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कलंक चतुर्थी पर भूलकर भी ना करे चंद्रमा के दर्शन, वरना होना पड़ेगा कलंकित, जानें इसके पीछे की क्या है मान्यता? - Ganesh Chaturthi 2024

देशभर में 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दौरान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विघ्नहर्ता भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं. वहीं, इस दिन चांद को देखने की मनाही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस रात चांद को देखने से कंलक लगने का डर होता है.

Ganesh Chaturthi
कलंक चतुर्थी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 6, 2024, 6:39 PM IST

Updated : Sep 6, 2024, 6:47 PM IST

कुल्लू: 7 सितंबर को पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इस दिन हर घर में भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी. लेकिन गणेश चतुर्थी की रात के समय चंद्रमा देखने की भी मनाही है. ऐसी मान्यता है कि अगर इस रात को अगर चंद्रमा देख लिया तो व्यक्ति को झूठ कलंक का सामना करना पड़ता है. ऐसे में व्यक्ति इस रात के समय चंद्रमा के दर्शन ना करें.

धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान गणेश आसन पर विराजमान होकर अपना मनपसंद भोग खा रहे थे. इस दौरान चंद्र देव भी वहां से गुजर रहे थे. भगवान गणेश को भोग खाता देख चंद्र देव हंसने लग लगे और भगवान गणेश के पेट और सूंड का भी मजाक उड़ाया. चंद्र देव के इस बर्ताव को देखकर भगवान गणेश को गुस्सा आया और उन्होंने चंद्र देव को शाप देते हुए कहा कि तुम्हें अपने रूप का बहुत घमंड है. इसलिए मैं तुम्हें शाप देता हूं कि तुम अपना रूप खो दोगे. वहीं, तुम्हारी सारी कलाएं भी नष्ट हो जाएंगी. जो व्यक्ति तुम्हें देखेगा. उसे भी कलंकित होना पड़ेगा.

वहीं, जिस दिन यह घटना हुई उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी. इसके बाद भगवान गणेश जी से शाप मिलने के बाद चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्होंने सभी देवी देवताओं के साथ मिलकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. तब भगवान गणेश ने प्रसन्न होकर देवी देवताओं को एक वरदान मांगने को कहा.

इस दौरान सभी देवी देवताओं ने भगवान गणेश से प्रार्थना की वह अपना शाप वापस ले. ऐसे में भगवान गणेश ने कहा कि वह अपना शाप तो वापस नहीं ले सकते हैं. लेकिन इसे सीमित कर सकते हैं. भगवान गणेश ने चंद्र देव का शाप कम करते हुए कहा कि महीने के 15 दिन चंद्र देव की कलाएं बढ़ेगी और 15 दिन क्षीण रहेंगी. कलंकित होने के कारण केवल चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित होगा.

आचार्य विजय कुमार ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति भूल से भी इस रात चंद्रमा के दर्शन करता है तो उसे भी शाप लग जाता है. इस शाप से मुक्ति पाने के लिए उसे पांच पत्थर किसी अन्य व्यक्ति की छत पर फेंकने पड़ते हैं. ताकि उसे कोई दोष न लगे. तभी से इस तिथि को कलंक चतुर्थी या पत्थर चौथ भी कहा जाने लगा. आचार्य विजय कुमार ने बताया कि इसके अलावा कंलकित व्यक्ति को कपूर की कालिख को अपने मुंह पर लगा कर बैठना होता है, जिससे लोग उसे ऐसे देखकर उस पर हंसे और उसे कलंक से मुक्ति मिलेगी.

आचार्य विजय कुमार ने कहा, "भगवान कृष्ण भी इसी वजह से कलंकित हुए थे. भगवान श्री कृष्ण पर भी सय्य मन्तक नाम की बहुमूल्य मणि की चोरी का आरोप लगा था. क्योंकि उन्होंने भी कलंक चतुर्थी के दिन चंद्र देव के दर्शन किए थे. वहीं, ज्योतिष के अनुसार यदि चंद्रमा और बुद्ध की भी युति हो तो ऐसे व्यक्ति पर भी कलंक लगता है. घर की छत पर पत्थर फेंकने के चलते ही से पत्थर चौथ भी कहा जाता है. इसके अलावा कलंक से मुक्ति पाने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन व्रत के विधान का भी कहा गया है.

ये भी पढ़ें: 7 सितंबर को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, इस विधि से करें गजानन की पूजा, हर मनोकामना होगी पूर्ण!

कुल्लू: 7 सितंबर को पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इस दिन हर घर में भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी. लेकिन गणेश चतुर्थी की रात के समय चंद्रमा देखने की भी मनाही है. ऐसी मान्यता है कि अगर इस रात को अगर चंद्रमा देख लिया तो व्यक्ति को झूठ कलंक का सामना करना पड़ता है. ऐसे में व्यक्ति इस रात के समय चंद्रमा के दर्शन ना करें.

धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान गणेश आसन पर विराजमान होकर अपना मनपसंद भोग खा रहे थे. इस दौरान चंद्र देव भी वहां से गुजर रहे थे. भगवान गणेश को भोग खाता देख चंद्र देव हंसने लग लगे और भगवान गणेश के पेट और सूंड का भी मजाक उड़ाया. चंद्र देव के इस बर्ताव को देखकर भगवान गणेश को गुस्सा आया और उन्होंने चंद्र देव को शाप देते हुए कहा कि तुम्हें अपने रूप का बहुत घमंड है. इसलिए मैं तुम्हें शाप देता हूं कि तुम अपना रूप खो दोगे. वहीं, तुम्हारी सारी कलाएं भी नष्ट हो जाएंगी. जो व्यक्ति तुम्हें देखेगा. उसे भी कलंकित होना पड़ेगा.

वहीं, जिस दिन यह घटना हुई उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी. इसके बाद भगवान गणेश जी से शाप मिलने के बाद चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्होंने सभी देवी देवताओं के साथ मिलकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. तब भगवान गणेश ने प्रसन्न होकर देवी देवताओं को एक वरदान मांगने को कहा.

इस दौरान सभी देवी देवताओं ने भगवान गणेश से प्रार्थना की वह अपना शाप वापस ले. ऐसे में भगवान गणेश ने कहा कि वह अपना शाप तो वापस नहीं ले सकते हैं. लेकिन इसे सीमित कर सकते हैं. भगवान गणेश ने चंद्र देव का शाप कम करते हुए कहा कि महीने के 15 दिन चंद्र देव की कलाएं बढ़ेगी और 15 दिन क्षीण रहेंगी. कलंकित होने के कारण केवल चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित होगा.

आचार्य विजय कुमार ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति भूल से भी इस रात चंद्रमा के दर्शन करता है तो उसे भी शाप लग जाता है. इस शाप से मुक्ति पाने के लिए उसे पांच पत्थर किसी अन्य व्यक्ति की छत पर फेंकने पड़ते हैं. ताकि उसे कोई दोष न लगे. तभी से इस तिथि को कलंक चतुर्थी या पत्थर चौथ भी कहा जाने लगा. आचार्य विजय कुमार ने बताया कि इसके अलावा कंलकित व्यक्ति को कपूर की कालिख को अपने मुंह पर लगा कर बैठना होता है, जिससे लोग उसे ऐसे देखकर उस पर हंसे और उसे कलंक से मुक्ति मिलेगी.

आचार्य विजय कुमार ने कहा, "भगवान कृष्ण भी इसी वजह से कलंकित हुए थे. भगवान श्री कृष्ण पर भी सय्य मन्तक नाम की बहुमूल्य मणि की चोरी का आरोप लगा था. क्योंकि उन्होंने भी कलंक चतुर्थी के दिन चंद्र देव के दर्शन किए थे. वहीं, ज्योतिष के अनुसार यदि चंद्रमा और बुद्ध की भी युति हो तो ऐसे व्यक्ति पर भी कलंक लगता है. घर की छत पर पत्थर फेंकने के चलते ही से पत्थर चौथ भी कहा जाता है. इसके अलावा कलंक से मुक्ति पाने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन व्रत के विधान का भी कहा गया है.

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Last Updated : Sep 6, 2024, 6:47 PM IST
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