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IMA गाजियाबाद ने PM मोदी के नाम सौंपा ज्ञापन, स्वास्थय कर्मियों की रक्षा के लिए संसद में विशेष कानून बनाने की मांग - DOCTORS memorandum to PM Modi - DOCTORS MEMORANDUM TO PM MODI

गाजियाबाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से प्रधानमंत्री के नाम जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा गया है. इस ज्ञापन के तहत डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री मोदी से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए संसद में विशेष कानून बनाने की मांग की है.

IMA गाजियाबाद ने PM मोदी के नाम सौंपा ज्ञापन
IMA गाजियाबाद ने PM मोदी के नाम सौंपा ज्ञापन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 17, 2024, 8:36 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देशभर में कोलकाता के सरकारी अस्पताल में एक महिला रेजीडेंट डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर भारी आक्रोश है वहीं शनिवार को देश भर में डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा बंद रखा. जिसका असर गाजियाबाद के अस्पतालों में भी देखने को मिला और मरीज इलाज के चक्कर में अस्पतालों में चक्कर लगाते नजर आएं.आईएमए के आह्वान के बाद गाजियाबाद के अस्पतालों में शनिवार को ओपीडी का संचालन नहीं हुआ. वहीं इस मसले पर आईएमए के पदाधिकारी ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

मानवता के नाते डॉक्टर ने इमरजेंसी सेवाओं को बंद नहीं किया

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (उत्तर प्रदेश) के फाइनेंस सेक्रेटरी डॉ आशीष अग्रवाल ने बताया आईएमए के पदाधिकारी ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. कोलकाता में हुई घटना के बाद देश भर के डॉक्टर खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. गाजियाबाद क्षेत्र के हजार से अधिक चिकित्सकों ने शनिवार को ओपीडी बंद रखी है. गाजियाबाद में इंडियन डेंटल एसोसिएशन के तकरीबन 200 चिकित्स्यक द्वारा इमरजेंसी सेवाओं को छोड़ सभी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को बंद रखा गया है. इंडियन फिजियोथैरेपिस्ट संगठन और नर्सिंग होम एसोसिएशन की गाजियाबाद ब्रांच द्वारा भी समर्थन दिया गया है. जिले के प्रतिष्ठित अस्पताल मैक्स यशोदा आदि में भी ओपीडी बंद है. मानवता के नाते डॉक्टर ने इमरजेंसी सेवाओं को बंद नहीं किया गया है.

डॉ. आशीष अग्रवाल का कहना है कि फिलहाल 24 घंटे के लिए ओपीडी सेवाएं बंद की गई है. हमें उम्मीद है सरकार हमारी मांगों को मानेगी यदि इस पर सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो हमें आगे के आंदोलन का रास्ता तय करना होगा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा समर्थन दिए जाने को चिकित्सकों ने हास्यस्पद बताया है. चिकित्सकों का कहना है कि ममता बनर्जी स्वयं गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री हैं इसके बावजूद भी सड़कों पर उतरकर रहती हैं "वी वांट जस्टिस". हमारी समझ से बाहर है कि ममता किस जस्टिस की मांग कर रही है जबकि पश्चिम बंगाल में उनकी ही सरकार है.

चिकित्सकों में अपनी सुरक्षा को लेकर डर का महौल

आईएमए गाजियाबाद की अध्यक्ष डॉ वाणी पुरी रावत ने बताया जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में आईएमए द्वारा कई मांगे रखी गई है. हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से लेते हुए कोई ठोस कदम उठाएगी. कोलकाता में हुई घटना के बाद देश भर के चिकित्सकों में डर बैठा हुआ है. हम सभी इस बात को जानते हैं कि बंधुआ मजदूरों के जैसा व्यवहार होता है मेडिकल रेजिडेंट्स के साथ.

ये भी पढ़ें : कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस, स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा ऐलान, डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कमेटी बनेगी

बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार: डॉ. वाणी पुरी रावत ने बताया 36 से 48 घंटे की ड्यूटी, खाने पीने की कोई सुदृढ़ व्यवस्था नहीं, नहाने का इंतजाम नहीं अधिकतर जगहों का ये हाल है. अब तो सुरक्षा भी तार तार हो गई. इससे ज्यादा रोंगटे खड़े करने वाली घटना हो ही नहीं सकती. समाज का इतना घटता स्तर कभी नहीं देखा. पश्चिम बंगाल सरकार का ढुलमुल रवैया. पुलिस का बर्बरता पूर्वक डॉक्टर्स पर लाठीचार्ज और गुंडों को सहनभूति. यही है बंगाल सरकार. हम मांग करते हैं कि स्वास्थय सेवाओं और स्वास्थय कर्मियों की रक्षा के लिए संसद में विचारणीय विधेयक लोकसभा में पारित किया जाए.

ये भी पढ़ें : कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस: कई इंटर्न और डॉक्टर शामिल, माता-पिता ने CBI को बताया

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देशभर में कोलकाता के सरकारी अस्पताल में एक महिला रेजीडेंट डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर भारी आक्रोश है वहीं शनिवार को देश भर में डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा बंद रखा. जिसका असर गाजियाबाद के अस्पतालों में भी देखने को मिला और मरीज इलाज के चक्कर में अस्पतालों में चक्कर लगाते नजर आएं.आईएमए के आह्वान के बाद गाजियाबाद के अस्पतालों में शनिवार को ओपीडी का संचालन नहीं हुआ. वहीं इस मसले पर आईएमए के पदाधिकारी ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

मानवता के नाते डॉक्टर ने इमरजेंसी सेवाओं को बंद नहीं किया

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (उत्तर प्रदेश) के फाइनेंस सेक्रेटरी डॉ आशीष अग्रवाल ने बताया आईएमए के पदाधिकारी ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. कोलकाता में हुई घटना के बाद देश भर के डॉक्टर खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. गाजियाबाद क्षेत्र के हजार से अधिक चिकित्सकों ने शनिवार को ओपीडी बंद रखी है. गाजियाबाद में इंडियन डेंटल एसोसिएशन के तकरीबन 200 चिकित्स्यक द्वारा इमरजेंसी सेवाओं को छोड़ सभी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को बंद रखा गया है. इंडियन फिजियोथैरेपिस्ट संगठन और नर्सिंग होम एसोसिएशन की गाजियाबाद ब्रांच द्वारा भी समर्थन दिया गया है. जिले के प्रतिष्ठित अस्पताल मैक्स यशोदा आदि में भी ओपीडी बंद है. मानवता के नाते डॉक्टर ने इमरजेंसी सेवाओं को बंद नहीं किया गया है.

डॉ. आशीष अग्रवाल का कहना है कि फिलहाल 24 घंटे के लिए ओपीडी सेवाएं बंद की गई है. हमें उम्मीद है सरकार हमारी मांगों को मानेगी यदि इस पर सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो हमें आगे के आंदोलन का रास्ता तय करना होगा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा समर्थन दिए जाने को चिकित्सकों ने हास्यस्पद बताया है. चिकित्सकों का कहना है कि ममता बनर्जी स्वयं गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री हैं इसके बावजूद भी सड़कों पर उतरकर रहती हैं "वी वांट जस्टिस". हमारी समझ से बाहर है कि ममता किस जस्टिस की मांग कर रही है जबकि पश्चिम बंगाल में उनकी ही सरकार है.

चिकित्सकों में अपनी सुरक्षा को लेकर डर का महौल

आईएमए गाजियाबाद की अध्यक्ष डॉ वाणी पुरी रावत ने बताया जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में आईएमए द्वारा कई मांगे रखी गई है. हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से लेते हुए कोई ठोस कदम उठाएगी. कोलकाता में हुई घटना के बाद देश भर के चिकित्सकों में डर बैठा हुआ है. हम सभी इस बात को जानते हैं कि बंधुआ मजदूरों के जैसा व्यवहार होता है मेडिकल रेजिडेंट्स के साथ.

ये भी पढ़ें : कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस, स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा ऐलान, डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कमेटी बनेगी

बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार: डॉ. वाणी पुरी रावत ने बताया 36 से 48 घंटे की ड्यूटी, खाने पीने की कोई सुदृढ़ व्यवस्था नहीं, नहाने का इंतजाम नहीं अधिकतर जगहों का ये हाल है. अब तो सुरक्षा भी तार तार हो गई. इससे ज्यादा रोंगटे खड़े करने वाली घटना हो ही नहीं सकती. समाज का इतना घटता स्तर कभी नहीं देखा. पश्चिम बंगाल सरकार का ढुलमुल रवैया. पुलिस का बर्बरता पूर्वक डॉक्टर्स पर लाठीचार्ज और गुंडों को सहनभूति. यही है बंगाल सरकार. हम मांग करते हैं कि स्वास्थय सेवाओं और स्वास्थय कर्मियों की रक्षा के लिए संसद में विचारणीय विधेयक लोकसभा में पारित किया जाए.

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