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पीटीआर के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं बीड़ी पत्ता तस्कर, खुलेआम लग रहा है लातेहार में अवैध खलिहान - Illegal Beedi Leaf Business

Illegal beedi leaf business in Latehar. पीटीआर क्षेत्र में अवैध तरीके से बीड़ी पत्ता की तोड़ाई हो रही है. जिससे पीटीआर का इको सिस्टम को बिगड़ ही रहा है, साथ ही सरकार का भी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.

Illegal Beedi Leaf Business In Latehar
लातेहार के मनिका प्रखंड की कुमंडीह पंचायत में बीड़ी पत्ते का खलिहान. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 19, 2024, 5:42 PM IST

लातेहार के मनिका प्रखंड की कुमंडीह पंचायत में बीड़ी पत्ते का खलिहान और जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

लातेहारः पलामू टाइगर रिजर्व के सुरक्षित वन क्षेत्र से एक पत्ता भी तोड़ने पर प्रतिबंध है, लेकिन बीड़ी पत्ता तस्करों के द्वारा पलामू टाइगर रिजर्व के इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. पीटीआर के वन क्षेत्र में बीड़ी पत्ता के तस्करों ने बड़े पैमाने पर अवैध बीड़ी पत्ता का कारोबार आरंभ कर दिया गया है. इससे जहां पलामू टाइगर रिजर्व के वन को नुकसान पहुंच रहा है. साथ ही सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.

दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व एरिया को पूरी तरह सुरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया है. इस इलाके में किसी भी प्रकार के जंगली उत्पाद के संग्रहण पर रोक है. वन विभाग के द्वारा इस इलाके में बीड़ी पत्ता तोड़ने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन विभाग के इस नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए बीड़ी पत्ता तस्करों के द्वारा बड़े पैमाने पर यहां अवैध तरीके से बीड़ी पत्ता की तुड़ाई करवायी जा रही है.

लातेहार में बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से बीड़ी पत्ते का लगाया गया है खलिहान

लातेहार जिले के मनिका प्रखंड की कुमंडीह पंचायत का एक हिस्सा पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में आता है. इस इलाके में शिवचरण टोला नामक एक गांव है. यहां बड़े पैमाने पर अवैध बीड़ी पत्ता का खलिहान लगाया गया है. बीड़ी पत्ता के तस्करों के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को कुछ पैसे का लालच देकर मुंशी के तौर पर काम करवाया जा रहा है. मुंशी का काम करने वाले ग्रामीण अपने गांव के आसपास के खाली पड़ी जमीन में बीड़ी पत्ता का खलिहान लगा रहे हैं.

बीड़ी पत्ता खरीदारी करने के क्या हैं नियम

बीड़ी पत्ता खरीदारी का भा नियम बनाया गया है. इसके अनुसार वन विभाग के निगम के द्वारा बीड़ी पत्ता तोड़ने के लिए सामान्य जंगलों की नीलामी करायी जाती है. नीलामी में कई संवेदक भाग लेते हैं. अधिकतम बोली लगाने वाले संवेदक को बीड़ी पत्ता तुड़वाने का ठेका दिया जाता है. इसके बाद मजदूर लगाकर बीड़ी पत्ता की तोड़ाई करवाई जाती है. इस पूरी प्रक्रिया में वन विभाग को बड़ा राजस्व भी प्राप्त होता है, परंतु सुरक्षित वन क्षेत्रों में बीड़ी पत्ता तुड़ाई की अनुमति नहीं मिल सकती. इसलिए यहां के लिए टेंडर भी नहीं होता.

अवैध तरीके से बीड़ी पत्ते की तोड़ाई में नहीं देना पड़ता राजस्व, पर बिगड़ जाता है रेट

यहां दिलचस्प बात यह है कि बीड़ी पत्ता का अवैध कारोबार करने वाले लोग बीड़ी पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित दर से भी थोड़े ज्यादा पैसे देने का लालच देते हैं. क्योंकि अवैध रूप से बीड़ी पत्ता का कारोबार करने वाले लोगों को सरकार को किसी भी प्रकार का राजस्व नहीं देना पड़ता है. इस कारण उन्हें अवैध रूप से बीड़ी पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों को थोड़े अधिक पैसे देने में भी कोई नुकसान नहीं होता.

जबकि टेंडर लेकर काम करने वाले संवेदक को राजस्व के रूप में सरकार को भारी भरकम रकम देनी पड़ती है. इस कारण सरकार के द्वारा निर्धारित मजदूरी दर से अधिक पैसे देने से संवेदक इनकार करते हैं. इसका फायदा अवैध कारोबार करने वाले लोग उठाते हैं और सुरक्षित वन क्षेत्र में खलिहान लगाकर सामान्य वन क्षेत्र से तोड़े जाने वाले पत्तों को भी अवैध रूप से खरीद लेते हैं. जिससे वैध संवेदकों को भारी नुकसान होता है.

नुकसान होने पर अगले वर्ष नहीं लेता कोई टेंडर में भाग

इधर, बीड़ी पत्ता के तस्करों के द्वारा अवैध रूप से बीड़ी पत्ता का कारोबार किए जाने से जब टेंडर लेने वाले संवेदकों को नुकसान होता है तो अगली बार होने वाले टेंडर में ऐसे संवेदक भाग ही नहीं लेते है. इस कारण सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होता है.

इस संबंध में बीड़ी पत्ता कारोबार के जानकार महेंद्र यादव ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में जहां बीड़ी पत्ता की तुड़ाई पूरी तरह प्रतिबंधित है, पर प्रतिबंधित इलाके में भी तस्करों के द्वारा बीड़ी पत्ता की तोड़ाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि तस्करों को सरकार को किसी प्रकार का कोई राजस्व नहीं देना पड़ता है. इस कारण वे लोग थोड़ा रेट बढ़ाकर पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों को देते हैं. इसका नुकसान पलामू टाइगर रिजर्व के जंगली इलाकों के साथ-साथ सरकार को भी होता है.

पीटीआर क्षेत्र में बीड़ी पत्ता तोड़ने वालों पर होगी कार्रवाईः पी जेना

इधर, जब इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पी जेना ने स्पष्ट कहा कि पलामू टाइगर रिजर्व एरिया में बीड़ी पत्ता तोड़ना पूरी तरह प्रतिबंधित है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा मामला है तो इसकी जांच की जाएगी. दोषियों पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी.

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लातेहार के मनिका प्रखंड की कुमंडीह पंचायत में बीड़ी पत्ते का खलिहान और जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

लातेहारः पलामू टाइगर रिजर्व के सुरक्षित वन क्षेत्र से एक पत्ता भी तोड़ने पर प्रतिबंध है, लेकिन बीड़ी पत्ता तस्करों के द्वारा पलामू टाइगर रिजर्व के इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. पीटीआर के वन क्षेत्र में बीड़ी पत्ता के तस्करों ने बड़े पैमाने पर अवैध बीड़ी पत्ता का कारोबार आरंभ कर दिया गया है. इससे जहां पलामू टाइगर रिजर्व के वन को नुकसान पहुंच रहा है. साथ ही सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.

दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व एरिया को पूरी तरह सुरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया है. इस इलाके में किसी भी प्रकार के जंगली उत्पाद के संग्रहण पर रोक है. वन विभाग के द्वारा इस इलाके में बीड़ी पत्ता तोड़ने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन विभाग के इस नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए बीड़ी पत्ता तस्करों के द्वारा बड़े पैमाने पर यहां अवैध तरीके से बीड़ी पत्ता की तुड़ाई करवायी जा रही है.

लातेहार में बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से बीड़ी पत्ते का लगाया गया है खलिहान

लातेहार जिले के मनिका प्रखंड की कुमंडीह पंचायत का एक हिस्सा पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में आता है. इस इलाके में शिवचरण टोला नामक एक गांव है. यहां बड़े पैमाने पर अवैध बीड़ी पत्ता का खलिहान लगाया गया है. बीड़ी पत्ता के तस्करों के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को कुछ पैसे का लालच देकर मुंशी के तौर पर काम करवाया जा रहा है. मुंशी का काम करने वाले ग्रामीण अपने गांव के आसपास के खाली पड़ी जमीन में बीड़ी पत्ता का खलिहान लगा रहे हैं.

बीड़ी पत्ता खरीदारी करने के क्या हैं नियम

बीड़ी पत्ता खरीदारी का भा नियम बनाया गया है. इसके अनुसार वन विभाग के निगम के द्वारा बीड़ी पत्ता तोड़ने के लिए सामान्य जंगलों की नीलामी करायी जाती है. नीलामी में कई संवेदक भाग लेते हैं. अधिकतम बोली लगाने वाले संवेदक को बीड़ी पत्ता तुड़वाने का ठेका दिया जाता है. इसके बाद मजदूर लगाकर बीड़ी पत्ता की तोड़ाई करवाई जाती है. इस पूरी प्रक्रिया में वन विभाग को बड़ा राजस्व भी प्राप्त होता है, परंतु सुरक्षित वन क्षेत्रों में बीड़ी पत्ता तुड़ाई की अनुमति नहीं मिल सकती. इसलिए यहां के लिए टेंडर भी नहीं होता.

अवैध तरीके से बीड़ी पत्ते की तोड़ाई में नहीं देना पड़ता राजस्व, पर बिगड़ जाता है रेट

यहां दिलचस्प बात यह है कि बीड़ी पत्ता का अवैध कारोबार करने वाले लोग बीड़ी पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित दर से भी थोड़े ज्यादा पैसे देने का लालच देते हैं. क्योंकि अवैध रूप से बीड़ी पत्ता का कारोबार करने वाले लोगों को सरकार को किसी भी प्रकार का राजस्व नहीं देना पड़ता है. इस कारण उन्हें अवैध रूप से बीड़ी पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों को थोड़े अधिक पैसे देने में भी कोई नुकसान नहीं होता.

जबकि टेंडर लेकर काम करने वाले संवेदक को राजस्व के रूप में सरकार को भारी भरकम रकम देनी पड़ती है. इस कारण सरकार के द्वारा निर्धारित मजदूरी दर से अधिक पैसे देने से संवेदक इनकार करते हैं. इसका फायदा अवैध कारोबार करने वाले लोग उठाते हैं और सुरक्षित वन क्षेत्र में खलिहान लगाकर सामान्य वन क्षेत्र से तोड़े जाने वाले पत्तों को भी अवैध रूप से खरीद लेते हैं. जिससे वैध संवेदकों को भारी नुकसान होता है.

नुकसान होने पर अगले वर्ष नहीं लेता कोई टेंडर में भाग

इधर, बीड़ी पत्ता के तस्करों के द्वारा अवैध रूप से बीड़ी पत्ता का कारोबार किए जाने से जब टेंडर लेने वाले संवेदकों को नुकसान होता है तो अगली बार होने वाले टेंडर में ऐसे संवेदक भाग ही नहीं लेते है. इस कारण सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होता है.

इस संबंध में बीड़ी पत्ता कारोबार के जानकार महेंद्र यादव ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में जहां बीड़ी पत्ता की तुड़ाई पूरी तरह प्रतिबंधित है, पर प्रतिबंधित इलाके में भी तस्करों के द्वारा बीड़ी पत्ता की तोड़ाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि तस्करों को सरकार को किसी प्रकार का कोई राजस्व नहीं देना पड़ता है. इस कारण वे लोग थोड़ा रेट बढ़ाकर पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों को देते हैं. इसका नुकसान पलामू टाइगर रिजर्व के जंगली इलाकों के साथ-साथ सरकार को भी होता है.

पीटीआर क्षेत्र में बीड़ी पत्ता तोड़ने वालों पर होगी कार्रवाईः पी जेना

इधर, जब इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पी जेना ने स्पष्ट कहा कि पलामू टाइगर रिजर्व एरिया में बीड़ी पत्ता तोड़ना पूरी तरह प्रतिबंधित है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा मामला है तो इसकी जांच की जाएगी. दोषियों पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी.

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