रांची: झारखंड में 13 मई को हुए लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि शहरी मतदाताओं की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता वोटिंग को लेकर काफी जागरूक हैं और यही वजह है कि मतदान में इनकी भागीदारी शहर की तुलना में अधिक रहती है. इस बार भी 13 मई को मतदान के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में शहर की तुलना में अधिक मतदान हुआ है.
इस बार मतदान का प्रतिशत 66.01% रहा जिसमें पोस्टल बैलेट के आंकड़े शामिल नहीं हैं. यदि आंकड़ों पर नजर दौराएं तो 2019 की तरह ही इस बार मतदान प्रतिशत बना रहा हालांकि पलामू में मतदान प्रतिशत करीब तीन प्रतिशत नीचे रहा. खूंटी में सबसे ज्यादा 69.93% सिंहभूम में 69.32 % लोहरदगा में 66.45% और पलामू में 61.27% मतदान हुआ जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक वोट सिंहभूम में पड़े थे जहां 69.26% मत पड़े थे. इसी तरह खूंटी में 69.25%, लोहरदगा में 66.30% और पलामू में 64.34% मतदान हुए थे.
शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र मतदान में आगे रहा. खरसावां में 78.38%, तमाड़ में 72.35%, चाईबासा में 71.39%, मांडर में 67.39%, सरायकेला में 70.98% और लोहरदगा में 70.05% वोटिंग हुई.
शहरी क्षेत्र से अधिक ग्रामीण क्षेत्र में मतदान
इस बार भी शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में मतदान अधिक हुए. जानकारी के मुताबिक सिंहभूम के दुर्गम इलाके जहां पहली बार ग्रामीणों ने अपने गांव में बने बूथ पर मतदान किया वहां 75% से अधिक पोल हुए हैं वहीं आदित्यपुर, सरायकेला जैसे शहरी क्षेत्र में 2019 की तुलना में मतदान कम हुए. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था जहां के बूथों पर 70 फीसदी से अधिक मतदान हुए हैं.
पहली बार 24 ऐसे बूथ पर लोगों ने इस चरण में मतदान किया जहां हमेशा चुनाव के वक्त ग्रामीणों को दूसरे जगह बने बूथ पर जाना पड़ता था. इस बार उन्हें अपने गांव में ही मतदान का मौका मिला. आपको बता दें कि पहले चरण में सभी चारों संसदीय क्षेत्र में 639 शहरी और 6956 ग्रामीण क्षेत्र में मतदान केंद्र बनाए गए थे जिसमें 1376 बूथ घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में थे.
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