ETV Bharat / state

ईद-उल-फितर पर ईदगाह पहुंचने से पहले क्यों दिया जाता है फितरा और कैसे तय होता है जकात? - Why Fitra given how Zakat decided

इस्लामिक माह रमजान की आख़िरी तरावी मंगलवार को अदा होने के बाद अब बुधवार को आख़िरी रोजा होगा. फिर गुरुवार को मुस्लिम धर्मावलंबी ईद उल फितर का त्योहार मनाएंगे. इससे पहले मुस्लिम धर्मावलंबी जकात और फितरा अदा करते हैं. अगर आप भी जकात और फितरा के बारे में जानना चाहते हैं तो आप ये खबर जरूर पढ़ें.

Importance of Fitra and Zakat
क्यों दिया जाता है फितरा और क्या है जकात का महत्व
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 10, 2024, 2:22 PM IST

Updated : Apr 10, 2024, 2:45 PM IST

क्यों दिया जाता है फितरा और क्या है जकात का महत्व

राजगढ़। भारत देश सहित दुनिया के अलग अलग मुल्क में इस्लामिक माह रमजान की आख़िरी तरावी मंगलवार को अदा की जा चुकी है. वहीं, बुधवार को आख़िरी रोजा पूरा होने के पश्चात गुरुवार को मुस्लिम धर्मावलंबी ईद उल फितर का त्योहार मनाएंगे, लेकिन उससे पहले कुछ जरूरी बाते हैं जिन्हे ध्यान में रखना इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले मुस्लिमों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है. जिन्हें अदा किए बगैर मुस्लिम धर्मावलंबी ईदगाह नहीं पहुंचते हैं.

जानिए क्यों दिया जाता है फितरा

आपको बता दें कि, इस्लाम धर्म के अनुसार ईद की नमाज़ और ईदगाह पर पहुंचने से पहले मुस्लिम धर्मावलंबी जकात और फितरा अदा करते हैं, ताकि जो जरूरतमंद हैं उन लोगों तक यह माल पहले पहुंच जाए और उनकी भी ईद हो सके. लेकिन किन लोगों को इसे देना जरूरी है और इसके योग्य कौन-कौन लोग होते हैं और आमदनी या कैपिटल में से इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है. उसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने राजगढ़ जिला काज़ी सैय्यद नाजिम अली और मदीना मस्जिद के पेश इमाम हाफ़िज़ सादिक से बात की.

जानिए कैसे कैलकुलेट होता है इस्लामिक इनकम टैक्स

जिला काज़ी सैय्यद नाजिम अली ने बताया कि, ''अल्लाह रब्बुल इज्जत ने जकात को इस्लाम के अंदर साहिबे निसाब (दौलतमंद) पर फर्ज (जरूरी) किया है. जिसमें से बचे हुए माल में से ढाई फीसदी हिस्सा गरीबों, मिसकीनो (मोहताज) और जरूरतमंदों के लिए निकाला जाता है. जिसकी उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि यदि आपके पास कुछ रकम है और आप साहिबे निसाब (दौलतमंद) हो और वो रकम आपके काम नहीं आ रही हो और उसके ऊपर पूरा एक साल गुजर गया. साल गुजरने के बाद उस रकम का ढाई फीसद हिस्सा मोहताज, गरीब और जरूरतमंदों को देना होगा, ताकि उनकी जरूरत पूरी हो और उनकी भी ईद हो सके. इसलिए अल्लाह ने ये व्यवस्था की है, ताकि जिन्हें दौलत से नवाजा गया है वे लोग गरीबों पर खर्च करें, इसलिए जकात के इस हिस्से को फर्ज किया गया है,जकात की शक्ल बैंक बैलेंस, नगदी, सोना चांदी के जेवरात या मुनाफा कमाने के लिए खरीदी गई प्रॉपर्टी या अन्य चीजें भी हो सकती हैं''.

Importance of Fitra and Zakat
क्यों दिया जाता है फितरा और क्या है जकात का महत्व

ये भी पढ़ें:

क्या है तरावीह का मकसद! रमजान में क्यों पढ़ी जाती है यह खास नमाज, जानिये सही तरीका और दुआ

राजगढ़ का अनोखा कुंआ जिसमें सैकड़ों मोटर डाल, बांस-बल्लियों से बुझती है 700 लोगों की प्यास

जानिए क्या है जकात का महत्व

साथ में मौजूद मदीना मस्जिद के पेश इमाम हाफ़िज़ सादिक ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि, ''फितरा ईद की खुशी का सामान है, हमने पूरे रोजे रखें तरावी पढ़ी और ईद का दिन हमारे लिए इनाम के साथ खुशी का भी दिन होता है. जिसमें पहले गरीबों का हिस्सा होता है कि पहले गरीबों की ईद हो और बाद में सबकी ईद हो. इसके लिए जरूरी है कि ईदगाह पहुंचने से पहले हम अपने घर के लोगों की तरफ से फितरा अदा करें और इसकी जो मिकदार (मात्रा) है वो यह है कि पौने 2 किलो गेंहू या इसकी कीमत हम अदा करें और अगर किसी को ईश्वर ने और भी दौलत दी है तो वह साढ़े 3 किलो किशमिश या उसकी कीमत भी अपने परिवार की तरफ से अदा कर सकता है. ये अदा करना बहुत जरूरी है क्योंकि हमारे नबी का कथन है कि जिन लोगों ने फितरा अदा न किया हो वे लोग ईदगाह में न आएं. इसलिए इसका अदा करना बेहद जरूरी है, क्योंकि जो गरीब, मुस्तहिक और जरूरतमंद लोग हैं वह भी हमारे साथ खुशियों में शामिल हों और फितरा हमे यही पैगाम देता है''.

क्यों दिया जाता है फितरा और क्या है जकात का महत्व

राजगढ़। भारत देश सहित दुनिया के अलग अलग मुल्क में इस्लामिक माह रमजान की आख़िरी तरावी मंगलवार को अदा की जा चुकी है. वहीं, बुधवार को आख़िरी रोजा पूरा होने के पश्चात गुरुवार को मुस्लिम धर्मावलंबी ईद उल फितर का त्योहार मनाएंगे, लेकिन उससे पहले कुछ जरूरी बाते हैं जिन्हे ध्यान में रखना इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले मुस्लिमों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है. जिन्हें अदा किए बगैर मुस्लिम धर्मावलंबी ईदगाह नहीं पहुंचते हैं.

जानिए क्यों दिया जाता है फितरा

आपको बता दें कि, इस्लाम धर्म के अनुसार ईद की नमाज़ और ईदगाह पर पहुंचने से पहले मुस्लिम धर्मावलंबी जकात और फितरा अदा करते हैं, ताकि जो जरूरतमंद हैं उन लोगों तक यह माल पहले पहुंच जाए और उनकी भी ईद हो सके. लेकिन किन लोगों को इसे देना जरूरी है और इसके योग्य कौन-कौन लोग होते हैं और आमदनी या कैपिटल में से इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है. उसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने राजगढ़ जिला काज़ी सैय्यद नाजिम अली और मदीना मस्जिद के पेश इमाम हाफ़िज़ सादिक से बात की.

जानिए कैसे कैलकुलेट होता है इस्लामिक इनकम टैक्स

जिला काज़ी सैय्यद नाजिम अली ने बताया कि, ''अल्लाह रब्बुल इज्जत ने जकात को इस्लाम के अंदर साहिबे निसाब (दौलतमंद) पर फर्ज (जरूरी) किया है. जिसमें से बचे हुए माल में से ढाई फीसदी हिस्सा गरीबों, मिसकीनो (मोहताज) और जरूरतमंदों के लिए निकाला जाता है. जिसकी उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि यदि आपके पास कुछ रकम है और आप साहिबे निसाब (दौलतमंद) हो और वो रकम आपके काम नहीं आ रही हो और उसके ऊपर पूरा एक साल गुजर गया. साल गुजरने के बाद उस रकम का ढाई फीसद हिस्सा मोहताज, गरीब और जरूरतमंदों को देना होगा, ताकि उनकी जरूरत पूरी हो और उनकी भी ईद हो सके. इसलिए अल्लाह ने ये व्यवस्था की है, ताकि जिन्हें दौलत से नवाजा गया है वे लोग गरीबों पर खर्च करें, इसलिए जकात के इस हिस्से को फर्ज किया गया है,जकात की शक्ल बैंक बैलेंस, नगदी, सोना चांदी के जेवरात या मुनाफा कमाने के लिए खरीदी गई प्रॉपर्टी या अन्य चीजें भी हो सकती हैं''.

Importance of Fitra and Zakat
क्यों दिया जाता है फितरा और क्या है जकात का महत्व

ये भी पढ़ें:

क्या है तरावीह का मकसद! रमजान में क्यों पढ़ी जाती है यह खास नमाज, जानिये सही तरीका और दुआ

राजगढ़ का अनोखा कुंआ जिसमें सैकड़ों मोटर डाल, बांस-बल्लियों से बुझती है 700 लोगों की प्यास

जानिए क्या है जकात का महत्व

साथ में मौजूद मदीना मस्जिद के पेश इमाम हाफ़िज़ सादिक ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि, ''फितरा ईद की खुशी का सामान है, हमने पूरे रोजे रखें तरावी पढ़ी और ईद का दिन हमारे लिए इनाम के साथ खुशी का भी दिन होता है. जिसमें पहले गरीबों का हिस्सा होता है कि पहले गरीबों की ईद हो और बाद में सबकी ईद हो. इसके लिए जरूरी है कि ईदगाह पहुंचने से पहले हम अपने घर के लोगों की तरफ से फितरा अदा करें और इसकी जो मिकदार (मात्रा) है वो यह है कि पौने 2 किलो गेंहू या इसकी कीमत हम अदा करें और अगर किसी को ईश्वर ने और भी दौलत दी है तो वह साढ़े 3 किलो किशमिश या उसकी कीमत भी अपने परिवार की तरफ से अदा कर सकता है. ये अदा करना बहुत जरूरी है क्योंकि हमारे नबी का कथन है कि जिन लोगों ने फितरा अदा न किया हो वे लोग ईदगाह में न आएं. इसलिए इसका अदा करना बेहद जरूरी है, क्योंकि जो गरीब, मुस्तहिक और जरूरतमंद लोग हैं वह भी हमारे साथ खुशियों में शामिल हों और फितरा हमे यही पैगाम देता है''.

Last Updated : Apr 10, 2024, 2:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.