नई दिल्लीः पड़ोसी देश बांग्लादेश और पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने अलर्ट जारी किया है. सभी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बॉर्डर और पोर्ट पर आने जाने वाले लोगों की कड़ी निगरानी की जा रही है. साथ ही दिल्ली में केंद्र सरकार के तीन अस्पतालों राम मनोहर लोहिया (आरएमएल), सफदरजंग और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को आइसोलेशन वार्ड तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
मंकीपॉक्स को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्वी दिल्ली शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि 2022 में कोरोना संकट के बाद से सबसे ज्यादा फैलने वाली बीमारी है, उनमें मंकीपॉक्स सबसे ज्यादा चर्चा में है. इसे एमपॉक्स भी कहते हैं. उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया में अभी तक एक लाख से ज्यादा मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. इनमें 200 से ज्यादा लोगों की मौत भी हुई है. लेकिन, अच्छी बात है कि मौजूदा समय में भारत में कोई मामला नहीं मिला है.
अफ्रीकी देशों में फैला है वायरस: डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि मार्च 2024 से पहले कोई एक केस मिला था. अभी जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार मंकीपॉक्स का जो वायरस है उसने अपना कैरेक्टर चेंज कर लिया है. इसके बाद इस वायरस में लोगों को बीमार करने की क्षमता और मौत होने की संभावना थोड़ी बढ़ गई है. यह वायरस अफ्रीकी देशों में फैला है. यहां से यूरोप के देशों में भी पहुंच रहा है. बच्चों को ये ज्यादा चपेट में ले रहा है.
डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि एक केस अभी पाकिस्तान में मिला है. बांग्लादेश में भी कुछ मामले सामने आए हैं. भारत के बिल्कुल पड़ोस में मामले आने के बाद यहां भी फैलने की संभावना बढ़ गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसे विश्व के लिए एक हेल्थ थ्रैट के रूप में घोषित किया है. केंद्र सरकार ने भी एक उच्चस्तरीय बैठक करके अलर्ट जारी कर दिया है. सभी चिकित्सा संस्थानों से इससे निपटने के लिए तैयार रहने के लिए कहा है.
क्या हैं लक्षण और बचाव: डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि जिस तरह से इसके नाम में पॉक्स जुड़ा हुआ है. जैसे बचपन में एक स्मॉल पॉक्स और चिकन पॉक्स भी सुना है. यह बिल्कुल उसी तरह का होता है जैसे चेचक के दाग हो जाते हैं. पहले यह बंदरों में पाया गया था. बंदरों से इंसानों में फैल गया, अब इंसानों से इंसानों में भी फैलने लगा है.
मंकीपॉक्स के लक्षण: इसके लक्षण अन्य वायरल बीमारियों की तरह ही होते हैं. जैसे बुखार आना, मांशपेशियों में दर्द होना, सिर में दर्द होना और बेचैनी होना शामिल है. शरीर पर चकत्ते भी पड़ना शुरू हो जाते हैं.
मरीज को आइसोलेट करना जरूरी: डॉ. त्यागी ने बताया कि मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीज को आइसोलेट करना जरूरी होता है. इससे वह किसी दूसरे को संक्रमित न कर सके. उन्होंने बताया कि इसमें मरीज को आइसोलेट करने का समय एक से दो सप्ताह तक रहता है. कुछ मामलों में चार सप्ताह तक भी होता है.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स: डॉ. त्यागी के अनुसार, मंकीपॉक्स फैलने के कई प्रमुख कारण हैं. मरीज से मरीज में फैलना, सेक्सुअल कॉटेक्ट से, एक दूसरे की चीजें जैसे टॉवल, साबुन, कपड़े आदि भी इस्तेमाल करने से फैलता है. ड्रॉपलेट से फैलने की संभावना कम होती है. लेकिन, बचाव तो करना ही चाहिए.
देश में उपलब्ध नहीं है वैक्सीन: डॉ. त्यागी ने बताया कि मंकीपॉक्स की वैक्सीन अभी अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं है. जिन देशों में यह बीमारी ज्यादा फैली है उनमें कुछ के पास ही वैक्सीन है. इसलिए इसका इलाज भी सिर्फ लक्षणों के आधार पर एंटीवायरल ही दे सकते हैं. उसका कुछ ज्यादा अच्छा रिजल्ट देखने को नहीं मिलता है. इसलिए इसमें बचाव ही प्रमुख उपाय है.
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