पटना: जमानत मिलने के बाद प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि उन्हें बेऊर जेल ले जाया गया था लेकिन जिला प्रशासन के पास जरूरी कागजात उपलब्ध नहीं थे, इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया. कोर्ट ने उन्हें अनकंडिशनल बेल दिया है. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि 'जिला प्रशासन जबरन उनका फिटनेस सर्टिफिकेट बनवा रही थी ताकि किसी तरह मेरे में कोई बीमारी दिखा दिया जाए ताकि अनशन खत्म हो जाए.' अब इस पर पटना प्रशासन की प्रतिक्रिया आई है.
कई आरोपों का खंडन: प्रशांत किशोर के इस आरोप का जिला प्रशासन ने खंडन किया है. इसको लेकर प्रेस विज्ञप्ति भी जारी किया गया है. जिसमें कहा गया कि प्रशांत किशोर अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस तरह का अफवाह मीडिया के सामने फैलाया. इस दौरान जिला प्रशासन की ओर से जेल ले जाने का भी खुलासा किया गया कि पीके को जेल क्यों ले जाया गया था. कहा कि प्रशांत किशोर की बात में कोई सच्चाई नहीं है.
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इसलिए की गयी गिरफ्तारी: पटना जिला प्रशासन के अनुसार प्रशांत किशोर व अन्य लोगों के द्वारा अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर प्रतिबंधित क्षेत्र गांधी मैदान में अनशन कर रहे थे. प्रशासन ने वहां से हटकर गर्दनीबाग में जाने के लिए नोटिस दिया था. प्रतिबंधित क्षेत्र में गैर-कानूनी ढंग से धरना देने के कारण गांधी मैदान थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अनेक बार आग्रह करने तथा पर्याप्त समय देने के बाद भी स्थल खाली नहीं किया गया. जिसके कारण 6 जनवरी को सुबह में उन्हें गिरफ्तार करते हुए उनके 44 समर्थकों के विरुद्ध भी कार्रवाई की गयी.
स्वास्थ्य जांच में असहयोग: जिला प्रशासन ने कहा है कि पीके को स्वास्थ्य जांच की विहित प्रक्रिया के बाद कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया. स्वास्थ्य जांच के लिए सर्वप्रथम पटना एम्स ले जाया गया परंतु आरोपी(प्रशांत किशोर) द्वारा सहयोग नहीं किया गया. इसके बाद दूसरे अस्पताल ले जाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन 12 गाड़ियों के साथ उनके 23 समर्थकों द्वारा लगातार पीछा करते हुए व्यवधान डाला जा रहा था. ऐसे में उन गाड़ियों और समर्थकों को पिपलावा थाना द्वारा रोका गया और सभी को पकड़ लिया गया.
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फर्जी रिपोर्ट का खंडन: इसके बाद प्रशांत किशोर को फतुहा लाया गया. फतुहा स्वाथ्य केंद्र पर भी आरोपी ने सहयोग नहीं किया. प्रावधान के अनुसार उनकी असहमति को रिकॉर्ड करते हुए उपस्थित डॉक्टर द्वारा उनका स्वास्थ्य जांच प्रतिवेदन दिया गया. डॉक्टर पर फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट देने या गलत जांच प्रतिवेदन देने के लिए दबाव बनाने का प्रश्न ही नहीं है. कोर्ट में पेशी के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं चाहिए, मात्र स्वास्थ्य जांच रिपोर्ट की जरूरत होती है. प्रशासन ने पुलिस द्वारा किसी प्रकार का दबाव डालने के आरोप का खंडन किया है.
कोर्ट में भीड़ बेकाबू: जिला प्रशासन ने कहा है कि कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी के ही अधिवक्ताओं द्वारा मीडिया के सामने बताया गया कि कोर्ट ने 25000 रुपये के बॉण्ड पर सशर्त जमानत दी है लेकिन आरोपी ने शर्तों का विरोध करते हुए बॉण्ड भरने से इंकार कर दिया है. समझाने पर भी समझने को तैयार नहीं है. सुनवाई के उपरांत आरोपी के समर्थकों द्वारा सिविल कोर्ट में भीड़ उत्पन्न किया जा रहा था. अव्यवस्था उत्पन्न होने के कारण अन्य फरियादी, गवाहों, न्यायालयों को दिक्कत होने लगी.
इसलिए जेल ले जाया गया: कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था भी खतरे में आ गई थी. इस कारण आरोपी को कोर्ट परिसर से हटाकर बेऊर ले जाया गया. वहां कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा की गई. शाम को कोर्ट का आदेश प्राप्त होने और आरोपी द्वारा 25000 रुपये का बांड भरने पर विहित प्रक्रिया के तहत जमानत पर रिहा किया गया.
गांधी मूर्ति पार्क धरना स्थल नहीं: जिला प्रशासन ने कहा है कि गांधी मैदान के गांधी मूर्ति पार्क को अवैध ढंग से किए जा रहे धरना से मुक्त कराने और कानून के शासन को स्थापित करने के उद्देश्य से की गई. इसमें किसी के प्रति किसी प्रकार का पूर्वाग्रह नहीं था. कोर्ट के आदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि उक्त स्थल पर धरना देना गैर-कानूनी नहीं है. गांधी मूर्ति पार्क धरना स्थल नहीं है इसलिए वहां धरना देना सदैव गैर-कानूनी है.
200 समर्थकों पर एफआईआर: इसी बीच पटना जिला प्रशासन ने प्रशांत किशोर पर सिविल कोर्ट परिसर में भीड़ जुटाकर हंगामा खड़ा करने का आरोप लगा है. पटना के पीरबहोर थाने में प्रशांत किशोर के साथ उनके 200 समर्थकों पर केस दर्ज हुआ है. एफआईआर में पुलिस से धक्का-मुक्की और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का आरोप है. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि इस धक्का- मुक्की में एक पुलिसकर्मी का हाथ टूट गया है.
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