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एक्सपर्ट की मदद ली जाती तो नहीं होती बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत - JABALPUR HIGH COURT

जबलपुर हाईकोर्ट की युगल पीठ ने सरकार से पूछा कि किस प्रदेश से एक्सपर्ट की मदद ली जाएगी. 25 नवंबर को होगी अगली सुनवाई.

Death of elephants in Bandhavgarh Tiger Reserve
Death of elephants in Bandhavgarh Tiger Reserve (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 18, 2024, 9:47 PM IST

जबलपुर: जबलपुर उच्च न्यायालय में सोमवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई 11 हाथियों की मौत का मामला उठने के बाद सरकार को बैकपुट में आना पड़ा. सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि मामले में दूसरे प्रदेश से एक्सपर्ट की मदद ली जाएगी. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने कहा कि किस प्रदेश से एक्सपर्ट की मदद ली जाएगी इस संबंध में जवाब पेश करें. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को सुझाव पेश करने के आदेश जारी करते हुए अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की गई है.

रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में दायर की है याचिका

रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइंस के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ने का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए. लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं. जिससे किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. कुछ मामलों में जंगली हाथियों के हमलों में लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.

हाईकोर्ट ने पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का विवरण मांगा था

जंगली हाथियों को प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्डलाइफ के आदेश पर ही पकड़ा जा सकता है. जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आते हैं. पकड़े जाने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दिया जाता है. ट्रेनिंग के दौरान हाथियों को यातनाओं का सामना करना पड़ता है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया था कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का पूरा विवरण पेश किया जाए. सरकार की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया है, जिसमें से दो हाथियों को छोड़ा जाना है.

याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने युगलपीठ को बताया कि पूर्व में हाईकोर्ट ने केरल से हाथियों के एक्सपर्ट से मदद लेने की बात कही थी. जिसे प्रदेश सरकार ने अस्वीकार कर दिया था. एक्सपर्ट की मदद ले ली जाती तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत नहीं होती. प्रदेश में हाथियों को कंट्रोल करने के लिए एक भी एक्सपर्ट नहीं है.

जबलपुर: जबलपुर उच्च न्यायालय में सोमवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई 11 हाथियों की मौत का मामला उठने के बाद सरकार को बैकपुट में आना पड़ा. सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि मामले में दूसरे प्रदेश से एक्सपर्ट की मदद ली जाएगी. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने कहा कि किस प्रदेश से एक्सपर्ट की मदद ली जाएगी इस संबंध में जवाब पेश करें. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को सुझाव पेश करने के आदेश जारी करते हुए अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की गई है.

रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में दायर की है याचिका

रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइंस के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ने का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए. लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं. जिससे किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. कुछ मामलों में जंगली हाथियों के हमलों में लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.

हाईकोर्ट ने पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का विवरण मांगा था

जंगली हाथियों को प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्डलाइफ के आदेश पर ही पकड़ा जा सकता है. जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आते हैं. पकड़े जाने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दिया जाता है. ट्रेनिंग के दौरान हाथियों को यातनाओं का सामना करना पड़ता है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया था कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का पूरा विवरण पेश किया जाए. सरकार की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया है, जिसमें से दो हाथियों को छोड़ा जाना है.

याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने युगलपीठ को बताया कि पूर्व में हाईकोर्ट ने केरल से हाथियों के एक्सपर्ट से मदद लेने की बात कही थी. जिसे प्रदेश सरकार ने अस्वीकार कर दिया था. एक्सपर्ट की मदद ले ली जाती तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत नहीं होती. प्रदेश में हाथियों को कंट्रोल करने के लिए एक भी एक्सपर्ट नहीं है.

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