली सीजन टिकट, हॉफ इयरली सीजन टिकट और इयरली सीजन टिकट शामिल हैं. अगर लखनऊ मंडल में हर माह औसत एमएसटी जारी करने की बात की जाए तो 8,296 मासिक सीजन टिकट जारी हो रहे हैं. उत्तर रेलवे की मासिक पास से अच्छी आय भी हो रही है. प्रति माह 25 लाख से ऊपर तो पिछले तीन माह में एक करोड़ से भी ज्यादा पैसा मंथली सीजन टिकट जारी कर लखनऊ मंडल ने कमाया है.

क्या कहतीं हैं अधिकारी
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा का कहना है कि 150 किलोमीटर तक की यात्रा जिन यात्रियों को रोजाना करनी होती है वे एमएसटी बनवाना पसंद करते हैं. इससे उन्हें काफी कम किराया चुकाना होता है जिसका सीधे तौर पर उन्हें लाभ मिलता है. लखनऊ मंडल में तकरीबन 10000 एमएसटी हर माह जारी की जा रही हैं. छात्रों और नौकरीपेशा लोगों के लिए एमएसटी बेहतर विकल्प है.

ये भी पढ़ेंः वेटिंग से स्लीपर में सफर बंद, कितना जुर्माना, क्या छूट मिल सकती; पढ़िए रेलवे का नया नियम

INDIAN RAILWAY MST RULES: लखनऊ: ट्रेन से यात्रा के दौरान टिकट का झमेला न करना पड़े इसके लिए यात्रियों के पास सबसे बेहतर विकल्प है मासिक सीजन टिकट यानी एमएसटी. एक बार अगर एक माह, तीन माह, छह माह या फिर एक साल की एमएसटी बनवा ली तो फिर समझिए रोज-रोज के टिकट के झंझट से मुक्ति पा ली. रेलवे अपने यात्रियों को एमएसटी की सुविधा एक माह से लेकर साल भर तक दे रहा है. रोजाना सफर करने वाले यात्री टिकट के बजाय एमएसटी को ही तरजीह भी दे रहे हैं. इससे उनका दोहरा फायदा हो रहा है पहले तो उन्हें काउंटर पर लंबी लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ता. रोजाना यूटीएस पर ऑनलाइन टिकट बुक करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. अब इस पर भी ऑनलाइन एमएसटी बनवा सकते हैं. सबसे बड़ा फायदा किराए का है. टिकट के किराए की तुलना में मासिक पास काफी सस्ती पड़ता है, इसलिए यात्री इस विकल्प का भरपूर सदुपयोग कर रहे हैं. आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में.

किनके लिए होती यह सुविधा?
मंथली सीजनल टिकट से रियायती दरों पर यात्री ट्रेनों में सफर कर सकते हैं इसलिए रोजाना सफर करने वालों की पहली पसंद एमएसटी ही होती है. रेलवे की तरफ से विभिन्न वर्ग के यात्रियों जिनमें आम लोग, बच्चे और छात्र शामिल हैं, उन्हें रियायती दरों पर यात्रा के लिए सीजनल टिकट की सुविधा दी जाती है.

सीजनल टिकट के लिए अपनानी होती ये प्रक्रिया
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी कार्यालय के मुताबिक अगर किसी यात्री को एक माह से लेकर साल भर तक का मासिक सीजनल पास बनवाना है तो अपना आधार कार्ड और तीन फोटो आवश्यक होती हैं. इन्हें लेकर रेलवे के टिकट काउंटर से एमएसटी का एक फॉर्म लेना होता है. फॉर्म भरने के बाद इसे वहीं जमा कर दिया जाता है. इसके बाद अधिकारी इस पर हस्ताक्षर करते हैं और फिर फीस जमा करके यात्री मंथली सीजनल टिकट यानी एमएसटी प्राप्त कर लेते हैं. इसके बाद एमएसटी लेकर यात्री ट्रेनों में सफर कर सकते हैं. एमएसटी धारकों को प्लास्टिक कवर के साथ एक फोटो परिचय पत्र जारी किया जाता है.

ऑनलाइन भी बनवा सकते हैं
जब हर व्यवस्था ऑनलाइन हो रही है और यात्रियों को घर बैठे सुविधा मिल रही है तो आईआरसीटीसी ने भी अब ऑनलाइन एमएसटी बनाने की सुविधा यात्रियों को दी है जिससे उन्हें लाइन में लगकर एमएसटी बनवाने के लिए नहीं जूझना पड़ता है. हालांकि इसके लिए सबसे पहले उन्हें अपने मोबाइल में यूटीएस एप डाउनलोड करना पड़ता है. इसके बाद सीजन टिकट का विकल्प चुनना होता है. सीजन बुकिंग का विकल्प खुलकर सामने आता है इस पर इश्यू टिकट और रिन्यू टिकट का विकल्प होता है. बुक एंड ट्रेवल पेपरलेस और बुक एंड प्रिंट पेपर का विकल्प चुन सकते हैं. सारी प्रक्रिया पूरी कर एमएसटी जारी कर सकते हैं. एक बार पैसा कटने के बाद रिफंड की कोई व्यवस्था नहीं है.

कितनी दूरी तक कर सकते सफर?
मासिक पास धारक एमएसटी के जरिए 150 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं. हालांकि रेलवे बोर्ड ने इसमें कुछ संशोधन करते हुए अब महाप्रबंधकों को 10 किलोमीटर और यात्रा की दूरी बढ़ाने की अनुमति दे दी है. यानी अब यात्री 160 किलोमीटर तक की दूरी एमएसटी के जरिए तय कर सकते हैं. एमएसटी धारकों के लिए यह और भी ज्यादा फायदे का सौदा हो गया है. रोजाना नौकरी या पढ़ाई के लिए इतनी दूरी तक सफर करने वाले यात्री रोजाना टिकट लेने के बजाय एमएसटी बनवाना ही पसंद करते हैं.

होती है किराए की भरपूर बचत
मंथली सीजनल टिकट केवल प्रथम और द्वितीय श्रेणी के लिए ही जारी किए जाते हैं और यह इसी में वैध होते हैं. किराया सभी दूरियों के लिए एक समान ही होता है. द्वितीय श्रेणी (साधारण) की 15 यात्राओं के किराए के बराबर ही एमएसटी का किराया होता है यानी अगर कोई यात्री महीने में 25 दिन भी ट्रेन से अप डाउन करे तो सिर्फ 15 फेरे के पैसे में ही उस यात्री के 50 फेरों का सफर पूरा हो जाता है. यानी सीधे तौर पर यात्री का 35 फेरों का पैसा बच जाता है. यही वजह है कि यात्री यात्रा के लिए एमएसटी को तरजीह देते हैं. बात अगर प्रथम श्रेणी मासिक सीजन टिकट के किराए की करें तो सभी दूरियों के लिए एक समान द्वितीय श्रेणी किराए से चार गुना होता है. बच्चों का सीजनल टिकट किराया वयस्क के सीजन टिकट किराए से हाफ होता है. तीन माह का सीजनल टिकट बनवाने के लिए मासिक सीजन टिकट की कीमत से 2.7 गुना अधिक भुगतान करना होता है. छह माह का सीजन टिकट बनवाने के लिए मासिक सीजन टिकट से 5.4 गुना ज्यादा किराया चुकाना होता है. इसी तरह वार्षिक सीजन टिकट की कीमत मासिक सीजन टिकट की कीमत से 10.8 गुना होती है.

छात्रों के लिए सीजनल टिकट का विशेष लाभ
मासिक पास का सबसे ज्यादा फायदा या विद्यार्थी उठा सकते हैं अधिकतम 150 किलोमीटर तक की दूरी प्रथम और द्वितीय श्रेणी के सीजनल टिकट से पूरी कर सकते हैं. मासिक सीजन टिकटों के लिए वयस्क के सीजन टिकट किराए से आधा किराया विद्यार्थियों से लिया जाता है. तीन माह का सीजन टिकट का किराया विद्यार्थी मासिक सीजन टिकट किराए से 2.7 गुना होता है.

विद्यार्थियों की आयु सीमा कितनी होनी चाहिए
एमएसटी के लिए विद्यार्थियों की आयु सीमा भी तय की गई है. 25 वर्ष तक के सामान्य वर्ग के और 27 वर्ष तक अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की एमएसटी बनती है. रिसर्च स्कॉलर्स भी 35 साल के हैं तो भी एमएसटी बनवा सकते हैं. सामान्य विद्यार्थी को मासिक सीजन टिकट किराए से आधी दर पर उपलब्ध होता है. तीन माह का सीजन टिकट मासिक सीजन टिकट के रियायती किराए के 2.7 गुना के बराबर राशि के भुगतान पर मिलता है.

इन कक्षाओं के छात्र मुफ्त में बनवा सकते
10वीं कक्षा तक के छात्रों और 12वीं कक्षा तक की बालिका विद्यार्थियों को उनके निवास के पास वाले स्टेशन से स्कूल तक आने-जाने के लिए एमएसटी की नि;शुल्क सुविधा उपलब्ध है. यह सुविधा "मिलेनियम गिफ्ट फ्रॉम रेलवे" नारे के अंतर्गत दी गई है. यह नि:शुल्क मासिक सीजन टिकट तब मिलती है जब कुछ शर्तें पूरी की जाती हैं. इसमें सिर्फ मासिक सीजन टिकट जारी किए जाते हैं. त्रैमासिक सीजन टिकट की व्यवस्था नहीं है. इस टिकट पर भी 150 किलोमीटर तक की दूरी तय की जा सकती है. यह सिर्फ द्वितीय श्रेणी के लिए ही जारी किए जाते हैं. इस मासिक सीजन टिकट पर कोई सरचार्ज नहीं लगता है.

आरक्षित कोच में नहीं कर सकते यात्रा
रेलवे का मंथली सीजनल टिकट एक्सप्रेस ट्रेनों के रिजर्व कोच में वैध नहीं होता है, सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों में ही एमएसटी की मान्यता है. मेल, एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों के मामले में एमएसटी सिर्फ उन ट्रेनों में वैध होती है. जहां रेल प्रशासन की तरफ से इसकी अनुमति दी जाती है. प्रथम श्रेणी सीजनल टिकट धारक संबंधित ट्रेनों में लागू दूरी और प्रतिबंध के मुताबिक केवल दिन के वक्त ही प्रथम श्रेणी कोच में यात्रा कर सकते हैं. सुपरफास्ट ट्रेनों में अगर रेलवे प्रशासन की अनुमति होती है तो फिर सुपरफास्ट ट्रेनों के अनारक्षित कोच में मंथली सीजनल टिकट के जरिए यात्रा की जा सकती है. इसके लिए जरूरी है कि एमएसटी धारक के पास पहले से ही सुपरफास्ट सरचार्ज टिकट होना चाहिए. अगर रोजाना सुपरफास्ट ट्रेनों से कोई एमएसटी धारक यात्रा करता है तो इसकी सुविधा के लिए मासिक और तिमाही सुपरफास्ट सरचार्ज टिकट भी जारी किए जाते हैं. हालांकि रेलवे के जानकार ये भी बताते हैं कि सुपरफास्ट ट्रेनों से यात्रा करने वाले यात्रियों से सीजनल टिकट पर सुपरफास्ट सरचार्ज की वसूली नहीं की जाती है बशर्तें जिनकी आरंभिक स्टेशन से कुल यात्रा दूरी 325 किलोमीटर से कम हो.

रिन्यूल के लिए अपनाए ये प्रक्रिया
रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि एमएसटी के नवीनीकरण के लिए भी रेलवे की तरफ से व्यवस्था की गई है. एमएसटी रिनुअल कराने के लिए एमएसटी धारक को संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं जिनमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र और राज्य सरकार या किसी सरकारी एजेंसी की तरफ से जारी फोटो वाले परिचय पत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड सबूत के तौर पर पेश किए जाते हैं. उसके बाद एमएसटी रिनुअल की जाती है. सीजनल टिकट का नवीनीकरण वैधता की अवधि से 10 दिन पहले किया जा सकता है.

लखनऊ मंडल में हर माह जारी होती एमएसटी
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में जारी होने वाले मंथली सीजन टिकट की बात की जाए तो एक अप्रैल 2024 से 25 जुलाई 2024 का जो डाटा उपलब्ध है उसके मुताबिक कुल 33,186 मासिक पास जारी किए गए हैं. इन मासिक पास में मंथली सीजन टिकट, क्वार्टरली सीजन टिकट, हॉफ इयरली सीजन टिकट और इयरली सीजन टिकट शामिल हैं. अगर लखनऊ मंडल में हर माह औसत एमएसटी जारी करने की बात की जाए तो 8,296 मासिक सीजन टिकट जारी हो रहे हैं. उत्तर रेलवे की मासिक पास से अच्छी आय भी हो रही है. प्रति माह 25 लाख से ऊपर तो पिछले तीन माह में एक करोड़ से भी ज्यादा पैसा मंथली सीजन टिकट जारी कर लखनऊ मंडल ने कमाया है.

क्या कहतीं हैं अधिकारी
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा का कहना है कि 150 किलोमीटर तक की यात्रा जिन यात्रियों को रोजाना करनी होती है वे एमएसटी बनवाना पसंद करते हैं. इससे उन्हें काफी कम किराया चुकाना होता है जिसका सीधे तौर पर उन्हें लाभ मिलता है. लखनऊ मंडल में तकरीबन 10000 एमएसटी हर माह जारी की जा रही हैं. छात्रों और नौकरीपेशा लोगों के लिए एमएसटी बेहतर विकल्प है.

ये भी पढ़ेंः वेटिंग से स्लीपर में सफर बंद, कितना जुर्माना, क्या छूट मिल सकती; पढ़िए रेलवे का नया नियम

Last Updated : Aug 3, 2024, 1:28 PM IST
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