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ग्रहों की शांति के लिए कैसे करें रत्न धारण, जानिए कब मिलेगा सटीक लाभ - solution from astrology - SOLUTION FROM ASTROLOGY

How to wear gemstone यदि आपने अपना ग्रह और नक्षत्र की दशा सुधारने के लिए रत्न धारण किया है तो ये खबर आपके लिए है.क्योंकि कई बार रत्नों के कारण आपकी समस्या कम होने के बजाए बढ़ जाती है. Know solution from astrology

How to wear gemstone
ग्रहों की शांति के लिए कैसे करें रत्न धारण (Know solution from astrology)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 9, 2024, 6:08 AM IST

रायपुर : हमारे जीवन में यदि कोई समस्या आती है तो उसे दूर करने के लिए ज्योतिष रत्न पहनने की सलाह देते हैं. सूर्य के लिए माणिक, चंद्रमा के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, बृहस्पति के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया पहनने की सलाह देते हैं. यह रत्न मूल रत्न है लेकिन कई बार शुद्ध रत्न नही मिल पाता. शुद्ध रत्न अत्यंत महंगे भी होते हैं. जातक की खरीदी क्षमता के अनुसार भी नहीं होते. सूर्य की शांति के लिए उपरत्न भी पहनने की सलाह दी जाती है. जैसे सूर्य के लिए सूर्यकांत मणि.


रत्नों की शुद्धता में होती है कमी :ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि ग्रहों की शांति के रत्न और उप रत्न सस्ते दाम में भी मिल जाता है लेकिन उसमें शुद्धता कम होती है. लेकिन बाजार में ओरिजिनल और शुद्ध रत्न भी उपलब्ध हैं. इनका प्रभाव भी अच्छा होता है.ये जातक को ज्यादा नुकसान भी नहीं पहुंचाते.

''रत्नों को पहनने के लिए ज्योतिष की सलाह जरुरी है. विधिवत प्राण प्रतिष्ठा पूजा करने के बाद ही जातक को रत्न धारण करना चाहिए. रत्न और उपरत्न कई बार जल्द ही प्रभाव देते हैं. यदि इनके धारण करने के बाद कोई मानसिक परेशानी बढ़ती है या कोई नुकसान होता है तो इसे तुरंत उतार कर इसका फिर से परीक्षण कर ज्योतिष की सलाह से दोबारा धारण करना चाहिए."- डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ज्योतिष एवं वास्तुविद

कैसे करें रत्नों को धारण ? : रत्न और उपरत्न धारण करने के पहले ज्योतिष के बताए गए समय और दिन के आधार पर ही धारण करना चाहिए. हर एक ग्रह का अपना होरा यानी समय भी होता है. उस समय में उस ग्रह के समय में पहनना अधिक लाभदायक होता है. रत्न पहनते समय जातक को संबंधित ग्रह की शांति के लिए उसकी शक्ति देने के लिए संबंधित ग्रह के मंत्रों का जाप और पाठ करना चाहिए. इससे भी शीघ्र लाभ होता है. रत्न के साथ-साथ मंत्र का जाप बहुत लाभदायक हो जाता है. रत्न धारण करते समय संबंधित ग्रह के मंत्र की तीन माला का जाप करना चाहिए. रत्न अपना प्रभाव शीघ्रता से देते हैं. रत्नों का प्रभाव कुछ महीनों के बाद कम हो जाता है.

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नोट- उपरोक्त लिखीं बातें ज्योतिष के अपने ज्ञान पर आधारित है.इसका ईटीवी भारत से कोई नाता नहीं है.

रायपुर : हमारे जीवन में यदि कोई समस्या आती है तो उसे दूर करने के लिए ज्योतिष रत्न पहनने की सलाह देते हैं. सूर्य के लिए माणिक, चंद्रमा के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, बृहस्पति के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया पहनने की सलाह देते हैं. यह रत्न मूल रत्न है लेकिन कई बार शुद्ध रत्न नही मिल पाता. शुद्ध रत्न अत्यंत महंगे भी होते हैं. जातक की खरीदी क्षमता के अनुसार भी नहीं होते. सूर्य की शांति के लिए उपरत्न भी पहनने की सलाह दी जाती है. जैसे सूर्य के लिए सूर्यकांत मणि.


रत्नों की शुद्धता में होती है कमी :ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि ग्रहों की शांति के रत्न और उप रत्न सस्ते दाम में भी मिल जाता है लेकिन उसमें शुद्धता कम होती है. लेकिन बाजार में ओरिजिनल और शुद्ध रत्न भी उपलब्ध हैं. इनका प्रभाव भी अच्छा होता है.ये जातक को ज्यादा नुकसान भी नहीं पहुंचाते.

''रत्नों को पहनने के लिए ज्योतिष की सलाह जरुरी है. विधिवत प्राण प्रतिष्ठा पूजा करने के बाद ही जातक को रत्न धारण करना चाहिए. रत्न और उपरत्न कई बार जल्द ही प्रभाव देते हैं. यदि इनके धारण करने के बाद कोई मानसिक परेशानी बढ़ती है या कोई नुकसान होता है तो इसे तुरंत उतार कर इसका फिर से परीक्षण कर ज्योतिष की सलाह से दोबारा धारण करना चाहिए."- डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ज्योतिष एवं वास्तुविद

कैसे करें रत्नों को धारण ? : रत्न और उपरत्न धारण करने के पहले ज्योतिष के बताए गए समय और दिन के आधार पर ही धारण करना चाहिए. हर एक ग्रह का अपना होरा यानी समय भी होता है. उस समय में उस ग्रह के समय में पहनना अधिक लाभदायक होता है. रत्न पहनते समय जातक को संबंधित ग्रह की शांति के लिए उसकी शक्ति देने के लिए संबंधित ग्रह के मंत्रों का जाप और पाठ करना चाहिए. इससे भी शीघ्र लाभ होता है. रत्न के साथ-साथ मंत्र का जाप बहुत लाभदायक हो जाता है. रत्न धारण करते समय संबंधित ग्रह के मंत्र की तीन माला का जाप करना चाहिए. रत्न अपना प्रभाव शीघ्रता से देते हैं. रत्नों का प्रभाव कुछ महीनों के बाद कम हो जाता है.

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नोट- उपरोक्त लिखीं बातें ज्योतिष के अपने ज्ञान पर आधारित है.इसका ईटीवी भारत से कोई नाता नहीं है.

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