कुरुक्षेत्र: भारत को अंग्रेजों से आजा करवाने के लिए हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत लंबे लड़ाई लड़ी जिसके बदौलत हमें आजादी मिला है. इस आजादी में हजारों लाखों स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान रहा. जिसकी बदौलत हम अब खुली हवा में सांस ले रहे हैं. हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. उसके उपलब्ध में 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस पूरे देश में मनाया जाता है. जिसमें हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हैं. उनको श्रद्धांजलि देते हैं.
देश की आजादी के लिए जवानों का योगदान: इसके साथ-साथ जो हमारे देश की रक्षा के लिए सैनिक शहीद हुए हैं. उनको भी श्रद्धांजलि दी जाती है. स्वतंत्रता की लड़ाई में हरियाणा के लोगों का भी काफी योगदान रहा है. हरियाणा के वीरों ने भी समय-समय पर स्वतंत्रता दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है. किस प्रकार से अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के ऊपर अत्याचार किए जाते थे. कैसे-कैसे उनके खिलाफ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने आवाज उठानी शुरू की थी. हरियाणा के स्वतंत्रता सेनानियों का उसमें कितना योगदान रहा. इसको दर्शाने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र ने एक बड़ी पहल की है. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 1857 स्वतंत्रता संग्राम के नाम से एक संग्रहालय बनाया गया है. जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र को बखूबी दर्शाया गया है.
1857 का स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय युवाओं को करता है प्रेरित: कुरुक्षेत्र जनसंचार विभाग के निदेशक डॉक्टर महा सिंह पूनिया ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के द्वारा पहले धरोहर में एक फोटो गैलरी बनाई हुई थी. जिसमें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले हरियाणा के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में दर्शाया गया है. जहां पर सैकड़ों की संख्या में उनके चित्र लगाए गए हैं. उनकी जीवनी के बारे में बताया गया है कि उन्होंने कब-कब कौन कौन से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया है.
संग्रहालय में आजादी से जुड़ी धरोहर: संग्रहालय में उन्होंने कहा कि उसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के द्वारा 1857 स्वतंत्रता संग्राम का संग्रहालय बनाया गया है. जहां पर हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक संग्रहालय को देखने के लिए भारत के दूसरे राज्यों और विदेशों से पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारे आने वाली युवा पीढ़ी हमारे स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जान सके और कैसे-कैसे कब-कब उन्होंने देश को स्वतंत्र करने के लिए अहम भूमिका निभाई है. उसका चित्रण वहां पर किया गया है. हरियाणा के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पूर्ण जानकारी वहां पर दी गई है. इसके साथ-साथ भारत को आजाद करने के लिए पूरे देश के स्वतंत्रता सेनानी के बारे में भी वहां पर दर्शाया गया है.
जंग ए आजादी हरियाणा के 3297 लोग हुए शहीद: आपको बता दे कि पहले स्वतंत्रता संग्राम में हजारों की संख्या में भारतीयों ने शहादत देकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फुक था. उस दिन की बढ़ती हुई चिंगारी आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को शांत हुई थी. भारत को आजाद करने में और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने में हरियाणा के लोगों का भी अहम योगदान रहा था. स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति में हरियाणा के 3297 लोग शहीद हुए थे. उन लोगों में से सिर्फ 1110 लोगों की ही पहचान हो पाई थी. बाकी 2187 लोगों के सब को अंग्रेजों की क्रूरता के कारण इतनी क्षत विक्षत कर दिए गए थे कि उनकी पहचान नहीं हो पाई थी.
मंगल पांडे ने किया विरोध: भारत को आजाद करने में हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले से सबसे ज्यादा 485 लोग शहीद हुए थे. जिनमें से केवल 29 लोगों की ही पहचान हो पाई थी. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के परिसर में समर्पित संग्रहालय इस क्रांति के वीरों की गाथा का सचित्र वर्णन करता है. स्वतंत्रता संग्राम में प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे ने जब चर्बी वाले कस्तूर मुंह से कटने से मना कर दिया था. उसे चित्रण को भी यहां पर दर्शाया गया है. इसके अतिरिक्त यहां पर रानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे सहित बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में चित्रण किया गया है. हरियाणा में सबसे पहले स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की शुरुआत अंबाला जिले से हुई थी.
हजारों पर्यटक पहुंचते हैं संग्रहालय: डॉ. महा सिंह पूनिया ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बनाया गया. 1857 की क्रांति का संग्रहालय को देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं. जहां पर हर महीने करीब 35000 पर्यटक इस संग्रहालय में भारत के कोने-कोने और विदेशों से यहां पर पहुंचते हैं. जिनको अपने स्वतंत्रता संग्राम की पूरी जानकारी इस संग्रहालय में मिलती है. यहां पर स्वतंत्रता के नायकों के बारे में बखूबी चित्रण किया गया है.
संग्रहालय से मिलती है इतिहास की जानकारी: उन्होंने बताया कि संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी मिले और सबसे मुख्य उद्देश्य उनका यह है कि जो उनकी आने वाली युवा पीढ़ी है. उनको भी पता चले कि हमारे देश को आजाद करने के लिए सेनानियों ने कितनी बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी और इन कुर्बानियां में किसकी कितनी भूमिका रही है. इसका मुख्य उद्देश्य यही है कि हमारा इतिहास हमारे युवाओं को पता चले जिसे वह उनके नक्शे कदम पर चले.
अंग्रेजों के समय भारतीय की स्थिति: संग्रहालय में यह भी दिखाया गया है कि देश को स्वतंत्र करवाने के लिए कैसे-कैसे लड़ाई लड़ी गई. सबसे पहले इसकी शुरुआत कहां से हुई और कौन-कौन से समय में कौन से स्वतंत्रता सेनानी ने देश को स्वतंत्र करने के लिए अहम भूमिका निभाई है. वहीं, इस संग्रहालय में अंग्रेजों के द्वारा जो भारतीयों के ऊपर जुल्म किए जाते थे. उनके बारे में भी दिखाया गया है कि कैसे वह भारतीय पर जुल्म करके अपनी हुकूमत जमाना चाहते थे.
भारतीय जवानों ने दी कुर्बानियां: आज स्वतंत्रता दिवस है. हमारा स्वतंत्रता दिवस पर यह संग्रहालय दिखाना और उसके बारे में जानकारी देने का भी मुख्य उद्देश्य यही है कि हर कोई स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. ऐसे में हमें यह भी जानकारी मिले कि हमें जो यह स्वतंत्रता मिली है. तो उसमें कितने लोगों की जान की आहुति डाली गई थी और समय-समय पर किस-किस स्वतंत्रता सेनानी ने देश को आजाद करने के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं.
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