कोरबा : शहर के "मंजिल गुरुकुल" को 9 साल पहले एक रेलवे अधिकारी ने शुरु किया था. रेलवे परिवारों के बच्चों का भविष्य संवारने की सोच के साथ इसकी शुरुआत की गई थी. इस एक सोच ने कई युवाओं के जीवन में आज बड़ा बदलाव लाया है. वर्तमान में इसका संचालन लोको पायलट ही करते हैं. उनका मानना है कि गुरुकुल की परंपरा को ही हम आगे बढ़ा रहे हैं. यहां सिर्फ बच्चों को किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता, बल्कि उन्हें इस तरह से तैयार किया जाता है कि वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकें.
9 साल से युवाओं को दिख रहा मंजिल : जिले के रेलवे स्टेशन के करीब रेलवे कॉलोनी में ही गुरुकुल का संचालन किया जा रहा है. 2015 में इसे तत्कालीन एरिया रेलवे मैनेजर अवधेश त्रिवेदी ने शुरू किया था, जो अब बिलासपुर में सेवारत हैं. रेलवे के अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए इस गुरुकुल ने युवाओं को उनकी मंजिल की ओर बढ़ने का जरिया प्रदान किया है. कोरबा में संचालित यह गुरुकुल ऐसे छात्रों के लिए बेहद उपयोगी है, जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना तो चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तौर पर उतने मजबूत नहीं है कि महंगे कोचिंग संस्थानों का खर्चा वहन कर सकें.
"यहां 2 साल से ले रहा कोचिंग" : गुरुकुल में आकर व्यापम परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कन्हैया कुंभकार ने बताया, "यहां पढ़ाई का अच्छा माहौल है. हमें अच्छी तरह से मार्गदर्शन मिलता है. इसे 2015 में शुरू किया गया था. तत्कालीन एआरएम अवधेश त्रिवेदी ने इसकी शुरुआत की थी. अब रेलवे विभाग में पदस्थ अन्य अधिकारी-कर्मचारी अपने परिवार से अतिरिक्त समय निकालकर हमें कोचिंग देते हैं."
"मंजिल गुरुकुल में मैं पिछले 2 वर्षों से आ रहा हूं. सीजी व्यापम के परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं. यदि मैं यही कोचिंग किसी निजी संस्थान से लेता है तो 20 से लेकर ₹50000 तक खर्च हो जाते. रेलवे विभाग में कार्यरत लोको पायलट और इलेक्ट्रीशियन विभाग के अन्य अधिकारी हमें प्रशिक्षण देते हैं. इसलिए हमारी तैयारी अच्छी तरह से हो जाती है." - कन्हैया कुंभकार, परीक्षार्थी
22 युवाओं का सरकारी नौकरी में हुआ चयन : गुरुकुल में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहीं शालिनी कहती है कि यहां आकर तैयारी करने वाले अब तक 22 लोगों का चयन अलग-अलग सरकारी नौकरी में हो चुका है. सीजीपीएससी, आइटीबीपी, सीआरपीएफ और रेलवे जैसे विभागों में यहां पढ़ने वाले छात्रों का चयन हुआ है. मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरा भी यहीं से चयन होगा."
"यहां नि:शुल्क कोचिंग दी जाती है, जिसका हमें बहुत फायदा होता है. प्रतियोगी परीक्षाओं के सारे विषय की कोचिंग यहां मिल जाती है. यहां तक की कंप्यूटर की पढ़ाई भी यहां हो जाती है, जिससे काफी अच्छी तैयारी हो रही है." - शालिनी, परीक्षार्थी
"बच्चों को मंजिल तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य" : वर्तमान में मंजिल गुरुकुल की देखरेख और संचालन करने वाले रेलवे में पदस्थ लोको पायलट टंकेश कुमार महंत ने बताया, "इसे 2015 में हमारे तत्कालीन एआरएम अवधेश त्रिवेदी ने शुरू किया था. अन्य अधिकारी कर्मचारियों का भी मार्गदर्शन था. गुरुकुल की परंपरा पढ़ाई ही नहीं, बल्कि छात्रों को मंजिल तक पहुंचाना है. हम इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं."
"छात्रों का व्यक्तित्व विकास हो, विषय से जुड़ा ज्ञान हो और जीवन में आने वाली चुनौतियां से वह लड़ सकें. इन सभी के लिए हम उन्हें तैयार करते हैं. खासतौर पर रेलवे परिवार के बच्चे और आसपास के क्षेत्र के बच्चे यहां आना चाहे, वह आ सकते हैं. उन्हें हम नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं." - टंकेश कुमार महंत, लोको पायलट
रेलवे की सेवा में पदस्थ लोको पायलट और अन्य विभागों में पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी अपने काम और परिवार से समय निकालकर यहां बच्चों को समय देते हैं. उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं. सीजीपीएससी, व्यापम नेवी या अन्य परीक्षाओं में यहां पढ़ने वाले युवाओं का चयन हुआ है. अब तक अलग-अलग क्षेत्रों में यहां से पढ़े 22 युवाओं की सरकारी नौकरी लग चुकी है.