ETV Bharat / state

झारखंड की इस सीट पर राष्ट्रीय दलों की नींद उड़ा देते हैं निर्दलीय प्रत्याशी, जीत के लिए करनी पड़ती है कड़ी मेहनत - Lok Sabha Elections

Lohardaga Lok Sabha seat. लोहरदगा लोकसभा सीट अनोखी सीट मानी जाती है. इस सीट पर राष्ट्रीय पार्टियों को जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसका कारण निर्दलीय उम्मीदवार होते हैं. पिछले चुनावों के आंकड़े कुछ इसी ओर इशारा करते हैं.

Lohardaga Lok Sabha sea
Lohardaga Lok Sabha sea
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 21, 2024, 12:50 PM IST

लोहरदगा: लोहरदगा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करना आसान नहीं है. किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के लिए यहां से चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है. इसके पीछे का कारण प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि कई निर्दलीय प्रत्याशी हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं और वोटों का एक बड़ा हिस्सा लेकर जाते हैं. जिससे आमने-सामने की लड़ाई में शामिल प्रत्याशियों के लिए जीत-हार के बीच मुकाबला काफी करीबी हो जाता है. खास बात यह है कि इन निर्दलीय उम्मीदवारों की वजह से राष्ट्रीय पार्टियों के पसीने छूट जाते हैं.

निर्दलीय ले जाते हैं वोट का बड़ा हिस्सा

लोहरदगा लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी काफी है. राष्ट्रीय पार्टियों के बीच मुकाबले के लिहाज से देखा जाए तो मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन जब बात निर्दलीय उम्मीदवारों की आती है तो उनकी संख्या कई प्रत्याशियों में है. जिसके चलते वोटों का बड़ा हिस्सा निर्दलीय उम्मीदवार ले जाते हैं.

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के सुदर्शन भगत और कांग्रेस के सुखदेव भगत के बीच मुकाबला था. चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत ने जीत हासिल की थी, लेकिन बात अगर निर्दलीय उम्मीदवार की करें तो संजय उरांव को 10663 वोट मिले थे.

रघुनाथ महली को 8950 और सानिया उरांव को 5226 वोट मिले थे. खास बात यह है कि सुदर्शन भगत और सुखदेव भगत के बीच जीत-हार का अंतर 10 हजार वोटों से भी कम था. जबकि इन दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों को ही 24 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में थे.

2014 चुनाव का हाल

2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस बार भारतीय जनता पार्टी के सुदर्शन भगत और कांग्रेस के डॉ.रामेश्वर उरांव के बीच सीधा मुकाबला था. इस चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत ने जीत हासिल की थी. सुदर्शन भगत ने 6489 वोटों से रामेश्वर उरांव को हराया था.

इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों को मिले वोटों की बात करें तो निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र उरांव को 6436 वोट, रंजीत उरांव को 6037 वोट और नवल किशोर सिंह को 5870 वोट मिले. बात सीधी है, इस चुनाव में भी 18000 से ज्यादा वोट निर्दलीयों ने ले लिए.

2009 चुनाव का हाल

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था. इस साल तो निर्दलीय उम्मीदवार को मिले वोटों ने सभी को चौंका दिया था. यहां चुनावी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं, बल्कि बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच था. भारतीय जनता पार्टी से सुदर्शन भगत चुनाव मैदान में थे. जबकि चमरा लिंडा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे.

कांग्रेस की ओर से डॉ. रामेश्वर उरांव चुनाव लड़ रहे थे. इस चुनाव में सुदर्शन भगत को 1,44,628 वोट मिले, जबकि डॉ. रामेश्वर उरांव को 1,29,622 वोट मिले. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा को रामेश्वर उरांव से 1,36,345 वोट ज्यादा मिले थे. इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवारों को भी खूब वोट मिले. इस चुनाव में रामेश्वर उरांव तीसरे स्थान पर चले गये थे. जबकि चमरा लिंडा को दूसरा स्थान मिला. हर बार चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की स्थिति ऐसी ही होती है.

लोहरदगा लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका काफी अहम है. राष्ट्रीय पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा जरूर है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों को भी बड़ा वोट मिलता है. जिसके चलते राष्ट्रीय पार्टियों के बीच जीत-हार का मुकाबला बेहद करीबी हो जाता है. पिछले कई बार के चुनाव आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

यह भी पढ़ें: Video Explainer: लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने समीर उरांव को बनाया उम्मीदवार, जानिए क्या है इस सीट का इतिहास

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024ः जानिए लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के युवा अपने सांसद से क्या उम्मीद रखते हैं

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024: लोहरदगा लोकसभा सीट का सफरनामा, यहां बीजेपी और कांग्रेस में रही है कांटे की टक्कर

लोहरदगा: लोहरदगा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करना आसान नहीं है. किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के लिए यहां से चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है. इसके पीछे का कारण प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि कई निर्दलीय प्रत्याशी हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं और वोटों का एक बड़ा हिस्सा लेकर जाते हैं. जिससे आमने-सामने की लड़ाई में शामिल प्रत्याशियों के लिए जीत-हार के बीच मुकाबला काफी करीबी हो जाता है. खास बात यह है कि इन निर्दलीय उम्मीदवारों की वजह से राष्ट्रीय पार्टियों के पसीने छूट जाते हैं.

निर्दलीय ले जाते हैं वोट का बड़ा हिस्सा

लोहरदगा लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी काफी है. राष्ट्रीय पार्टियों के बीच मुकाबले के लिहाज से देखा जाए तो मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन जब बात निर्दलीय उम्मीदवारों की आती है तो उनकी संख्या कई प्रत्याशियों में है. जिसके चलते वोटों का बड़ा हिस्सा निर्दलीय उम्मीदवार ले जाते हैं.

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के सुदर्शन भगत और कांग्रेस के सुखदेव भगत के बीच मुकाबला था. चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत ने जीत हासिल की थी, लेकिन बात अगर निर्दलीय उम्मीदवार की करें तो संजय उरांव को 10663 वोट मिले थे.

रघुनाथ महली को 8950 और सानिया उरांव को 5226 वोट मिले थे. खास बात यह है कि सुदर्शन भगत और सुखदेव भगत के बीच जीत-हार का अंतर 10 हजार वोटों से भी कम था. जबकि इन दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों को ही 24 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में थे.

2014 चुनाव का हाल

2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस बार भारतीय जनता पार्टी के सुदर्शन भगत और कांग्रेस के डॉ.रामेश्वर उरांव के बीच सीधा मुकाबला था. इस चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत ने जीत हासिल की थी. सुदर्शन भगत ने 6489 वोटों से रामेश्वर उरांव को हराया था.

इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों को मिले वोटों की बात करें तो निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र उरांव को 6436 वोट, रंजीत उरांव को 6037 वोट और नवल किशोर सिंह को 5870 वोट मिले. बात सीधी है, इस चुनाव में भी 18000 से ज्यादा वोट निर्दलीयों ने ले लिए.

2009 चुनाव का हाल

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था. इस साल तो निर्दलीय उम्मीदवार को मिले वोटों ने सभी को चौंका दिया था. यहां चुनावी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं, बल्कि बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच था. भारतीय जनता पार्टी से सुदर्शन भगत चुनाव मैदान में थे. जबकि चमरा लिंडा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे.

कांग्रेस की ओर से डॉ. रामेश्वर उरांव चुनाव लड़ रहे थे. इस चुनाव में सुदर्शन भगत को 1,44,628 वोट मिले, जबकि डॉ. रामेश्वर उरांव को 1,29,622 वोट मिले. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा को रामेश्वर उरांव से 1,36,345 वोट ज्यादा मिले थे. इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवारों को भी खूब वोट मिले. इस चुनाव में रामेश्वर उरांव तीसरे स्थान पर चले गये थे. जबकि चमरा लिंडा को दूसरा स्थान मिला. हर बार चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की स्थिति ऐसी ही होती है.

लोहरदगा लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका काफी अहम है. राष्ट्रीय पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा जरूर है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों को भी बड़ा वोट मिलता है. जिसके चलते राष्ट्रीय पार्टियों के बीच जीत-हार का मुकाबला बेहद करीबी हो जाता है. पिछले कई बार के चुनाव आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

यह भी पढ़ें: Video Explainer: लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने समीर उरांव को बनाया उम्मीदवार, जानिए क्या है इस सीट का इतिहास

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024ः जानिए लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के युवा अपने सांसद से क्या उम्मीद रखते हैं

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024: लोहरदगा लोकसभा सीट का सफरनामा, यहां बीजेपी और कांग्रेस में रही है कांटे की टक्कर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.