MGNREGA Yojana job card: देश में आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब परिवारों की वित्तीय हालात को सुधारने के लिए यूपीए सरकार ने 2005 में नरेगा (राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना) योजना शुरू की थी. इस योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को हर साल 100 दिन के रोजगार की गारंटी प्रदान की जाती है. पंचायत स्तर पर इस योजना को देश के सभी राज्यों में लागू किया गया है. 2006 में इस योजना की शुरुआत आंध्र प्रदेश से हुई थी. 2007-2008 में इसे देश के 130 जिलों में लागू किया गया. इसके बाद इसे पूरे देश में लागू किया गया. 2009 में इसका नाम मनरेगा कर दिया गया था. इस योजना के तहत रोजगार न मिलने पर श्रमिक को बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाता है.
मनरेगा को ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को घर-द्वार पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए शुरू किया गया था. मनरेगा के जरिए घर के पास 5 किलोमीटर के दायरे में श्रमिक को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दिलाई जाती है. मनरेगा में काम करने के लिए जॉब कार्ड चाहिए. हम आपको बताएंगे कि जॉब कार्ड कैसे बनता है और इसके फायदे क्या हैं.
केंद्र और राज्य सरकारें करती हैं बजट का प्रावधान
मनरेगा के लिए राज्य और केंद्र सरकारें बजट का प्रावधान करती हैं. केंद्र सरकार की राशि पंचायती राज विभाग के पास आती है. हर राज्य सरकार मनरेगा में श्रमिक की न्यूनतम वेजिस (दिहाड़ी) तय करती हैं. हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने चालू वित्त वर्ष में मनरेगा की दिहाड़ी को 1 अप्रैल से 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया है. ऐसे में ग्रामीणों को मनरेगा के तहत काम करने पर घर द्वार पर 300 रुपये दिहाड़ी मिल रही है. अब 14 दिन काम करने पर 4200 रुपये खाते में आएंगे. चालू वित्त वर्ष में हिमाचल में चार महीनों में ग्रामीणों ने 144 लाख कार्य दिवस अर्जित कर लिए हैं.
मनरेगा के जरिए किए जाते हैं ये काम
मनरेगा के जरिए ग्रामीणों इलाकों में जलसंरक्षण, संचयन, कुंओं, बाबड़ियों का निर्माण, बाढ़ नियंत्रण के कार्य जैसे तटबंधों का निर्माण और मरम्मत, छोटे बांधों का निर्माण, भूमि को समतल करना और पौधा रोपण, रास्तों का निर्माण, भूमि कटाव को रोकने के लिए रिटेनिंग वॉल का निर्माण जैसे कार्य किए जाते हैं. इस योजना के तहत कुल मिलाकर 266 तरह के कार्य किए जा सकेत हैं. इन कार्यों के लिए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी तय होती है. ये मजदूरी सीधे कामगार के बैंक खाते में आती है. मनरेगा में रोजगार के लिए सबसे पहले जॉब कार्ड बनवाना पड़ता है. आप घर बैठे ऑनलाइन इस जॉब कार्ड को बनवा सकते हैं.
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ऐसे करें ऑफलाइन आवेदन
- सबसे पहले पंचायत कार्यालय से जॉब कार्ड का आवेदन फॉर्म लेना होगा.
- फॉर्म में पूछी गई जानकारी भरने के बाद जरूरी दस्तावेजों को फॉर्म के साथ लगाना होगा
- इसके बाद अपना आवेदन फॉर्म ग्राम पंचायत कार्यालय में जमा करवाना होगा
- इसका बाद ग्राम पंचायत प्रधान आपके आवेदन की जांच करने के बाद इसे संबंधित कार्यालय के पास भेजेगा
- इसके बाद आपका नाम जॉब कार्ड लिस्ट में दर्ज कर लिया जाएगा.
- ग्राम पंचायत स्तर पर रोजगार सेवक आपका फॉर्म मनरेगा पोर्टल पर सबमिट करेगा
- 15 दिन के अंदर आपको जॉब कार्ड आपकों सौंप दिया जाएगा.
मनरेगा सहायक यशपाल वर्मा ने बताया "सबसे पहले जॉब कार्ड के लिए सादे पेपर या फॉर्म नंबर एक के तहत मनरेगा सहायक के पास आवेदन करना पड़ता है. इसके साथ दो पासपोर्ट साइज के फोटो, आधार कार्ड और बैंक पास बुक की कॉपी लगानी अनिवार्य है. इसके बाद 15 दिन में जॉब कार्ड बन जाएगा."
ऑनलाइन भी कर सकते हैं आवेदन
मनरेगा जॉब कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है. सबसे पहले आवेदक को Umang की आधिकारिक वेबसाइट https://web.umang.gov.in/ पर जाना होगा या उसे अपने मोबाइल पर Umang App डाउनलोड करना होगा. यहां पर मनरेगा पोर्टल के जरिए जॉब कार्ड बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है.
जॉब कार्ड बनवाने के लिए आवश्यक दस्तावेज
मनरेगा जॉब कार्ड बनवाने के कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है. नीचे सूची में दिए गए दस्तावेज जॉब कार्ड आवेदन के लिए मान्य हैं. इन दस्तावेजों के साथ आप अपना जॉब कार्ड बनवा सकते हैं. इन दस्तावेजों को सत्यापित कर आपका जॉब कार्ड बनता है.
- आधार कार्ड की फोटोकॉपी
- वोटर आईडी कार्ड
- बैंक पास बुक की फोटोकॉपी
- आवेदक का स्थाई निवास प्रमाण पत्र
- आवेदक का आय प्रमाण पत्र
- राशन कार्ड
- पासपोर्ट साइज फोटो
ये हैं जॉब कार्ड के फायदे
- इस कार्ड के माध्यम से आप वित्तीय सेवाओं का भी उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि बैंक खाता खोलना और ऋण प्राप्त करना इत्यादि.
- बिना पेपर के डिजिटल पहचान: यह कार्ड आपके पेशेवर जीवन को पेपरलेस और डिजिटल बना सकता है, इससे आपके डॉक्यूमेंट्स की सुरक्षा भी बढ़ेगी.
- बीपीएल परिवार से संबंधित मनरेगा जॉब कार्ड होल्डर पक्का घर बनाने के लिए पीएम आवास योजना का लाभ उठा सकता है.
- 100 दिन का रोजगार पूरा करने वाले जॉब कार्ड होल्डर्स को उन्नति प्रोजेक्ट के तहत वोकेशनल ट्रेनिंग भी करवाई जाती है. ऐसे श्रमिकों के समूह बनाकर उन्हें दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत यांत्रिक कृषि तकनीक या निर्माण कार्यों को समूह में कार्य करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा कोई परिवार अपनी भूमि पर सामूहिक रूप से सिंचाई, कृषि या बागवानी का प्रबंधन कर अपनी जमीन की फर्टीलिटी बढ़ाना चाहता है तो उन्हें इसके लिए भी ट्रेंड किया जाता, ताकि श्रमिक प्रशिक्षण लेकर अपना घरेलू व्यवसाय कर सकें.
- मनरेगा जॉब कार्ड होने पर भी आपको 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाती है. 100 दिन तक रोजगार न मिलने पर कार्ड होल्डर को बेरोजगारी भत्ता मिलता है.
- मनरेगा में चल रहे कार्य के दौरान किसी श्रमिक को चोट लगती है यह गंभीर रूप से घायल हो जाता है तो इसके उपचार का पूरा खर्चा सरकार की ओर उठाया जाता है. इसके लिए श्रमिक को अपने पूरे इलाज के खर्च का ब्यौरा देना होगा.
- यदि मनरेगा में काम के दौरान श्रमिक के साथ दुर्घटना या उसी क्रम में मृत्य होने या स्थाई रूप से विकलांग होने पर उसे 25 हजार रुपये या ऐसी रकम या जो केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित की जाए अनुग्रहपूर्वक भुगतान किया जाएगा.
- श्रमिक के साथ आने वाले बालक को कोई क्षति या चोट पहुंचती है तो योजना के तहत किए गए प्रावधान के अनुसार उसके उपचार का खर्च सरकार की ओर वहन किया जाता है.
- जॉब कार्ड होल्डर को उसके निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार प्रदान किया जाता है और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है. यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर आवेदक को काम प्रदान नहीं किया जाता है, तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार है. इस प्रकार, मनरेगा के तहत रोजगार एक कानूनी रूप से हकदार हैं.
मनरेगा सहायक यशपाल वर्मा ने बताया "मनरेगा जॉब कार्ड होने पर 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाती है. 100 दिन तक रोजगार न मिलने पर कार्ड होल्डर को बेरोजगारी भत्ता मिलता है. मनरेगा में चल रहे काम के दौरान किसी श्रमिक को चोट लगती है यह गंभीर रूप से घायल हो जाता है तो इसके उपचार का पूरा खर्चा सरकार उठाती है. जॉब कार्ड वोट डालते वक्त उपयोग में लाया जा सकता है. जॉब कार्ड के बिना मनरेगा में रोजगार नहीं मिलता"
मनरेगा योजना को ग्राम पंचायत की ओर से लागू किया जाता है. मनरेगा के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय नोडल मंत्रालय है. मनरेगा के लिए आवेदन कर रहे व्यक्ति की आयु 18 साल से अधिक होनी चाहिए. इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या का हल करना है.
इस योजना को एक सामाजिक उपाय के रूप में लागू किया गया था. ये योजना 'काम के अधिकार' की गारंटी देती है. मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण विकास और रोजगार के दोहरे लक्ष्य को हासिल करना है. भारत में मनरेगा के तहत 13.12 करोड़ श्रमिक पंजीकृत हैं. मनरेगा के लागू होने के बाद से अब तक 8.41 करोड़ एसेट्स बना जा चुके हैं. 2024-25 में 20.27 डीबीटी ट्रांजेक्शन (Direct Benefit Transfer) की गई हैं. इसी अवधि के दौरान 4.03 करोड़ परिवार मनरेगा के तहत लाभांवित हुए हैं.