रायपुर : आम को फलों का राजा कहा जाता है.इसकी उत्पत्ति भारत देश में ही मानी जाती है.इस फल को पॉकेट ऑफ मिनरल्स का खिताब भी हासिल है. दूसरे फलों की तुलना में आम में खनिज तत्वों की मात्रा ज्यादा पाई जाती है. भारत के कई हिस्सों में आम की पैदावार होती है.आमों को बड़े बागीचों में उगाया जाता है.छत्तीसगढ़ में भी ऐसे कई बागीचे हैं, जहां आम की फसल ली जाती है.इसलिए किसानों को आम की फसल की देखभाल करने में सावधानी बरतनी चाहिए. बेमौसम बारिश, आंधी तूफान और तेज हवा चलने की वजह से आम के फूल को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में आम उद्यान की देखभाल करने में किस तरह की सावधानी बरतें,आईये जानते हैं.
कैसे करें आम की फसल की देखभाल : ? इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर घनश्याम दास साहू ने बताया कि " मौसम परिवर्तन होने के साथ ही आम के पेड़ों में फूल आने लगते हैं. इसी समय किसानों को इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. किसानों को आम पेड़ की जो मुख्य शाखाएं होती हैं उसे 4 से 6 फीट की ऊंचाई तक बोडो पेस्टिंग करना जरूरी होता है.
''आम के पेड़ से नीचे झूलने वाली शाखाओं के साथ ही पुरानी शाखाओं की कटाई छटाई करें. फूल आने के समय ही आम के पेड़ों में कीटनाशक का प्रकोप भी देखने को मिलता है. कीटनाशक का प्रकोप होने पर आम के फूल झड़ने लग जाते हैं. ऐसे में आम उद्यान लगाने वाले किसानों को फूड स्प्रेयर के माध्यम से किसानों को कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए." डॉ घनश्याम साहू,वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक
नीम तेल का करें छिड़काव : कभी-कभी आम के झाड़ में मकड़ी के जाले भी लग जाते हैं. बांस की सहायता से इन जालों को साफ करें. 15 दिनों के बीच में नीम तेल का छिड़काव करते रहे. आम के पेड़ में बौर आने के बाद रासायनिक कीटनाशक के बजाय नीम तेल का इस्तेमाल करें. छत्तीसगढ़ में आम्रपाली, दशहरी, इंदिरा, नंदीराज, मल्लिका ऐसी बहुत से किस्में हैं. इन आम की किस्मों का छत्तीसगढ़ के किसान उत्पादन करते हैं. आम के उद्यान में 15 -15 दिनों के अंतराल में खाद और पानी देना भी जरुरी है.