लखनऊ : सीने में भारीपन, पसीना आना, घबराहट, कंधे आदि में दर्द को नज़र अंदाज नहीं करना चाहिए. यह हार्ट अटैक समेत दिल की दूसरी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. समय पर इलाज जरूरी है. इलाज में देरी से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है. यह जानकारी सोसाइटी फॉर एक्यूट केयर, ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन (एसएसीटीईएम) के संस्थापक डॉ. लोकेन्द्र गुप्ता ने दी.
डॉ. लोकेन्द्र गुप्ता शनिवार को PGI में आयोजित कार्डियक इमरजेंसी कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे. इसमें 150 से अधिक आपातकालीन चिकित्सा विशेषज्ञों ने भाग लिया. कार्यक्रम हार्ट अटैक और अन्य कॉर्डियक इमरजेंसी के प्रबंधन को बेहतर बनाने पर केंद्रित था.
हार्ट अटैक के मरीजों को इलाज मिलना जरूरी : डॉ. लोकेन्द्र गुप्ता ने कहा कि हार्ट अटैक के मरीजों को गोल्डन आर्वर में इलाज मिलना जरूरी है. प्रत्येक अस्पताल में अच्छी तरह से प्रशिक्षित आपातकालीन विभाग की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा गोल्डन आर्वर के दौरान समय पर हस्तक्षेप से अनगिनत जीवन बचाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश की पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की आपातकालीन टीमों को जोड़कर प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है.
इमरजेंसी सेवाओं को मजबूत करें युवा डॉक्टर : लोहिया संस्थान में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसएम त्रिपाठी ने कहा कि युवा डॉक्टर इमरजेंसी सेवाओं को और मजबूत करें. जरूरी संसाधन जुटाएं. ताकि गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा सके. पीजीआई इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉ. ओपीडी संजीव ने कहा कि प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों के युवा आपातकालीन चिकित्सकों को समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाए. कार्यक्रम में डॉ. सोमनाथ लोंगवानी, डॉ. रूपाली खन्ना, केजीएमयू से डॉ. अमित आनंद, डॉ. राजीव चौधरी, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आदित्य कपूर, डॉ. ऋषि सेठी, डॉ. प्रेरणा कपूर और डॉ. हिमांशु गुप्ता ने विचार साझा किए.
अवार्ड्स से सम्मानित किए गए डॉक्टर : आपातकालीन चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए दो डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड्स से सम्मानित किया गया. इसमें लोहिया संस्थान में कॉर्डियोलॉजी विभाग से रिटायर डॉ. मुकुल मिश्र व पीजीआई के पूर्व निदेशक यूरोलॉजिस्ट डॉ. राकेश कपूर शामिल हैं.
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