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गाजियाबाद: युवा कांवड़ियों में स्टील के कलश का खूब क्रेज, 11 से 81 लीटर तक जल ले कर चल रहे शिवभक्त - GHAZIABAD KANWAD YATRA 2024 - GHAZIABAD KANWAD YATRA 2024

गाजियाबाद में युवा कांवडियों के बीच स्टील के कलश का खूब क्रेज देखने को मिल रहा है. शिवभक्त इन कलशों में 11 से 81 लीटर तक जल ले कर चल रहे हैं.

कांवड़ यात्रा के दौरान डिमांड में है स्टील की कलश
कांवड़ यात्रा के दौरान डिमांड में है स्टील की कलश (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 30, 2024, 5:52 PM IST

कांवड़ यात्रा के दौरान डिमांड में है स्टील की कलश (Etv Bharat)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में कांवड़ मार्ग आस्था के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है. राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के शिव भक्त गाजियाबाद से होकर गुजरते हैं. गाजियाबाद में तकरीबन 220 किलोमीटर का कांवड़ कॉरिडोर है. कांवड़ मार्ग पर डाक कावड़ भी दिख रही है. वहीं इस साल बड़ी संख्या में स्टील के कलश कांवड़ भी देखने को मिल रहे हैं. खासकर युवाओं में स्टील के कलश का काफी क्रेज देखने को मिल रहा है.

शिव भक्त कांवड़िये 11 लीटर से 81 लीटर तक गंगाजल स्टील कलश में भरकर बोल बम के जयकारा लगाते हुए अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ रहे हैं. सनातन धर्म में कांवड़ यात्रा को तीर्थ समान माना गया है. बांस के डंडों में दोनों ओर स्टील के कलश बांधकर शिव भक्त कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. किसी कांवड़ में दो कलश है तो किसी में 6 और 8 स्टील के कलश बंधे हुए हैं. स्थानीय शिवालियों में पहुंचने के बाद भक्त शिवलिंग पर जल अभिषेक करेंगे. वहीं कई कावड़ियों का कहना है कि वह जल अभिषेक करने के साथ-साथ गंगाजल को क्षेत्र में भी वितरित करेंगे.

ये भी पढ़ें: गाजियाबाद में 3 अगस्त तक बंद रहेंगी मीट की दुकानें, कांवड़ यात्रा के मद्देनजर लिया गया फैसला

दिल्ली के करोल बाग के रहने वाले कावड़ियां गोलू बताते हैं कि वह स्टील की कलश कावड़ लेकर आ रहे हैं. कंधे पर 70 लीटर जल लेकर चल रहे हैं. 23 जुलाई को उन्होंने हरिद्वार से जल उठाया था. हफ्ते भर से पैदल यात्रा कर रहे हैं. हर दिन 20 किलोमीटर यात्रा करते हैं. कहा कि भोलेनाथ की कृपा से उन्हें शरीर में ना किसी प्रकार का दर्द ना ही थकावट महसूस होती है.

ये भी पढ़ें: आज से कावड़ यात्रा शुरू, दिल्ली प्रशासन ने किए खास इंतजाम

दिल्ली के अमन विहार के रहने वाले शिवभक्त हैप्पी बताते हैं कि हरिद्वार से 81 लीटर जल की कांवड़ उठाई थी. हम दो भाई मां-बाप की सेहत और उनकी बेहतरी की मनोकामना के साथ कांवड़ उठाई है. हैप्पी बताते हैं कि स्टील कलश को संभालना आसान होता है. स्टील की कलश टूटने का कोई खतरा नहीं होता है जबकि प्लास्टिक के कलश कई बार रखने पर टूट जाते हैं.

दिल्ली के आनंद पर्वत के रहने वाले शिव भक्त मोनू बताते हैं कि वह हरिद्वार से 71 लीटर जल की कलश कावड़ लेकर आए हैं. मोनू का कहना है की मां-बाप के स्वास्थ्य के लिए कावड़ उठाई है. मोनू 10 साल की उम्र से कावड़ ला रहे हैं. इस साल 14 वीं बार कावड़ बदला रहे हैं. वजन ज्यादा है ऐसे में हर दिन 10 से 15 किलोमीटर ही चल पाते हैं. 21 जुलाई को हरिद्वार से कावड़ उठाई थी. ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक की कैन में जल लेकर आने में कैन के फटने का खतरा बना रहता है. जबकि स्टील की कलश में फटने या टूटने का खतरा नहीं होता.

ये भी पढ़ें: सावन के महीने में कांवड़ और गंगाजल का है विशेष महत्व, जानिए क्या कहते हैं पुजारी

कांवड़ यात्रा के दौरान डिमांड में है स्टील की कलश (Etv Bharat)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में कांवड़ मार्ग आस्था के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है. राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के शिव भक्त गाजियाबाद से होकर गुजरते हैं. गाजियाबाद में तकरीबन 220 किलोमीटर का कांवड़ कॉरिडोर है. कांवड़ मार्ग पर डाक कावड़ भी दिख रही है. वहीं इस साल बड़ी संख्या में स्टील के कलश कांवड़ भी देखने को मिल रहे हैं. खासकर युवाओं में स्टील के कलश का काफी क्रेज देखने को मिल रहा है.

शिव भक्त कांवड़िये 11 लीटर से 81 लीटर तक गंगाजल स्टील कलश में भरकर बोल बम के जयकारा लगाते हुए अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ रहे हैं. सनातन धर्म में कांवड़ यात्रा को तीर्थ समान माना गया है. बांस के डंडों में दोनों ओर स्टील के कलश बांधकर शिव भक्त कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. किसी कांवड़ में दो कलश है तो किसी में 6 और 8 स्टील के कलश बंधे हुए हैं. स्थानीय शिवालियों में पहुंचने के बाद भक्त शिवलिंग पर जल अभिषेक करेंगे. वहीं कई कावड़ियों का कहना है कि वह जल अभिषेक करने के साथ-साथ गंगाजल को क्षेत्र में भी वितरित करेंगे.

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दिल्ली के करोल बाग के रहने वाले कावड़ियां गोलू बताते हैं कि वह स्टील की कलश कावड़ लेकर आ रहे हैं. कंधे पर 70 लीटर जल लेकर चल रहे हैं. 23 जुलाई को उन्होंने हरिद्वार से जल उठाया था. हफ्ते भर से पैदल यात्रा कर रहे हैं. हर दिन 20 किलोमीटर यात्रा करते हैं. कहा कि भोलेनाथ की कृपा से उन्हें शरीर में ना किसी प्रकार का दर्द ना ही थकावट महसूस होती है.

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दिल्ली के अमन विहार के रहने वाले शिवभक्त हैप्पी बताते हैं कि हरिद्वार से 81 लीटर जल की कांवड़ उठाई थी. हम दो भाई मां-बाप की सेहत और उनकी बेहतरी की मनोकामना के साथ कांवड़ उठाई है. हैप्पी बताते हैं कि स्टील कलश को संभालना आसान होता है. स्टील की कलश टूटने का कोई खतरा नहीं होता है जबकि प्लास्टिक के कलश कई बार रखने पर टूट जाते हैं.

दिल्ली के आनंद पर्वत के रहने वाले शिव भक्त मोनू बताते हैं कि वह हरिद्वार से 71 लीटर जल की कलश कावड़ लेकर आए हैं. मोनू का कहना है की मां-बाप के स्वास्थ्य के लिए कावड़ उठाई है. मोनू 10 साल की उम्र से कावड़ ला रहे हैं. इस साल 14 वीं बार कावड़ बदला रहे हैं. वजन ज्यादा है ऐसे में हर दिन 10 से 15 किलोमीटर ही चल पाते हैं. 21 जुलाई को हरिद्वार से कावड़ उठाई थी. ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक की कैन में जल लेकर आने में कैन के फटने का खतरा बना रहता है. जबकि स्टील की कलश में फटने या टूटने का खतरा नहीं होता.

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