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ब्रेन कैंसर के इलाज पर काम कर रहे IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों को प्री-क्लीनिकल ट्रायल में दिखी उम्मीद की किरण, जानें इसके बारे में - IIT DELHI BRAIN CANCER TREATMENT

IIT DELHI BRAIN CANCER TREATMENT TRIALS: आईआईटी दिल्ली के पीएचडी के छात्र ने ऐसा नैनोफॉर्मूलेशन विकसित किया है, जो ब्रेन ट्यूमर का इलाज करा रहे मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरा है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

आईआईटी दिल्ली
आईआईटी दिल्ली (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 11, 2024, 10:48 PM IST

नई दिल्ली: वयस्कों में कैंसर वाले ब्रेन ट्यूमर का सबसे आम और आक्रामक प्रकार ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित मरीजों को सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी जैसे उपलब्ध विकल्पों के बावजूद इलाज की बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित मरीजों के जीवन की अवधि आमतौर पर निदान के बाद केवल 12-18 महीने होती है. लेकिन आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने प्रतिष्ठित जर्नल 'बायोमटेरियल्स' में प्रकाशित अपने अध्ययन से ऐसे मरीजों को उम्मीद की किरण दिखाई है, जिसमें ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए एक नया उपचार खोजा गया है.

आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत भट्टाचार्य के मार्गदर्शन में काम करते हुए विदित गौर नामक पीएचडी छात्र ने मुख्य रूप से अध्ययन किया. विदित ने एक नया नैनोफॉर्मूलेशन विकसित किया, जिसका नाम है इम्यूनोसोम, जो CD40 एगोनिस्ट एंटीबॉडी को छोटे मोलेक्यूलर इन्हीबिटर RRX-001 के साथ जोड़ता है. इसका उद्देश्य ब्रेन ट्यूमर के लिए उपचार प्रभावकारिता को बढ़ाना है, जो ग्लियोब्लास्टोमा रोगियों में सुधार के लिए नई उम्मीद प्रदान करता है.

स्टडी में ग्लियोब्लास्टोमा पीड़ित चूहे, जिन्हें इम्यूनोसोम के साथ ट्रीट किया गया, उनमें न सिर्फ ट्यूमर का खात्मा नजर आया, बल्कि वे तीन महीने तक ट्यूमर मुक्त भी रहे. इसके अतिरिक्त इस उपचार ने ब्रेन कैंसर से लड़ने के लिए एक मजबूत इम्यून रिस्पांस तैयार किया. तीन महीने के बाद डॉ. भट्टाचार्य और उनकी टीम ने ग्लियोब्लास्टोमा सेल्स को ट्रांसप्लांट किया. आश्चर्यजनक रूप से इम्यूनोसोम के साथ पहले उपचार किए गए चूहों में ट्यूमर में बढ़त लगभग ना के बराबर देखी गई. इससे पता चला कि इम्यूनोसोम, लंबे समय तक चलने वाली इम्यून मेमोरी जेनरेट कर सकते हैं. साथ ही वे भविष्य में ट्यूमर को बार बार होने से भी रोक सकते हैं.

यह भी पढ़ें- डीयू के विभागों व कॉलेजों में शिक्षकों के वरिष्ठता क्रम में विसंगतियां होने पर कुलपति ने कमेटी गठित की

आईआईटी दिल्ली के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत भट्टाचार्य ने कहा कि हम इन परिणामों से अत्यधिक प्रेरित हैं. साथ ही हम इन इन निष्कर्षों को ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल के लिए उत्साहित भी हैं. इस शोध पर भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, भारत सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली ने पैसा खर्च किया है.

यह भी पढ़ें- डीयू अकादमिक काउंसिल की बैठक में रखी जाए प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट: प्रो. सुमन

नई दिल्ली: वयस्कों में कैंसर वाले ब्रेन ट्यूमर का सबसे आम और आक्रामक प्रकार ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित मरीजों को सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी जैसे उपलब्ध विकल्पों के बावजूद इलाज की बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित मरीजों के जीवन की अवधि आमतौर पर निदान के बाद केवल 12-18 महीने होती है. लेकिन आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने प्रतिष्ठित जर्नल 'बायोमटेरियल्स' में प्रकाशित अपने अध्ययन से ऐसे मरीजों को उम्मीद की किरण दिखाई है, जिसमें ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए एक नया उपचार खोजा गया है.

आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत भट्टाचार्य के मार्गदर्शन में काम करते हुए विदित गौर नामक पीएचडी छात्र ने मुख्य रूप से अध्ययन किया. विदित ने एक नया नैनोफॉर्मूलेशन विकसित किया, जिसका नाम है इम्यूनोसोम, जो CD40 एगोनिस्ट एंटीबॉडी को छोटे मोलेक्यूलर इन्हीबिटर RRX-001 के साथ जोड़ता है. इसका उद्देश्य ब्रेन ट्यूमर के लिए उपचार प्रभावकारिता को बढ़ाना है, जो ग्लियोब्लास्टोमा रोगियों में सुधार के लिए नई उम्मीद प्रदान करता है.

स्टडी में ग्लियोब्लास्टोमा पीड़ित चूहे, जिन्हें इम्यूनोसोम के साथ ट्रीट किया गया, उनमें न सिर्फ ट्यूमर का खात्मा नजर आया, बल्कि वे तीन महीने तक ट्यूमर मुक्त भी रहे. इसके अतिरिक्त इस उपचार ने ब्रेन कैंसर से लड़ने के लिए एक मजबूत इम्यून रिस्पांस तैयार किया. तीन महीने के बाद डॉ. भट्टाचार्य और उनकी टीम ने ग्लियोब्लास्टोमा सेल्स को ट्रांसप्लांट किया. आश्चर्यजनक रूप से इम्यूनोसोम के साथ पहले उपचार किए गए चूहों में ट्यूमर में बढ़त लगभग ना के बराबर देखी गई. इससे पता चला कि इम्यूनोसोम, लंबे समय तक चलने वाली इम्यून मेमोरी जेनरेट कर सकते हैं. साथ ही वे भविष्य में ट्यूमर को बार बार होने से भी रोक सकते हैं.

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आईआईटी दिल्ली के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत भट्टाचार्य ने कहा कि हम इन परिणामों से अत्यधिक प्रेरित हैं. साथ ही हम इन इन निष्कर्षों को ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल के लिए उत्साहित भी हैं. इस शोध पर भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, भारत सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली ने पैसा खर्च किया है.

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