दौसा. डेढ़ वर्ष पहले एक पति ने अपनी पत्नी को धोखे से तलाक दिया. वहीं पीहर में रह रही पत्नी के साथ आरोपी ने जबरदस्ती दुष्कर्म किया. इस मामले में पत्नी ने आरोपी के खिलाफ बांदीकुई थाने में मामला दर्ज कराया था. वहीं मामले में डेढ़ वर्ष बाद सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आरोपी को 10 वर्ष के कठोर कारावास सहित 15 हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया है.
दरअसल, जिले के बांदीकुई थाना क्षेत्र में पीड़िता की ओर से 20 जनवरी, 2023 को आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया. जानकारी के अनुसार बांदीकुई थाना क्षेत्र के निवासी आरोपी धर्मेंद्र की शादी 23 फरवरी, 2012 में पीड़िता के साथ हुई थी .
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दहेज के लिए प्रताड़ित: शादी के करीब 6 साल तक दोनों साथ रहे. इस दौरान उनके दो बच्चे हो गए. लेकिन शादी के 6 साल बाद पीड़िता का पति और उसके परिजन महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे. ऐसे में रोज मारपीट और ससुराल पक्ष की प्रताड़ना से परेशान महिला अपने पीहर चली गई. इस दौरान पीहर में भी महिला को ससुराल पक्ष द्वारा चैन से नहीं रहने दिया गया. साथ ही आरोपी पति महिला से फोन पर गालीगलौच करता रहा.
आरोपी ने धोखे से दिया महिला को तलाक: इसी बीच आरोपी ने धोखे से पीड़िता से एक तरफा तलाक की डिग्री हासिल कर ली. जबकि इस मामले में पीड़िता का कहना है कि वह कभी कोर्ट गई ही नहीं थी. साथ ही आरोपी ने तामिल रिपोर्ट भी फर्जी तरीके से करवाई थी.
पीड़िता से किया दुष्कर्म: इस दौरान 2023 में छोटे बेटे का स्कूल में एडमिशन कराने के लिए बेटे के आधार कार्ड की जरूरत पड़ी. ऐसे में धर्मेंद्र से पीड़िता महिला ने आधार कार्ड मांगा. पीड़िता ने दर्ज रिपोर्ट में आरोप लगाया कि आधार कार्ड देने के लिए आए धर्मेंद्र ने रात में उसे पड़ोसी के मकान में बुलाया. जहां नशे की हालत में आरोपी ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया. इस दौरान पीड़िता के चिल्लाने पर उसकी मां को पता चला. लेकिन आरोपी धर्मेंद्र पीड़िता की मां को आता देखकर बाइक पर बैठकर फरार हो गया.
ऐसे में पीड़िता महिला के वकील ने दलील दी की शातिर आरोपी ने पीड़िता को धोखे में रखकर एक तरफा तलाक की डिग्री हासिल कर ली. जिससे तलाक के बाद दोनों के बीच पति-पत्नी के संबंध समाप्त हो गए थे. अधिवक्ता द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों और गवाहों के बयानों के आधार पर न्यायाधीश राजेंद्र कुमार ने आरोपी धर्मेंद्र को पीड़िता के साथ दुष्कर्म का दोषी करार दिया. जिसके चलते आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास और 15 हजार रुपए के अर्थ दंड की सजा सुनाई है.