लखनऊ: फरवरी 2023 में प्रयागराज उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड के बाद अहमदाबाद जेल से माफिया अतीक अहमद को यूपी लाया गया था. उत्तर प्रदेश में आने के बाद वह परेशान हो गया था. पाकिस्तान से लाए गए हथियारों की जब पुलिस ने बरामदगी करनी चाही तो अतीक इस कदर यूपी पुलिस से दहशत में था कि वह अभिरक्षा में अपनी पैंट तक गंदी करने लगा था.
यही वजह थी कि पुलिस उसे 15 अप्रैल को धूमनगंज के मोती लाल नेहरू अस्पताल इलाज के लिए ले गई थी. इसी अस्पताल में जब उसको ले जाया जा रहा था तब तीन शूटर ने उसकी हत्या कर दी. यह खुलासा दिलीप बी भोसले आयोग की रिपोर्ट में हुआ है.
विधानसभा में पेश हुई आयोग की रिपोर्ट: 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की तीन शूटर ने गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड पर सवाल उठने के बाद राज्य की योगी सरकार ने जांच के लिए रिटायर्ड जज दिलीप बी भोसले की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था.
पुलिस को क्लीनचिट, मीडिया पर सवाल: आयोग की जांच रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई. आयोग ने घटना के दिन मोती लाल नेहरू अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों, अस्पताल स्टाफ, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मियों के बयान दर्ज करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें आयोग ने पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट और मीडिया कर्मियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए है.
प्रयागराज आते ही अतीक का हाई हुआ था BP: आयोग ने 27 अप्रैल से नवंबर 2023 तक अतीक व अशरफ हत्याकांड के मामले की जांच की थी. मीडियाकर्मी, अस्पतालकर्मी, पुलिस व जेलकर्मियों के बयान दर्ज किए थे. आयोग को पता चला था कि, अहमदाबाद के साबरमती जेल से यूपी के प्रयागराज आते ही अतीक अहमद का बीपी हाई हो गया था.
यूपी पुलिस के डर से अतीक ने कई बार पैंट में की पॉटी: वह इस कदर डरा हुआ था कि पुलिस रिमांड के दौरान वह कई बार अपनी पैंट गंदी कर दे रहा था. यानी कि उसने पैंट में ही पॉटी कर दी थी. रिपोर्ट के अनुसार, धूमनगंज थाने में तैनात आरक्षी चालक सतेंद्र कुमार ने आयोग के सामने बयान दिया था कि, जब धूमनगंज पुलिस अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को हथियारों का जखीरा बरामद करने के लिए अपने साथ ले जा रही थी तब अतीक बार-बार अपनी पैंट गंदी कर दे रहा था. जिसके बाद उसे मोती लाल नेहरू अस्पताल इलाज के लिए ले जाया गया था.
अतीक अशरफ की हत्या में मीडिया भी जिम्मेदार: आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मीडिया की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए इस हत्याकांड का एक जिम्मेदार मीडिया को भी बताया है. आयोग ने कहा कि, मीडिया ने अतीक अहमद की खबर कवर करने के दौरान पुलिस के कार्य में कई बार दखलंदाजी की. मीडिया कर्मियों की भीड़ और उनके फ्लैश लाइट के चलते ही अस्पताल में पुलिसकर्मी शूटर्स को देख नहीं सके थे.
आयोग ने कहा कि, मीडिया ने जिस तरह अतीक अहमद के मूत्र और शौच त्याग करते समय कवरेज किया और उसका प्रसारण किया, इसके अलावा अतीक अहमद और अशरफ के चारों ओर सुरक्षा के घेरे को भी मीडिया ने भेदने का प्रयास किया जो कई शंका पैदा करता है.
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