नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली में अब छात्र जैविक विज्ञान में एमएससी कर सकते हैं. कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज ने नए शैक्षणिक कोर्स की शुरुआत की है. यह कोर्स शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से शुरू होगा. दो वर्षीय मास्टर्स कार्यक्रम में प्रवेश संयुक्त प्रवेश परीक्षा फॉर मास्टर्स (JAM 2024) के माध्यम से होगा. नए शैक्षणिक कार्यक्रम के तहत 20 सीटें हैं.
नए एमएससी के बारे में बोलते हुए आईआईटी दिल्ली में कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज द्वारा प्रस्तावित जैविक विज्ञान में स्कूल के एचओडी प्रोफेसर बिश्वजीत कुंडू ने कहा, "यह कार्यक्रम प्रतिभाशाली उत्साही छात्रों के लिए एक अत्यधिक चयनात्मक अवसर है, जो स्नातकोत्तर स्तर पर अंतःविषय जीव विज्ञान का अध्ययन करना चाहते हैं."
कोर्स प्रभारी (जैविक विज्ञान में एमएससी) प्रो. मणिदीपा बनर्जी ने कहा, "हमने आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी बाजार में रोजगार के लिए छात्रों को तैयार करने के साथ-साथ उच्च स्तर की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए पाठ्यक्रम का संतुलन सुनिश्चित किया है."
अंतः विषय जैविक विज्ञान में अध्ययन और खोज अनुसंधान में आईआईटी दिल्ली एक शैक्षणिक माहौल का समृद्ध उदाहरण है, जहां छात्र वैज्ञानिक प्रश्नों को हल करने के लिए नियमित रूप से विषयों का अध्ययन करते हैं. प्रोफेसर मणिदपा विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों में 30 से अधिक शैक्षणिक संस्थाओं के अस्तित्व और इन इकाइयों के बीच सक्रिय सहयोगात्मक वातावरण ने एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है, जो वैचारिक समझ के साथ-साथ आधुनिक, अंतः विषय जीव विज्ञान में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आदर्श है.
कोर्स की विशेषताएं
- वर्तमान नौकरी बाजार में बड़े डेटा विश्लेषण और प्रस्तुति में अंतर को भरने के लिए इस पाठ्यक्रम में मुख्य विषय के रूप में मात्रात्मक जीव विज्ञान पर जोर दिया जाएगा.
- छात्रों के पास चुनने के लिए ऐच्छिक विषयों की एक खुली टोकरी होगी.
- इस कार्यक्रम में निर्देश द्वारा नहीं, बल्कि "करके सीखने" पर जोर दिया जाएगा. कार्यक्रम के सभी मुख्य पाठ्यक्रमों में एक व्यावहारिक या विश्लेषण-आधारित घटक है, एक भी शुद्ध सिद्धांत पाठ्यक्रम प्रस्तावित नहीं है.
- छात्रों को अंतिम सेमेस्टर में अकादमिक प्रयोगशालाओं के साथ-साथ स्टार्ट-अप/उद्योग सेटिंग्स में प्रोजेक्ट/इंटर्नशिप करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे उनका वास्तविक दुनिया का अनुभव और अंततः रोजगार क्षमता बढ़ेगी.