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अपराध होने पर किसी भी पुलिस थाने में दर्ज करवा सकते हैं जीरो एफआईआर, थानों के नहीं काटने पड़ते चक्कर

भारतीय न्याय संहिता में देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करा सकते हैं. बाद में मामला संबंधित थाने में भेजा जाता है.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

Provisions of Zero FIR
देश में कहीं से भी दर्ज करा सकते हैं जीरो एफआईआर (Photo ETV Bharat Jaipur)

जयपुर: आमतौर पर किसी व्यक्ति के साथ अपराध होने पर संबंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करवाई जाती है, लेकिन कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि जिस व्यक्ति के साथ अपराध हुआ है. वह उस संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज नहीं करवा पाता है. ऐसे में पीड़ित किसी भी निकटतम थाने में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकता है. हालांकि, एफआईआर दर्ज करने के बाद यह मामला जांच के लिए उसी थाने में भेजा जाता है. जिस थाने के कार्य क्षेत्र में अपराध घटित हुआ है. मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि अपराध होने पर संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज करवाई जाती है और उसके अलावा किसी भी पुलिस थाने में व्यक्ति अपराध के बारे में रिपोर्ट दर्ज करवाना चाहता है तो उसे जीरो एफआईआर कहा जाता है.

पत्र व ई-मेल से भी दर्ज हो सकती है जीरो एफआईआर: अधिवक्ता रामप्रताप सैनी का कहना है कि जहां घटना घटी हो या अपराध कारित हुआ है. उससे संबंधित थाने के अलावा भी किसी भी थाने में पीड़ित या शिकायतकर्ता अपनी रिपोर्ट जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज करवा सकता है. इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत होकर ई-मेल या पत्र के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है. इसे जीरो नंबर एफआईआर कहा जाता है. जीरो नंबर एफआईआर में शिकायत दर्ज हो जाती है, लेकिन एफआईआर का नंबर और थाना अंकित नहीं होता है.

अपराध होने पर किसी भी पुलिस थाने में दर्ज करवा सकते हैं जीरो एफआईआर (Vedeo ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: ACB की एफआईआर को रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंची मेयर मुनेश, याचिका दायर

थानों के चक्कर काटने से मिलती है निजात: उन्होंने बताया कि जीरो एफआईआर दर्ज होने पर उस थाने में भेजी जाती है. इसके कार्यक्षेत्र में अपराध घटित हुआ है. उसी थाने में एफआईआर पर नंबर अंकित होते हैं. इससे जो अपराध हुआ है. वह पुलिस के संज्ञान में आ जाता है और पुलिस अपनी जांच शुरू कर देती है. जीरो एफआईआर से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें परिवादी को थानों के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं. पीड़ित पक्ष को जल्दी न्याय मिल पाता है.

संबंधित थाने में भेजा जाता है मामला: उन्होंने बताया कि आमतौर पर किसी व्यक्ति के साथ कोई घटना या अपराध होने पर वह घर आ जाता है. मसलन किसी की जेब कट गई हो. किसी के साथ मारपीट हो गई या लूट की वारदात हो गई. इसके बाद वह अपने घर आ जाता है. ऐसी परिस्थिति में संबंधित व्यक्ति संबंधित थाने में जाकर एफआईआर दर्ज करवाने के बजाए अपने नजदीकी किसी भी पुलिस थाने में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकता है. हालांकि, ऐसे मामलों में जांच उसी थाने की पुलिस करेगी. जिस थाने के कार्यक्षेत्र में घटना या अपराध हुआ है. किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज होने के बाद संबंधित थाने में भेज दी जाती है. जहां पुलिस अनुसंधान शुरू करती है.

जयपुर: आमतौर पर किसी व्यक्ति के साथ अपराध होने पर संबंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करवाई जाती है, लेकिन कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि जिस व्यक्ति के साथ अपराध हुआ है. वह उस संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज नहीं करवा पाता है. ऐसे में पीड़ित किसी भी निकटतम थाने में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकता है. हालांकि, एफआईआर दर्ज करने के बाद यह मामला जांच के लिए उसी थाने में भेजा जाता है. जिस थाने के कार्य क्षेत्र में अपराध घटित हुआ है. मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि अपराध होने पर संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज करवाई जाती है और उसके अलावा किसी भी पुलिस थाने में व्यक्ति अपराध के बारे में रिपोर्ट दर्ज करवाना चाहता है तो उसे जीरो एफआईआर कहा जाता है.

पत्र व ई-मेल से भी दर्ज हो सकती है जीरो एफआईआर: अधिवक्ता रामप्रताप सैनी का कहना है कि जहां घटना घटी हो या अपराध कारित हुआ है. उससे संबंधित थाने के अलावा भी किसी भी थाने में पीड़ित या शिकायतकर्ता अपनी रिपोर्ट जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज करवा सकता है. इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत होकर ई-मेल या पत्र के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है. इसे जीरो नंबर एफआईआर कहा जाता है. जीरो नंबर एफआईआर में शिकायत दर्ज हो जाती है, लेकिन एफआईआर का नंबर और थाना अंकित नहीं होता है.

अपराध होने पर किसी भी पुलिस थाने में दर्ज करवा सकते हैं जीरो एफआईआर (Vedeo ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: ACB की एफआईआर को रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंची मेयर मुनेश, याचिका दायर

थानों के चक्कर काटने से मिलती है निजात: उन्होंने बताया कि जीरो एफआईआर दर्ज होने पर उस थाने में भेजी जाती है. इसके कार्यक्षेत्र में अपराध घटित हुआ है. उसी थाने में एफआईआर पर नंबर अंकित होते हैं. इससे जो अपराध हुआ है. वह पुलिस के संज्ञान में आ जाता है और पुलिस अपनी जांच शुरू कर देती है. जीरो एफआईआर से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें परिवादी को थानों के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं. पीड़ित पक्ष को जल्दी न्याय मिल पाता है.

संबंधित थाने में भेजा जाता है मामला: उन्होंने बताया कि आमतौर पर किसी व्यक्ति के साथ कोई घटना या अपराध होने पर वह घर आ जाता है. मसलन किसी की जेब कट गई हो. किसी के साथ मारपीट हो गई या लूट की वारदात हो गई. इसके बाद वह अपने घर आ जाता है. ऐसी परिस्थिति में संबंधित व्यक्ति संबंधित थाने में जाकर एफआईआर दर्ज करवाने के बजाए अपने नजदीकी किसी भी पुलिस थाने में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकता है. हालांकि, ऐसे मामलों में जांच उसी थाने की पुलिस करेगी. जिस थाने के कार्यक्षेत्र में घटना या अपराध हुआ है. किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज होने के बाद संबंधित थाने में भेज दी जाती है. जहां पुलिस अनुसंधान शुरू करती है.

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