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DL बनवाने जा रहे हैं तो अभी जान लीजिए नया नियम, अब सिर्फ टेस्टिंग ट्रैक पर गाड़ी चलाने से नहीं बनेगा लाइसेंस - New rules for driving license

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 2, 2024, 7:26 PM IST

Updated : Aug 3, 2024, 9:46 AM IST

अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्टिंग ट्रैक पर गाड़ी चलाने से पहले भी आपको करना पड़ेगा एक और काम, इन्वेस्ट यूपी के तहत 20 जिलों में नई व्यवस्था लागू की जाएगी.

डीएल बनवाने में सख्ती से हादसों में आएगी कमी
डीएल बनवाने में सख्ती से हादसों में आएगी कमी (PHOTO credits ETV Bharat)
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हुआ मुश्किल (video credits ETV Bharat)

लखनऊ: फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए बदनाम उत्तर प्रदेश के आरटीओ से अब लाइसेंस बनवाना आसान नहीं रह गया है. अभी तक लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस आसानी से मिल जाता था इसलिए लोग डीएल की अहमियत नहीं समझते थे, लेकिन अब ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने में पसीने छूट जाएंगे. परमानेंट डीएल का टेस्ट देने से पहले अभ्यर्थी को एक और टेस्ट से गुजरना पड़ेगा. परिवहन विभाग प्रदेश के 20 जिलों के आरटीओ दफ्तरों में नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रहा है.

लाइसेंस के लिए लागू नई व्यवस्था के तहत अभ्यर्थी को पहले एक ट्रेंनिंग टेस्ट से गुजरना होगा. इसके तीन से चार तरह के मॉड्यूल बनाए जाएंगे. इस टेस्ट में पास होने के बाद ही टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाकर परीक्षा पास करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो सकेगा. जिससे साफ है कि भविष्य में यूपी में भी ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना बिल्कुल आसान नहीं रह जाएगा. कुशल चालक ही डीएल हासिल कर पाएंगे जिससे सड़क पर दुर्घटनाएं भी कम होंगी.

टेस्ट से पहले ट्रेनिंग भी दी जाएगी
टेस्ट से पहले ट्रेनिंग भी दी जाएगी (PHOTO credits ETV Bharat)

बता दें कि अभी लर्निंग लाइसेंस से लेकर स्थाई लाइसेंस तक आवेदकों को दो टेस्ट से गुजरना पड़ता है, लेकिन अब कुछ ही महीने बाद एक और टेस्ट बढ़ने वाला है. इस टेस्ट में पास होने के बाद ही आवेदक ड्राइविंग लाइसेंस के हकदार बन पाएंगे. वर्तमान में लर्नर लाइसेंस के लिए घर बैठे ऑनलाइन टेस्ट के साथ ही आरटीओ कार्यालय में भी आधा दर्जन स्लॉट आवेदकों के लिए निश्चित है.

लर्नर लाइसेंस के लिए अभ्यर्थी को कंप्यूटर पर टेस्ट देना होता है. इसमें 15 सवालों में से नौ सही जवाब देने अनिवार्य होते हैं. इतने जवाब सही होने के बाद आवेदक परमानेंट डीएल टेस्ट के लिए क्वालीफाई हो जाता है. इसके बाद टेस्टिंग ट्रैक पर दो पहिया या चार पहिया ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वाहन चलाकर दिखाना होता है. यहां पर कुशल चालक की तरह अगर वाहन चलकर अभ्यर्थी पास हो जाता है तो ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, लेकिन फेल होने पर फिर से उसे टेस्ट देना पड़ता है. कुल मिलाकर डीएल की प्रक्रिया दो टेस्ट पास करने के बाद पूरी हो जाती है, लेकिन अब जब तीसरा टेस्ट जुड़ेगा तो डीएल पाने की राह थोड़ी मुश्किल जरूर हो जाएगी.

परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सरकार की तरफ से इन्वेस्ट यूपी एजेंसी प्रदेश के आरटीओ कार्यालय में डीएल के लिए एक ट्रेनिंग टेस्ट का कॉन्सेप्ट लेकर आई है. सीएसआर फंड के तहत आरटीओ कार्यालय में एक सेंटर स्थापित करेगी. परिवहन विभाग का इसमें एक भी पैसा खर्च नहीं होगा. सेंटर पर आवश्यकता के मुताबिक टैबलेट लगाएगी और यहां पर परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस की निर्धारित तिथि पर टेस्ट देने आने वाले अभ्यर्थियों को पहले इस ट्रेनिंग टेस्ट से गुजरना पड़ेगा.

ट्रेनिंग टेस्ट से पहले अभ्यर्थी को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था होगी. यहां पर स्क्रीन लगाई जाएंगी. जिसमें कुशल चालक के लिए क्या-क्या आवश्यक है इससे संबंधित वीडियो प्रदर्शित किए जाएंगे. ड्राइविंग स्किल की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद यहां पर अभ्यर्थी का कंप्यूटर पर ट्रेनिंग टेस्ट लिया जाएगा. इसमें कई तरह के वीडियो दिखाए जाएंगे उसके बाद उन्हीं से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे. इस ट्रेनिंग टेस्ट में पास होने के बाद उन्हें टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाकर दिखाने का ग्रीन सिग्नल दिया जाएगा. अधिकारी बताते हैं कि तीन से चार मॉड्यूल तैयार करने के लिए संबंधित एजेंसी को निर्देशित किया गया है.

परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ट्रेनिंग टेस्ट में अशिक्षित लोगों का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा. उनके लिए ऐसे विजुअल तैयार कराए जाएंगे जिससे वह उन्हें देखकर समझ सकें. उनके लिए हिंदी में बोलते हुए वीडियो भी प्रदर्शित किए जाएंगे.

परिवहन विभाग संबंधित एजेंसी के लिए आरटीओ कार्यालय में मुफ्त स्थान उपलब्ध कराएगा. इस स्थान पर अपना सेंटर इन्वेस्ट यूपी तैयार करेगी. सीएसआर फंड के तहत सारे उपकरण लगाए जाएंगे और कर्मचारी तैनात किए जाएंगे. परिवहन विभाग का इसमें एक भी पैसा नहीं लगेगा. अधिकारी मानते हैं कि परमानेंट डीएल टेस्ट से पहले ट्रेनिंग टेस्ट होने से कुशल चालक लाइसेंस हासिल कर पाएंगे. इससे आए दिन सड़क पर अकुशल चालकों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक नियंत्रण स्थापित हो सकेगा.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के संभागीय परिवहन कार्यालय सहित प्रदेश के 20 जिलों के आरटीओ कार्यालय में यह सेंटर पहले चरण में स्थापित किए जाएंगे. पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ में पहले इसकी शुरुआत होगी. अधिकारी बताते हैं कि बागपत में कंपनी के प्रतिनिधि इसका डेमो भी दे चुके हैं और मुख्यालय पर प्रेजेंटेशन भी हो चुका है. अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि दो से तीन महीने के अंदर काम पूरा हो जाएगा तो फिर यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी.

परिवहन विभाग के सीनियर आरटीओ संजय नाथ झा ने बताया कि, आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आने वाले दिनों में आवेदक को एक और टेस्ट से गुजरना पड़ेगा. यह ट्रेनिंग टेस्ट होगा जो टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाने से पहले पास करना होगा. इन्वेस्ट यूपी की तरफ से आरटीओ कार्यालय में सेंटर स्थापित किए जाएंगे. जिसमें पहले आवेदक को प्रशिक्षित किया जाएगा उसके बाद परीक्षा होगी. पास होने के बाद ही परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाएंगे.


ये भी पढ़ें: परिवहन आयुक्त मुख्यालय से नहीं हुई सवा लाख ड्राइविंग लाइसेंस की डिलिवरी, अब 10 दिन में घर पहुंचाएं जाएंगे DL

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हुआ मुश्किल (video credits ETV Bharat)

लखनऊ: फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए बदनाम उत्तर प्रदेश के आरटीओ से अब लाइसेंस बनवाना आसान नहीं रह गया है. अभी तक लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस आसानी से मिल जाता था इसलिए लोग डीएल की अहमियत नहीं समझते थे, लेकिन अब ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने में पसीने छूट जाएंगे. परमानेंट डीएल का टेस्ट देने से पहले अभ्यर्थी को एक और टेस्ट से गुजरना पड़ेगा. परिवहन विभाग प्रदेश के 20 जिलों के आरटीओ दफ्तरों में नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रहा है.

लाइसेंस के लिए लागू नई व्यवस्था के तहत अभ्यर्थी को पहले एक ट्रेंनिंग टेस्ट से गुजरना होगा. इसके तीन से चार तरह के मॉड्यूल बनाए जाएंगे. इस टेस्ट में पास होने के बाद ही टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाकर परीक्षा पास करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो सकेगा. जिससे साफ है कि भविष्य में यूपी में भी ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना बिल्कुल आसान नहीं रह जाएगा. कुशल चालक ही डीएल हासिल कर पाएंगे जिससे सड़क पर दुर्घटनाएं भी कम होंगी.

टेस्ट से पहले ट्रेनिंग भी दी जाएगी
टेस्ट से पहले ट्रेनिंग भी दी जाएगी (PHOTO credits ETV Bharat)

बता दें कि अभी लर्निंग लाइसेंस से लेकर स्थाई लाइसेंस तक आवेदकों को दो टेस्ट से गुजरना पड़ता है, लेकिन अब कुछ ही महीने बाद एक और टेस्ट बढ़ने वाला है. इस टेस्ट में पास होने के बाद ही आवेदक ड्राइविंग लाइसेंस के हकदार बन पाएंगे. वर्तमान में लर्नर लाइसेंस के लिए घर बैठे ऑनलाइन टेस्ट के साथ ही आरटीओ कार्यालय में भी आधा दर्जन स्लॉट आवेदकों के लिए निश्चित है.

लर्नर लाइसेंस के लिए अभ्यर्थी को कंप्यूटर पर टेस्ट देना होता है. इसमें 15 सवालों में से नौ सही जवाब देने अनिवार्य होते हैं. इतने जवाब सही होने के बाद आवेदक परमानेंट डीएल टेस्ट के लिए क्वालीफाई हो जाता है. इसके बाद टेस्टिंग ट्रैक पर दो पहिया या चार पहिया ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वाहन चलाकर दिखाना होता है. यहां पर कुशल चालक की तरह अगर वाहन चलकर अभ्यर्थी पास हो जाता है तो ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, लेकिन फेल होने पर फिर से उसे टेस्ट देना पड़ता है. कुल मिलाकर डीएल की प्रक्रिया दो टेस्ट पास करने के बाद पूरी हो जाती है, लेकिन अब जब तीसरा टेस्ट जुड़ेगा तो डीएल पाने की राह थोड़ी मुश्किल जरूर हो जाएगी.

परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सरकार की तरफ से इन्वेस्ट यूपी एजेंसी प्रदेश के आरटीओ कार्यालय में डीएल के लिए एक ट्रेनिंग टेस्ट का कॉन्सेप्ट लेकर आई है. सीएसआर फंड के तहत आरटीओ कार्यालय में एक सेंटर स्थापित करेगी. परिवहन विभाग का इसमें एक भी पैसा खर्च नहीं होगा. सेंटर पर आवश्यकता के मुताबिक टैबलेट लगाएगी और यहां पर परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस की निर्धारित तिथि पर टेस्ट देने आने वाले अभ्यर्थियों को पहले इस ट्रेनिंग टेस्ट से गुजरना पड़ेगा.

ट्रेनिंग टेस्ट से पहले अभ्यर्थी को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था होगी. यहां पर स्क्रीन लगाई जाएंगी. जिसमें कुशल चालक के लिए क्या-क्या आवश्यक है इससे संबंधित वीडियो प्रदर्शित किए जाएंगे. ड्राइविंग स्किल की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद यहां पर अभ्यर्थी का कंप्यूटर पर ट्रेनिंग टेस्ट लिया जाएगा. इसमें कई तरह के वीडियो दिखाए जाएंगे उसके बाद उन्हीं से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे. इस ट्रेनिंग टेस्ट में पास होने के बाद उन्हें टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाकर दिखाने का ग्रीन सिग्नल दिया जाएगा. अधिकारी बताते हैं कि तीन से चार मॉड्यूल तैयार करने के लिए संबंधित एजेंसी को निर्देशित किया गया है.

परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ट्रेनिंग टेस्ट में अशिक्षित लोगों का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा. उनके लिए ऐसे विजुअल तैयार कराए जाएंगे जिससे वह उन्हें देखकर समझ सकें. उनके लिए हिंदी में बोलते हुए वीडियो भी प्रदर्शित किए जाएंगे.

परिवहन विभाग संबंधित एजेंसी के लिए आरटीओ कार्यालय में मुफ्त स्थान उपलब्ध कराएगा. इस स्थान पर अपना सेंटर इन्वेस्ट यूपी तैयार करेगी. सीएसआर फंड के तहत सारे उपकरण लगाए जाएंगे और कर्मचारी तैनात किए जाएंगे. परिवहन विभाग का इसमें एक भी पैसा नहीं लगेगा. अधिकारी मानते हैं कि परमानेंट डीएल टेस्ट से पहले ट्रेनिंग टेस्ट होने से कुशल चालक लाइसेंस हासिल कर पाएंगे. इससे आए दिन सड़क पर अकुशल चालकों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक नियंत्रण स्थापित हो सकेगा.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के संभागीय परिवहन कार्यालय सहित प्रदेश के 20 जिलों के आरटीओ कार्यालय में यह सेंटर पहले चरण में स्थापित किए जाएंगे. पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ में पहले इसकी शुरुआत होगी. अधिकारी बताते हैं कि बागपत में कंपनी के प्रतिनिधि इसका डेमो भी दे चुके हैं और मुख्यालय पर प्रेजेंटेशन भी हो चुका है. अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि दो से तीन महीने के अंदर काम पूरा हो जाएगा तो फिर यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी.

परिवहन विभाग के सीनियर आरटीओ संजय नाथ झा ने बताया कि, आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आने वाले दिनों में आवेदक को एक और टेस्ट से गुजरना पड़ेगा. यह ट्रेनिंग टेस्ट होगा जो टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाने से पहले पास करना होगा. इन्वेस्ट यूपी की तरफ से आरटीओ कार्यालय में सेंटर स्थापित किए जाएंगे. जिसमें पहले आवेदक को प्रशिक्षित किया जाएगा उसके बाद परीक्षा होगी. पास होने के बाद ही परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाएंगे.


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Last Updated : Aug 3, 2024, 9:46 AM IST
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