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IIT-DRDO का आविष्कार, एयरोस्पेस सेक्योरिटी में गेमचेंजर हाईस्पीड इमेजिंग टेक्नोलॉजी तैयार - IIT Indore DRDO research

आईआईटी इंदौर ने डीआरडीओ के साथ मिलकर हाई-स्पीड इमेजिंग में नया प्रयोग किया है. इससे एक्सप्लोसिव इवेंट को देखने और समझने में मदद मिलेगी. ये तकनीक एयरोस्पेस सेक्योरिटी और उद्योग जैसे क्षेत्रों में गेमचेंजर साबित होगी. इस रिसर्च का नेतृत्व आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर देवेंद्र देशमुख कर रहे हैं.

IIT Indore DRDO research
आईआईटी इंदौर व डीआरडीओ की नई रिसर्च (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 21, 2024, 10:00 AM IST

Updated : Aug 21, 2024, 11:23 AM IST

इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ नई रिसर्च की है. होलोग्राफी के सिद्धांतों का उपयोग करके एक नई इमेजिंग विधि विकसित की गई है. इससे धूल या कम्बशन क्लाउड में भी वस्तुओं को बहुत अधिक स्पष्ट देखा जा सकेगा. इससे पहले ऐसे सीन को कैप्चर करना मुश्किल था. लेकिन इस नई तकनीक से कैप्चर की गईं तस्वीरें न केवल शोधकर्ताओं को स्पष्ट तस्वीर प्रदान करेंगी बल्कि वस्तुओं के वेग त्वरण व अंतरिक्ष में विस्तार के बारे में अहम जानकारियां सटीक रूप से निकालना भी संभव है.

IIT Indore DRDO research
डीआरडीओ के साथ मिलकर हाई स्पीड इमेजिंग में नया प्रयोग (ETV BHARAT)

इस रिसर्च में टाइम रिजॉल्यूशन बढ़ाने की क्षमता

आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने बताया "इस विधि को जो चीज वास्तव में खास बनाती है वह है टाइम रिजॉल्यूशन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की इसकी क्षमता. जबकि पारंपरिक तरीके 1 माइक्रोसेकंड एक्सपोज़र समय तक सीमित थे. वहीं यह नई तकनीक 50 नैनोसेकंड से भी कम एक्सपोज़र समय के साथ तस्वीरों को कैप्चर कर सकती है. यह प्रणाली प्रति सेकंड 700,000 फ़्रेम तक रिकॉर्ड करने में सक्षम है, जिससे शोधकर्ताओं को एक्सप्लोजन के दौरान कणों के व्यवहार का वास्तविक समय पता चलता है.

घने धूल के बादलों को भेदने की क्षमता

प्रोफेसर देशमुख के अनुसार "इस नवाचार के मूल में एक उच्च आवृत्ति (HF) प्रकाश स्रोत है. इस विशेष प्रकाश स्रोत को मुख्य रूप से घने धूल के बादलों को भेदने की इसकी क्षमता के लिए चुना गया है." प्रकाश व्यवस्था के लिए ऑप्टिक्स सेटअप में हाई-स्पीड लेजर को शामिल करके प्रोफेसर देशमुख की टीम ने पिछली विधियों की सबसे बड़ी रुकावटों में से एक को दूर कर दिया है. अस्पष्ट वातावरण में खराब दृश्यता अब धूल और आग के बीच भी गति में रहने के दौरान सिस्टम उच्च गति वाले कणों की स्पष्ट व साफ तस्वीरों को कैप्चर कर सकता है.

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पहले की अपेक्षा अधिक सटीकता से होंगे रिसर्च

शोध लेजर लाइट सिस्टम में 10 नैनोसेकंड से शुरू होने वाली एडजस्टेबल पल्स विड्थ है. यह सुविधा शोधकर्ताओं को विभिन्न प्रयोगात्मक सेटअपों के लिए सिस्टम को अनुकूलित करने की अनुमति देती है, जिससे यह उच्च गति के इवेंट की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए पर्याप्त रूप से बहुउपयोगी हो जाता है. चाहे इस कार्य के माध्यम से डिटोनेशन की गतिशीलता का अध्ययन करना हो या पदार्थों पर उच्च गति वाले कणों के प्रभाव का विश्लेषण करना हो, यह तकनीक विस्तार और सटीकता का ऐसा स्तर प्रदान करती है, जो पहले अप्राप्य था.

इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ नई रिसर्च की है. होलोग्राफी के सिद्धांतों का उपयोग करके एक नई इमेजिंग विधि विकसित की गई है. इससे धूल या कम्बशन क्लाउड में भी वस्तुओं को बहुत अधिक स्पष्ट देखा जा सकेगा. इससे पहले ऐसे सीन को कैप्चर करना मुश्किल था. लेकिन इस नई तकनीक से कैप्चर की गईं तस्वीरें न केवल शोधकर्ताओं को स्पष्ट तस्वीर प्रदान करेंगी बल्कि वस्तुओं के वेग त्वरण व अंतरिक्ष में विस्तार के बारे में अहम जानकारियां सटीक रूप से निकालना भी संभव है.

IIT Indore DRDO research
डीआरडीओ के साथ मिलकर हाई स्पीड इमेजिंग में नया प्रयोग (ETV BHARAT)

इस रिसर्च में टाइम रिजॉल्यूशन बढ़ाने की क्षमता

आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने बताया "इस विधि को जो चीज वास्तव में खास बनाती है वह है टाइम रिजॉल्यूशन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की इसकी क्षमता. जबकि पारंपरिक तरीके 1 माइक्रोसेकंड एक्सपोज़र समय तक सीमित थे. वहीं यह नई तकनीक 50 नैनोसेकंड से भी कम एक्सपोज़र समय के साथ तस्वीरों को कैप्चर कर सकती है. यह प्रणाली प्रति सेकंड 700,000 फ़्रेम तक रिकॉर्ड करने में सक्षम है, जिससे शोधकर्ताओं को एक्सप्लोजन के दौरान कणों के व्यवहार का वास्तविक समय पता चलता है.

घने धूल के बादलों को भेदने की क्षमता

प्रोफेसर देशमुख के अनुसार "इस नवाचार के मूल में एक उच्च आवृत्ति (HF) प्रकाश स्रोत है. इस विशेष प्रकाश स्रोत को मुख्य रूप से घने धूल के बादलों को भेदने की इसकी क्षमता के लिए चुना गया है." प्रकाश व्यवस्था के लिए ऑप्टिक्स सेटअप में हाई-स्पीड लेजर को शामिल करके प्रोफेसर देशमुख की टीम ने पिछली विधियों की सबसे बड़ी रुकावटों में से एक को दूर कर दिया है. अस्पष्ट वातावरण में खराब दृश्यता अब धूल और आग के बीच भी गति में रहने के दौरान सिस्टम उच्च गति वाले कणों की स्पष्ट व साफ तस्वीरों को कैप्चर कर सकता है.

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पहले की अपेक्षा अधिक सटीकता से होंगे रिसर्च

शोध लेजर लाइट सिस्टम में 10 नैनोसेकंड से शुरू होने वाली एडजस्टेबल पल्स विड्थ है. यह सुविधा शोधकर्ताओं को विभिन्न प्रयोगात्मक सेटअपों के लिए सिस्टम को अनुकूलित करने की अनुमति देती है, जिससे यह उच्च गति के इवेंट की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए पर्याप्त रूप से बहुउपयोगी हो जाता है. चाहे इस कार्य के माध्यम से डिटोनेशन की गतिशीलता का अध्ययन करना हो या पदार्थों पर उच्च गति वाले कणों के प्रभाव का विश्लेषण करना हो, यह तकनीक विस्तार और सटीकता का ऐसा स्तर प्रदान करती है, जो पहले अप्राप्य था.

Last Updated : Aug 21, 2024, 11:23 AM IST
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