रांची: राजधानी रांची से करीब 65 किलोमीटर दूर झारखंड और पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर मुरी में संचालित देश की पहली एलुमिना रिफाइनरी अपनी स्थापना की 75वीं सालगिरह मना रही है. इंडाल से आदित्य बिड़ला ग्रुप के हिंडाल्को कंपनी में तब्दील यह प्लांट साल 2019 में तब चर्चा में आया था, जब रेड मड वेस्ट खेतों में फैल गया था. लेकिन अब यहां की तस्वीर बदल गई है.
प्लांट के 75वें स्थापना दिवस समारोह में शिरकत करने आए हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एमडी, सतीश पाई से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने फैक्ट्री से होने वाले फायदे, नुकसान और भविष्य की योजनाओं पर बात की. सतीश पाई ने कहा कि 2019 की घटना ने बहुत कुछ सीखाया. उसी दौरान विचार हुआ कि रेड मड को री-यूज कैसे किया जाए. इस दिशा में काम चल रहा है. रोड कंस्ट्रक्शन में फ्लाई ऐश और रेड मड का मिक्सचर कारगर साबित होगा. इसका इस्तेमाल सीमेंट फैक्ट्री में भी हो रहा है.
सतीश पाई ने कहा कि यह कंपनी 75 वर्षों से चल रही है. तब यहां के एलुमिना की क्वालिटी अच्छी नहीं थी. अब हमारी कंपनी क्वालिटी पर फोसक कर रही है. अगले दस वर्षों की जरुरत को ध्यान में रखकर इस प्लांट को और हाईटेक करने की तैयारी चल रही है. उन्होंने बताया कि इस प्लांट की बदौलत ना सिर्फ फैक्ट्री के भीतर बल्कि कांट्रैक्टर के रूप में आसपास के लोगों को भी रोजगार मिला है. इसके अलावा कम्युनिटी के लिए भी काम हो रहा है.
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