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साइबर ठगों का नया पैंतरा डिजिटल अरेस्ट, थोड़ी सी सावधानी बचा सकती है आपकी गाढ़ी कमाई - Cyber Fraud - CYBER FRAUD

साइबर ठगों ने अब ठगी का एक नया रास्ता निकाला है, जिसमें वो आपको वीडियो कॉल करते हैं और अपने आपको पुलिस या कोई अधिकारी बताकर आपको डरा धमका कर पैसे ऐंठ लेते हैं. इससे बचा जा सकता है, जानिए कैसे.

डिजिटल अरेस्ट
साइबर ठगों का नया पैंतरा डिजिटल अरेस्ट (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 1, 2024, 6:10 PM IST

जोधपुर : शहर में हाल ही में तीन डिजिटल अरेस्ट ठगी की घटनाएं हुई हैं. इसमें साइबर बदमाशों ने ज्यादातर महिलाओं को निशाना बनाया. तीनों मामले में जो कॉमन बात यह थी कि उनके पास व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल आए. इसके अलावा उन्होंने बदमाशों से लंबी बात कर उनसे पुष्टि करने की कोशिश की, जिसके चलते बदमाश उनको लगातार उलझाते रहे और लाखों की ठगी करने में कामयाब रहे. इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि अननॉन नंबर से आने वाले व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल इग्नोर करें.

साइबर एक्सपर्ट एडवोकेट प्रिया सांखला का कहना है कि व्हाट्सएप में ऐसे फीचर भी हैं, जिससे अननॉन पर्सन आपको वीडियो कॉल और कॉल नहीं कर सकता. अगर हम मोबाइल से सोशल मीडिया यूज एटिकेट्स पर ध्यान देंगे तो आसानी से इस तरह कि घटनाओं से बचा जा सकता है. ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोई आपको वीडियो कॉल के सामने ही रखे. इस तरह की घटना के लिए साइबर फ्रॉडर सोशल मीडिया से ही हमारी जानकारी उठाते हैं. सायबर एक्सपर्ट का कहना है कि आजकल चलन हो गया है कि लोग अपनी सभी जानकारी यहां शेयर करते हैं. कोशिश करनी चाहिए कि यहां निजी जानकारी कम से कम शेयर करें.

साइबर एक्सपर्ट एडवोकेट प्रिया सांखला (ETV Bharat Jodhpur)

इसे भी पढ़ें- क्या है डिजिटल अरेस्ट, जिसमें फोन कॉल काट नहीं पाते लोग? इससे कैसे रहें सुरक्षित? जानें - Save yourselves From Digital Arrest

ईमेल पर मांगे जानकारी : एडवोकेट प्रिया बताती हैं कि फ्रॉडर आपको व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल कर खुद को पुलिस अधिकारी या अन्य विभाग के अधिकारी बताते हैं और व्हाट्सएप पर ही आपको नोटिस भेजते हैं, लेकिन यह जानकारी होनी चाहिए कि व्हाट्सएप और स्काइप पर भेजा गया किसी तरह का नोटिस वैलिड नहीं होता है. कोई भी पेपर या नोटिस आप उससे ईमेल पर मांगें. उसके बाद यह जानने की कोशिश बिल्कुल ना करें कि यह सही है या नहीं. आप 24 घंटे में वकील से बात करके जवाब देने का रिप्लाई कर दें. इसके बाद अननॉन नंबर से कोई व्हाट्सएप और वीडियो कॉल अटेंड ना करें. अपने परिवार को बताएं, विश्वास रखें कि आपने कोई आर्थिक अपराध नहीं किया है.

इस तरह से डराते हैं बदमाश : एडवोकेट प्रिया का कहना है कि आपको अनजान नंबर से फोन आता है. दूसरी ओर से कोई खुद को कस्टम अधिकारी बताता है. कहता है कि आपके नाम का पार्सल मिला है, जिसमें गैर कानूनी समान है. आपके खिलाफ कार्रवाई होगी. आपको वीडियो कॉल आएगा. साइबर अपराधी बाकायदा ऑफिस और पुलिस की वर्दी में नजर आते हैं. घबराहट में हम उन्हें सब बता देते हैं, जबकि यह मान के चलिए की इस तरह की घटना होने पर कोई भी विभाग या एजेंसी सीधे आपको कॉल नहीं करती है. अगर आपके पास भी ऐसा कॉल आए जो अपने आपको कोई भी अधिकारी बताए तो उसे नजदीकी पुलिस स्टेशन से किसी को भेज देने के लिए कहें. उसकी बातों में आने के बजाय सिर्फ पुलिस स्टेशन से संपर्क करने पर जोर देकर बचा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- महिला डॉक्टर को 24 घंटे तक किया डिजिटल हाउस अरेस्ट, ठगे 6 लाख रुपए - Digital Arrest Case

जोधपुर में हुए यह तीन मामले

  1. 15 अगस्त को आईआईटी जोधपुर की प्रोफेसर को 10 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 24 लाख रुपए की ठगी का केस दर्ज हुआ.
  2. 20 सितंबर को मेडिकल कॉलेज की पूर्व प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर 87 लाख ठगने का मामला सामने आया.
  3. 23 सितंबर एक डेंटिस्ट को डिजिटल अरेस्ट कर 6 लाख ठगे.

जोधपुर : शहर में हाल ही में तीन डिजिटल अरेस्ट ठगी की घटनाएं हुई हैं. इसमें साइबर बदमाशों ने ज्यादातर महिलाओं को निशाना बनाया. तीनों मामले में जो कॉमन बात यह थी कि उनके पास व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल आए. इसके अलावा उन्होंने बदमाशों से लंबी बात कर उनसे पुष्टि करने की कोशिश की, जिसके चलते बदमाश उनको लगातार उलझाते रहे और लाखों की ठगी करने में कामयाब रहे. इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि अननॉन नंबर से आने वाले व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल इग्नोर करें.

साइबर एक्सपर्ट एडवोकेट प्रिया सांखला का कहना है कि व्हाट्सएप में ऐसे फीचर भी हैं, जिससे अननॉन पर्सन आपको वीडियो कॉल और कॉल नहीं कर सकता. अगर हम मोबाइल से सोशल मीडिया यूज एटिकेट्स पर ध्यान देंगे तो आसानी से इस तरह कि घटनाओं से बचा जा सकता है. ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोई आपको वीडियो कॉल के सामने ही रखे. इस तरह की घटना के लिए साइबर फ्रॉडर सोशल मीडिया से ही हमारी जानकारी उठाते हैं. सायबर एक्सपर्ट का कहना है कि आजकल चलन हो गया है कि लोग अपनी सभी जानकारी यहां शेयर करते हैं. कोशिश करनी चाहिए कि यहां निजी जानकारी कम से कम शेयर करें.

साइबर एक्सपर्ट एडवोकेट प्रिया सांखला (ETV Bharat Jodhpur)

इसे भी पढ़ें- क्या है डिजिटल अरेस्ट, जिसमें फोन कॉल काट नहीं पाते लोग? इससे कैसे रहें सुरक्षित? जानें - Save yourselves From Digital Arrest

ईमेल पर मांगे जानकारी : एडवोकेट प्रिया बताती हैं कि फ्रॉडर आपको व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल कर खुद को पुलिस अधिकारी या अन्य विभाग के अधिकारी बताते हैं और व्हाट्सएप पर ही आपको नोटिस भेजते हैं, लेकिन यह जानकारी होनी चाहिए कि व्हाट्सएप और स्काइप पर भेजा गया किसी तरह का नोटिस वैलिड नहीं होता है. कोई भी पेपर या नोटिस आप उससे ईमेल पर मांगें. उसके बाद यह जानने की कोशिश बिल्कुल ना करें कि यह सही है या नहीं. आप 24 घंटे में वकील से बात करके जवाब देने का रिप्लाई कर दें. इसके बाद अननॉन नंबर से कोई व्हाट्सएप और वीडियो कॉल अटेंड ना करें. अपने परिवार को बताएं, विश्वास रखें कि आपने कोई आर्थिक अपराध नहीं किया है.

इस तरह से डराते हैं बदमाश : एडवोकेट प्रिया का कहना है कि आपको अनजान नंबर से फोन आता है. दूसरी ओर से कोई खुद को कस्टम अधिकारी बताता है. कहता है कि आपके नाम का पार्सल मिला है, जिसमें गैर कानूनी समान है. आपके खिलाफ कार्रवाई होगी. आपको वीडियो कॉल आएगा. साइबर अपराधी बाकायदा ऑफिस और पुलिस की वर्दी में नजर आते हैं. घबराहट में हम उन्हें सब बता देते हैं, जबकि यह मान के चलिए की इस तरह की घटना होने पर कोई भी विभाग या एजेंसी सीधे आपको कॉल नहीं करती है. अगर आपके पास भी ऐसा कॉल आए जो अपने आपको कोई भी अधिकारी बताए तो उसे नजदीकी पुलिस स्टेशन से किसी को भेज देने के लिए कहें. उसकी बातों में आने के बजाय सिर्फ पुलिस स्टेशन से संपर्क करने पर जोर देकर बचा जा सकता है.

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जोधपुर में हुए यह तीन मामले

  1. 15 अगस्त को आईआईटी जोधपुर की प्रोफेसर को 10 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 24 लाख रुपए की ठगी का केस दर्ज हुआ.
  2. 20 सितंबर को मेडिकल कॉलेज की पूर्व प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर 87 लाख ठगने का मामला सामने आया.
  3. 23 सितंबर एक डेंटिस्ट को डिजिटल अरेस्ट कर 6 लाख ठगे.
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