बोकारो: भाजपा का दामन छोड़कर डॉ उषा सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में गिरिडीह लोकसभा सीट से अपना नामांकन किया है. मंगलवार को डॉ उषा ने बोकारो डीसी सह निर्वाची पाधिकारी के कार्यालय पहुंचकर अपना नॉमिनेशन किया. पेशे से चिकित्सक उषा सिंह ने सोमवार को नामांकन पत्र खरीदा था.
गिरिडीह में तीन प्रमुख प्रत्याशी पहले से हैं मैदान में
बताते चलें कि गिरिडीह लोकसभा सीट से तीन प्रमुख उम्मीदवार मैदान में पहले से हैं. जिनमें एनडीए की तरफ से आजसू नेता सह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, इंडिया गठबंधन की तरफ से टुंडी से झामुमो विधायक मथुरा महतो, झारखंड खतियानी संघर्ष भाषा समिति के केंद्रीय अध्यक्ष जयराम महतो शामिल हैं. अब डॉ उषा भी मैदान में उतर चुकी हैं. जिससे मुकाबला काफी दिलचस्प होने की संभावना है.
गिरिडीह सांसद की उपेक्षा के कारण निर्दलीय उतरना पड़ा मैदान मेंः डॉ उषा
नॉमिनेशन करने के बाद मीडिया से बात करते हुए डॉक्टर उषा सिंह ने कहा कि वह आज भी पीएम नरेंद्र मोदी की मुरीद हैं और उनकी तारीफ करती हैं. नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन जिस प्रकार से गिरिडीह लोकसभा के सांसद ने गिरिडीह क्षेत्र की उपेक्षा की है, इसी कारण से उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया है. उन्होंने कहा कि गिरिडीह की समस्या अगर नरेंद्र मोदी भी जानेंगे तो उनका दिल छलनी हो जाएगा, क्योंकि पलायन की समस्या, कोलियरियों की स्थिति और डीवीसी की स्थिति काफी खराब है.
जानिए कौन हैं डॉक्टर उषा सिंह
डॉ उषा सिंह गिरिडीह लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरी हैं . गिरिडीह में उन्होंने इसकी घोषणा भी की. वह भाजपा की कार्यकर्ता रह चुकी हैं. वह गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय होकर काम कर चुकी हैं. पिछले चार दशक से चिकित्सा सेवा में रह चुकी डॉ उषा सिंह सिविल असिस्टेंट सर्जन पद से सेवानिवृत हुईं थी. उन्होंने बीजेपी पर अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने का आरोप भी लगाया था.
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