खूंटीः जिले में करोड़ों के शराब घोटाले की बात कही जा रही है. उत्पाद विभाग की जांच में खुलासा हुआ है कि खुदरा शराब बेचने वाली एजेंसी ने विगत पांच माह के दौरान तीन करोड़, 83 लाख, 18 हजार 795 रुपये की गड़बड़ी की है. उत्पाद विभाग ने जांच के बाद एजेंसी और एजेंसी के जिला को-ऑर्डिनेटर को पत्राचार कर गबन की गई राशि जमा करने का निर्देश दिया है. विभाग की ओर से कहा गया है कि यदि समय पर राशि जमा नहीं करायी गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
राशि की रिकवरी के लिए एजेंसी को लिखा पत्र
जिला उत्पाद अधीक्षक के पत्र में उल्लेख है कि जेएसबीसीएल द्वारा संचालित खुदरा उत्पाद दुकानों का अंतर बिक्री राशि के संबंध में है और जांच के बाद खुदरा दुकानों में बड़ा अंतर पाया गया है. 3 करोड़, 83 लाख, 18 हजार 795 रुपये का बड़ा अंतर जांच में पाया गया है. जिसे उक्त एजेंसी और एजेंसी के को-ऑर्डिनेटर जमा करें अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
एजेंसी पर गबन का आरोप
खूंटी जिले में एक एजेंसी को सरकार ने खूंटी जिले में मैन पावर की जिम्मेदारी दी है. एजेंसी खूंटी में एक साल से काम कर रही है और इसका संचालन एजेंसी द्वारा नियुक्त को-ऑर्डिनेटर द्वारा किया जा रहा है. जिले की 22 दुकानों में एजेंसी द्वारा नियुक्त को-ऑर्डिनेटर खुदरा शराब बिक्री करने के साथ-साथ पैसे की लेनदेन का भी हिसाब रखते हैं.
तीन महीने के भीतर करोड़ों की हेराफेरी
इसके अलावा उत्पाद अधीक्षक हर महीने शराब बिक्री का हिसाब कर विभाग को रिपोर्ट भेजते हैं. उत्पाद विभाग की जांच में पता चला है कि हाल के तीन महीने के भीतर एजेंसी के को-ऑर्डिनेटर द्वारा करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है. जांचोपरांत विभाग ने पाया कि जिले की 22 दुकानों से 3 करोड़, 83 लाख, 18 हजार 795 रुपये गायब हैं.
उत्पाद अधीक्षक ने विभाग को भेजी जांच रिपोर्ट
इस संबंध में जिला उत्पाद अधीक्षक मीनाक्षी प्रसाद ने बताया कि जांच रिपोर्ट विभाग को भेज दी गई है और एजेंसी के को-आर्डिनेटर को गबन की गई राशि को जमा करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि अगर समय पर उक्त राशि जमा नहीं करने पर एजेंसी और को-ऑर्डिनेटर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी.
उत्पाद इंस्पेक्टर ने 22 दुकानों में की थी जांच
उत्पाद विभाग की सूत्रों के अनुसार जिले में शराब बिक्री में एजेंसी के को-ऑर्डिनेटर रोजाना के सेल के दो लाख में से एक लाख लेकर चला जाता था और एक लाख सेल रजिस्टर में चढ़वा देता था. यह काम महीने के बीच में कभी भी किया जाता था. इस खेल के दौरान विगत महीने चार करोड़ रुपये के घोटाले का मामला पकड़ में आया था. उसके बाद मामले की जांच शुरू की गई थी. जिले की 22 दुकानों में उत्पाद इंस्पेक्टर संदीप नाग द्वारा जांच की गई. जिसमें 3 करोड़, 83 लाख, 18 हजार, 795 रुपये के गबन का मामला पकड़ में आया है.
ऐसे किया जाता था घोटाला
दूसरा घोटाला 18 दुकानों के पार्टी ट्रांसफर के जरिए होता है. जैसे कि जिले में 18 दुकान हैं और जिस दुकान में सेल कम है उस दुकान में शराब का स्टॉक बढ़ाया हुआ है, लेकिन उस दुकान में सेल नहीं है. उसी दौरान उस दुकान में स्टॉक को ज्यादा बिक्री वाले दुकान में स्टॉक ट्रांसफर कर दिया जाता है और उसी दौरान दिया ट्रासंफर किए गए स्टॉक का रुपये एजेंसी के को-ऑर्डिनेटर की जेब में चला जाता है.
इसके अलावा जांचोपरांत विभाग ने पाया कि 22 दुकानों में स्टॉक दारू और ग्राहकों को बेची गयी शराब में 10 रुपये से लेकर 50 रुपये तक अधिक वसूली भी की गई है. हालांकि मामले पर उत्पाद अधीक्षक मीनाक्षी प्रसाद ने कहा कि पहले गबन राशि रिकवरी कराना प्राथमिकता है. उसके बाद आगे की जांच की जाएगी.
एजेंसी के को-ऑर्डिनेटर ने गबन से किया इनकार
उधर, इस संबंध में एजेंसी के को-ऑर्डिनेटर ने बताया कि जिले के उत्पाद विभाग ने उन्हें पत्राचार कर गबन की राशि लौटने को कहा है, लेकिन यहां कोई गबन का मामला नहीं है. जिला द्वारा ऑडिट रिपोर्ट में करोड़ों रुपये का गबन बताया गया है जो एकपक्षीय है. एजेंसी भी ऑडिट कर रही है जल्द अपनी ओर से फाइनल रिपोर्ट देगी. जिसके बाद राशि का हिसाब होगा. फिलहाल विभाग को एजेंसी की ओर से एक करोड़ 27 लाख जमा कराए जाए चुके हैं.
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