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IIT इंदौर ने बनाया कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस, ऐसे पहचानता है शुरुआती लक्षण

IIT इंदौर ने कैंसर खासकर ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण पहचानने के लिए कम लागत वाला कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस तैयार किया है.

IIT Indore Research
आईआईटी इंदौर ने बनाया कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 9, 2024, 2:14 PM IST

इंदौर। इंदौर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT INDORE) के शोधकर्ताओं ने फोटोअकॉस्टिक तकनीक का उपयोग करके एक कॉम्पैक्ट और किफायती कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस बनाया है. यह नवाचार शुरुआती चरण के कैंसर का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ये खासकर दूरदराज के इलाकों में कारगर साबित होगा, जहां उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं. यह डिवाइस फोटोअकॉस्टिक स्पेक्ट्रल रिस्पॉन्स (PASR) के सिद्धांत पर आधारित है, जो असामान्य ऊतक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल और अकॉस्टिक संकेतों को सम्मिलित करती है. इसका उद्देश्य भारत में कैंसर विशेषकर स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाने की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करना है.

जांच मशीन पर रिसर्चर लगातर काम कर रहे हैं

आईआईटी इंदौर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर श्रीवत्सन वासुदेवन द्वारा विकसित इस अत्याधुनिक तकनीक को एम्स भोपाल पैथोलॉजी और लैब मेडिसिन विभाग के प्रमुख अन्वेषक डॉ. श्रमण मुखोपाध्याय और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के संकाय सदस्य डॉ. सैकत दास के सहयोगात्मक अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से अस्पताल देखभाल सेटअप में वैलिडेट किया जा सकता है.

IIT Indore Research
फोटोअकॉस्टिक तकनीक का उपयोग कैंसर की पहचान करने के लिए (ETV BHARAT)

एमआरआई और सीटी स्कैनर आयातित और महंगे

कैंसर को लेकर किए गए नवाचार को लेकर आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा "इस नवाचार का सामाजिक प्रभाव बहुत गहरा है. भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले ज़्यादातर डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे कि एमआरआई और सीटी स्कैनर आयातित और महंगे हैं जिससे वे आबादी के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाते हैं. इस डिवाइस में ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में कैंसर का पता लगाने में काफ़ी सुधार करने की क्षमता है. जहां शीघ्र निदान से जीवन बचाने में मदद मिल सकती है."

ये डिवाइस स्तन कैंसर की जांच के लिए उपयोगी

प्रोफेसर वासुदेवन ने कहा "इस उपकरण की खासियत कैंसर और गैर-कैंसर वाले ऊतकों के बीच अंतर करने की इसकी क्षमता है. एक कॉम्पैक्ट पल्स्ड लेजर डायोड (PLD) का उपयोग प्रकाश उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, जो ऊतक के साथ संपर्क में आता है. फिर प्रतिक्रिया का विश्लेषण करके यह पता लगाया जाता है कि ऊतक सामान्य है, सौम्य है या घातक है. यह लागत प्रभावी स्क्रीनिंग उपकरण महंगी निदान विधियों की आवश्यकता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह स्तन कैंसर की जांच के लिए विशेष रूप से उपयोगी है. क्योंकि यह घातक ट्यूमर फाइब्रोसिस्टिक परिवर्तन और सामान्य स्तन ऊतक के बीच अंतर कर सकता है."

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मौजूदा तरीकों की तुलना में ये तकनीक ज्यादा कारगर

इस फोटोअकॉस्टिक स्क्रीनिंग टूल में मौजूदा तरीकों की तुलना में कई फायदे हैं, जबकि अल्ट्रासाउंड वर्तमान में स्तन और थायरॉयड कैंसर के निदान के लिए सबसे आम तकनीक है. इसमें कुछ प्रकार के ट्यूमर का पता लगाने की सीमाएं हैं. ऊतक संवहनी और अन्य विशेषताओं के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्रदान करने के लिए फोटोअकॉस्टिक तकनीक को अल्ट्रासाउंड तकनीक के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे अधिक सटीक निदान संभव हो सकता है. यह संयोजन इसे कैंसरग्रस्त ऊतकों की पहचान करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी बना सकता है, जिन्हें अन्य विधियां अकेले नहीं पहचान पाती हैं.

इंदौर। इंदौर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT INDORE) के शोधकर्ताओं ने फोटोअकॉस्टिक तकनीक का उपयोग करके एक कॉम्पैक्ट और किफायती कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस बनाया है. यह नवाचार शुरुआती चरण के कैंसर का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ये खासकर दूरदराज के इलाकों में कारगर साबित होगा, जहां उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं. यह डिवाइस फोटोअकॉस्टिक स्पेक्ट्रल रिस्पॉन्स (PASR) के सिद्धांत पर आधारित है, जो असामान्य ऊतक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल और अकॉस्टिक संकेतों को सम्मिलित करती है. इसका उद्देश्य भारत में कैंसर विशेषकर स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाने की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करना है.

जांच मशीन पर रिसर्चर लगातर काम कर रहे हैं

आईआईटी इंदौर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर श्रीवत्सन वासुदेवन द्वारा विकसित इस अत्याधुनिक तकनीक को एम्स भोपाल पैथोलॉजी और लैब मेडिसिन विभाग के प्रमुख अन्वेषक डॉ. श्रमण मुखोपाध्याय और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के संकाय सदस्य डॉ. सैकत दास के सहयोगात्मक अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से अस्पताल देखभाल सेटअप में वैलिडेट किया जा सकता है.

IIT Indore Research
फोटोअकॉस्टिक तकनीक का उपयोग कैंसर की पहचान करने के लिए (ETV BHARAT)

एमआरआई और सीटी स्कैनर आयातित और महंगे

कैंसर को लेकर किए गए नवाचार को लेकर आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा "इस नवाचार का सामाजिक प्रभाव बहुत गहरा है. भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले ज़्यादातर डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे कि एमआरआई और सीटी स्कैनर आयातित और महंगे हैं जिससे वे आबादी के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाते हैं. इस डिवाइस में ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में कैंसर का पता लगाने में काफ़ी सुधार करने की क्षमता है. जहां शीघ्र निदान से जीवन बचाने में मदद मिल सकती है."

ये डिवाइस स्तन कैंसर की जांच के लिए उपयोगी

प्रोफेसर वासुदेवन ने कहा "इस उपकरण की खासियत कैंसर और गैर-कैंसर वाले ऊतकों के बीच अंतर करने की इसकी क्षमता है. एक कॉम्पैक्ट पल्स्ड लेजर डायोड (PLD) का उपयोग प्रकाश उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, जो ऊतक के साथ संपर्क में आता है. फिर प्रतिक्रिया का विश्लेषण करके यह पता लगाया जाता है कि ऊतक सामान्य है, सौम्य है या घातक है. यह लागत प्रभावी स्क्रीनिंग उपकरण महंगी निदान विधियों की आवश्यकता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह स्तन कैंसर की जांच के लिए विशेष रूप से उपयोगी है. क्योंकि यह घातक ट्यूमर फाइब्रोसिस्टिक परिवर्तन और सामान्य स्तन ऊतक के बीच अंतर कर सकता है."

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मौजूदा तरीकों की तुलना में ये तकनीक ज्यादा कारगर

इस फोटोअकॉस्टिक स्क्रीनिंग टूल में मौजूदा तरीकों की तुलना में कई फायदे हैं, जबकि अल्ट्रासाउंड वर्तमान में स्तन और थायरॉयड कैंसर के निदान के लिए सबसे आम तकनीक है. इसमें कुछ प्रकार के ट्यूमर का पता लगाने की सीमाएं हैं. ऊतक संवहनी और अन्य विशेषताओं के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्रदान करने के लिए फोटोअकॉस्टिक तकनीक को अल्ट्रासाउंड तकनीक के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे अधिक सटीक निदान संभव हो सकता है. यह संयोजन इसे कैंसरग्रस्त ऊतकों की पहचान करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी बना सकता है, जिन्हें अन्य विधियां अकेले नहीं पहचान पाती हैं.

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