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IIIT-Delhi के शोधकर्ताओं ने उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने के लिए बनाया AI आधारित 'एजएक्सटेंड' प्लेटफॉर्म - IIIT DELHI DEVELOPS AI PLATFORM

एआई प्लेटफॉर्म - एजएक्सटेंड - एक मल्टीमॉडल जीरोप्रोटेक्टर भविष्यवाणी प्लेटफॉर्म है. जो स्वस्थ उम्र बढ़ने को बढ़ावा देने वाले अणुओं की खोज को बदल सकताहै.

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छवि केवल प्रतीकात्मक उद्देश्य के लिए है (Canva)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 6, 2024, 12:38 PM IST

नई दिल्ली: इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईआईटी-दिल्ली) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित एक अद्वितीय प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जिसका नाम एजएक्सटेंड है. यह प्लेटफॉर्म विशेष रूप से उन अणुओं की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो स्वस्थ उम्र बढ़ाने को बढ़ावा दे सकते हैं. यह शोध जर्नल 'नेचर एजिंग' में प्रकाशित हुआ है और यह उम्र बढ़ने की जैविक प्रक्रियाओं को समझने और संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

क्या है एजएक्सटेंड?
एजएक्सटेंड मौजूदा जीरोप्रोटेक्टर्स, यानी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने वाले पदार्थों, से प्राप्त बायोएक्टिविटी डेटा का उपयोग करता है. इसके माध्यम से नए अणुओं की पहचान की जाती है जो समान गुणों के धनी हैं. इस मंच का एआई मॉड्यूल जीरोप्रोटेक्टिव क्षमता का मूल्यांकन करने, विषाक्तता का आकलन करने, और लक्षित प्रोटीन व क्रिया के तंत्र की पहचान करने में सक्षम है. इससे खोज की प्रक्रिया में सटीकता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चितहोगी.

इस प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता को सिद्ध करने के लिए, एजएक्सटेंड ने मेटफॉर्मिन और टॉरिन जैसे ज्ञात यौगिकों के दीर्घायु-बढ़ाने वाले प्रभावों की पहचान की, हालांकि इन्हें इसके प्रशिक्षण डेटा से बाहर रखा गया था. यह संकेत करता है कि एजएक्सटेंड अपने आप में एक अनूठा उपकरण है जो 1.1 बिलियन से अधिक यौगिकों की जांच करने के बाद खमीर, कैनोरहैबडाइटिस एलिगेंस (एक नेमाटोड), और मानव कोशिका मॉडल के माध्यम से आशाजनक उम्मीदवारों की पहचान करने में सफल रहा है.

"एजएक्सटेंड एआई और जीव विज्ञान के बीच की खाई को पाटता है, जिससे हम न केवल संभावित एंटी-एजिंग अणुओं की भविष्यवाणी कर सकते हैं, बल्कि यह भी समझ सकते हैं कि वे कैसे काम करते हैं."-गौरव आहूजा, वरिष्ठ शोधकर्ता और सह-लेखक

पीएचडी स्कॉलर और अध्ययन की पहली लेखिका साक्षी अरोड़ा ने इसके व्यापक निहितार्थों पर प्रकाश डाला, इसे "खोज इंजन" करार दिया जो स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए अभिनव दृष्टिकोणों को अनलॉक कर सकता है. इसके अतिरिक्त, शोध ने मानव माइक्रोबायोम से प्राकृतिक मेटाबोलाइट्स और सेलुलर सेनेसेंस का मुकाबला करने में उनके संभावित योगदान की भी खोज की, जिससे एजएक्सटेंड की बहुमुखी प्रतिभा पर और अधिक जोर दिया गया.

इस अनुसंधान टीम में साक्षी अरोड़ा, आयुषी मित्तल, सुभादीप दुआरी और अन्य शामिल हैं. यह नवाचार न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह हमें लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलता है.

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क्या है एजएक्सटेंड?
एजएक्सटेंड मौजूदा जीरोप्रोटेक्टर्स, यानी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने वाले पदार्थों, से प्राप्त बायोएक्टिविटी डेटा का उपयोग करता है. इसके माध्यम से नए अणुओं की पहचान की जाती है जो समान गुणों के धनी हैं. इस मंच का एआई मॉड्यूल जीरोप्रोटेक्टिव क्षमता का मूल्यांकन करने, विषाक्तता का आकलन करने, और लक्षित प्रोटीन व क्रिया के तंत्र की पहचान करने में सक्षम है. इससे खोज की प्रक्रिया में सटीकता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चितहोगी.

इस प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता को सिद्ध करने के लिए, एजएक्सटेंड ने मेटफॉर्मिन और टॉरिन जैसे ज्ञात यौगिकों के दीर्घायु-बढ़ाने वाले प्रभावों की पहचान की, हालांकि इन्हें इसके प्रशिक्षण डेटा से बाहर रखा गया था. यह संकेत करता है कि एजएक्सटेंड अपने आप में एक अनूठा उपकरण है जो 1.1 बिलियन से अधिक यौगिकों की जांच करने के बाद खमीर, कैनोरहैबडाइटिस एलिगेंस (एक नेमाटोड), और मानव कोशिका मॉडल के माध्यम से आशाजनक उम्मीदवारों की पहचान करने में सफल रहा है.

"एजएक्सटेंड एआई और जीव विज्ञान के बीच की खाई को पाटता है, जिससे हम न केवल संभावित एंटी-एजिंग अणुओं की भविष्यवाणी कर सकते हैं, बल्कि यह भी समझ सकते हैं कि वे कैसे काम करते हैं."-गौरव आहूजा, वरिष्ठ शोधकर्ता और सह-लेखक

पीएचडी स्कॉलर और अध्ययन की पहली लेखिका साक्षी अरोड़ा ने इसके व्यापक निहितार्थों पर प्रकाश डाला, इसे "खोज इंजन" करार दिया जो स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए अभिनव दृष्टिकोणों को अनलॉक कर सकता है. इसके अतिरिक्त, शोध ने मानव माइक्रोबायोम से प्राकृतिक मेटाबोलाइट्स और सेलुलर सेनेसेंस का मुकाबला करने में उनके संभावित योगदान की भी खोज की, जिससे एजएक्सटेंड की बहुमुखी प्रतिभा पर और अधिक जोर दिया गया.

इस अनुसंधान टीम में साक्षी अरोड़ा, आयुषी मित्तल, सुभादीप दुआरी और अन्य शामिल हैं. यह नवाचार न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह हमें लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलता है.

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