नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले में ED ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (AAP) को आरोपी बनाया है. देश के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी जांच एजेंसी ने किसी राजनीतिक पार्टी को आरोपी बनाया हो. ऐसे में इस तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है कि अगर आम आदमी पार्टी पर मनी लॉन्ड्रिंग से कमाए गए पैसे का उपयोग करने का आरोप कोर्ट में साबित होता है तो पार्टी पर क्या कार्रवाई हो सकती है? इसको लेकर जानकार कई तर्क दे रहे हैं, आइए जानते हैं...
दिल्ली विश्वविद्यालय के महाराजा अग्रसेन कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य प्रोफेसर संजीव तिवारी का कहना है कि भारतीय दंड संहिता में पहले से ही प्रावधान है कि कोई संगठन ग्रुप ऑफ पर्सन्स द्वारा बनाया जाता है. प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट में भी यह प्रावधान है कि ऐसे ग्रुप ऑफ पर्सन्स अवैध तरीके से धन कमाकर उस पैसे को संगठन के काम में लगाते हैं और यह कोर्ट में साबित भी हो जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार चुनाव आयोग को है.
आरोप साबित होने के बाद चुनाव आयोग पार्टी की मान्यता रद्द कर सकता है. उसके चुनाव चिह्न को वापस ले सकता है. इससे पार्टी के आगे चुनाव लड़ने पर रोक लग जाएगी और पार्टी के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो सकता है. लेकिन, इसमें अभी लंबी प्रक्रिया है. ईडी को सारे आरोप साबित करने होंगे. कोर्ट में आरोप साबित होने के बाद ही चुनाव आयोग इस मामले में कुछ कार्रवाई कर पाएगा.
जैसा बताया जा रहा है कि ईडी ने आम आदमी पार्टी पर शराब घोटाले के 45 करोड़ रुपए का उपयोग गोवा के चुनाव में करने का आरोप लगाया है. इसको प्रोसीड ऑफ क्राइम के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप ईडी ने आम आदमी पार्टी पर लगाया है. इसी को आधार बनाकर ED ने AAP के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
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बता दें, शराब घोटाला मामले में ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. चूंकि, केजरीवाल पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं, इसलिए उनके साथ ही आम आदमी पार्टी को भी शराब घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में आरोपी बनाने की चर्चा शुरू हो गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को एक जून तक मामले में अंतरिम जमानत दे दी है. दो जून को केजरीवाल को सरेंडर करना होगा.