कोरबा : छत्तीसगढ़ सरकार 15 नवंबर से समर्थन मूल्य पर किसानों से धान की खरीदी करेगी, लेकिन इसके ठीक पहले सहकारी समितियों में हड़ताल शुरू हो गई है. तीन सूत्रीय मांगों को लेकर सहकारी समितियों ने मोर्चा खोला है. समितियों में काम करने वाले कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं. इनके कर्मचारियों ने रायपुर में डेरा डाल दिया है. जिले की 41 के साथ ही प्रदेश की 2058 समितियों में काम काज पूरी तरह से ठप है.
क्या हैं तीन सूत्रीय मांग :
1- मध्यप्रदेश सरकार की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में काम करने वाले सभी सहकारी समितियों के कर्मचारियों को वेतनमान के लिए 3-3 लाख रुपए की सालाना अनुदान राशि दी जाए.
2- समितियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सेवा नियम 2018 में संशोधन करते हुए पुनरीक्षित वेतनमान लागू किया जाए. धान खरीदी नीति में बदलाव लाया जाए, सुखता मान्य को आसान बनाए जाए.
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3- खरीदी के दौरान समितियों में होने वाली व्यय, कमीशन, खाद-बीज, फसल बीमा की राशि में चार गुना बढ़ोत्तरी की जाए.
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पूर्व में मुख्यमंत्री जनदर्शन में आवेदन देकर समितियों की ओर से तीन सूत्रीय मांगों के संबंध में अवगत कराया गया था. अभी तक इस दिशा में सरकार की ओर से कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया. इसलिए समितियों में काम करने वाले कर्मचारी हड़ताल पर हैं - विनोद कुमार भट्ट, जिलाध्यक्ष सहकारी समिति कर्मचारी संघ
चरणबद्ध आंदोलन को तैयार समितियां : समितियों की ओर से बताया गया है कि मांगों के समर्थन में 18 से 20 अक्टूबर तक कालीपट्टी लगाकर विरोध किया गया था. 21 व 22 अक्टूबर को कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर थे. मांग पूरी नहीं होने पर अब बेमियादी हड़ताल पर हैं. सहकारी समितियों में धान खरीदी की तैयारी शुरू हो गई है. इस साल धान बेचने के लिए कोरबा जिले में 50 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है. इसमें लगभग 3 हजार नए किसान हैं. किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए जिला प्रशासन अपनी तैयारियों को पूरा करने में लगा हुआ है.
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