फर्रुखाबाद : तमाम क्रांतिकारिओं और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान के बाद इस बार 15 अगस्त को देश अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. दिलों में आजादी की चिंगारी भड़काने से लेकर देश के लिए सबकुछ कुर्बान करने वाले शूरवीरों की शौर्यगाथा आज भी लोगों में देशप्रेम का जज्बा करती है. इन्हीं वीर सपूतों में से फर्रुखाबाद के पंडित राम नारायण आजाद भी थे.
पंडित राम नारायण आजाद का जन्म 2 सितंबर 1897 को शहर कोतवाली क्षेत्र के साहबगंज में हुआ था. क्रांतिकारी के पोते बॉबी दुबे के अनुसार ब्रिटिश खुफिया रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि उनके दादा क्रांतिकारियों को बम और पिस्टल की सप्लाई करते थे. जिले में जब क्रांति की ज्वाला धधकी तो इसे हवा देने का काम पंडित रामनारायण आजाद ने किया.
कई बमकांड में शामिल थे पंडित राम नारायण : दादा का बड़ा नेटवर्क था. उन पर कई बम कांड में लिप्त होने के आरोप थे. अंग्रेजी हुकूमत को उनकी तलाश थी. पंडित आजाद ने दो बम कांड यहीं पर किए. एक लखनऊ में किया था. आगरा में उनके दल के सहयोगी राम नक्षत्र भी बमकांड में शामिल रहे थे. उस दौर में आजादी के मतवालों को मौत का खौफ नहीं था. उनका मकसद केवल भारत माता को आजादी दिलाना था.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कार्यक्रम की अध्यक्षता की : पंडित राम नारायण का दल बहुत साहसी था. दल के सहयोगी फतेहपुर के संत कुमार पांडे ने आबकारी इंस्पेक्टर की रिवाल्वर छीन ली थी. यही नहीं, ब्रिटिश हुकूमत पर भी आजाद का खौफ था. आगरा के वेदनारायण, सुरेंद्र दत्त पालीवाल, बच्चा बाबू, इलाहाबाद के गिरीश चंद्र बोस, मथुरा के नेकराम, गोरखपुर के राम नक्षत्र त्रिपाठी के अलावा पंडित राम प्रसाद बिस्मिल इनके सहयोगी थे. एक बार शहर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस आए थे. उस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता आजाद ने ही की थी.
चंद्रशेखर आजाद को दी थी पिस्टल : बॉबी दुबे के अनुसार खुफिया रिपोर्ट में यह भी रेखांकित है कि चंद्रशेखर आजाद पंडित रामनारायण आजाद के घर भोजन करने के बाद विश्राम घाट चले गए. रामनारायण आजाद ने ही इन्हें पिस्तौल और कारतूस दी थी. कानपुर के लक्ष्मण दास धर्मशाला में चंद्रशेखर आजाद और रामनारायण आजाद योजना बना रहे थे, तभी ब्रिटिश हुकूमत पीछे पड़ गई. मौका पाकर चंद्रशेखर आजाद निकल लिए जबकि रामनारायण आजाद को गिरफ्तार कर एक वर्ष तक कठोर दंड दिया गया.
बम बनाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देते थे : कानपुर के बिल्हौर के क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद कटियार के बेटे क्रांति कटियार के अनुसार रामनारायण आजाद देश के बड़े क्रांतिकारी थे. वह शुरुआत से ही क्रांतिकारियों के संगठन को आगे बढ़ाते रहे. 1930 के बाद की क्रांतिकारी गतिविधियों में उनकी अहम भूमिका रही. देश के कई जगह कई शहरों में उनके संगठन के द्वारा बम बनाना, बम चलाना, हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान की क्रांतिकारी गतिविधियों में रिंग लीडर रामनारायण आजाद को ही माना गया.
घर में थे सात दरवाजे, गद्दार ने घर में घुसकर मारी थी गोली : आजाद घोड़े से इलाके में घूमते रहते थे. गरीब की मदद करते थे. शहीद चंद्रशेखर आजाद ने उनके साथ मिलकर कई घटनाएं की थीं. उन्हीं के घर बम बनाया जाता था. उनके घर में सात दरवाजे थे. 1947 में देश की आजादी से 4 दिन पहले 11 अगस्त को ही एक गद्दार ने अंग्रेजों के साथ मिलकर उनके घर में ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. रविवार को उनकी शहादत दिवस पर साहबगंज चौराहा स्थित आजाद भवन पर में उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया.
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